क्रान्तिवीर एक किसान के पास गए और बोले, “हमारे साथ चलो, संगठन बनाओ, संघर्ष करो। हम क्रांति करेंगें। सबको न्याय मिलेगा, सबका जीवन सुधरेगा ।”
किसान ने कहा, “ मेरे छप्पर की बल्ली हट गई है। मेरे साथ चलकर बल्ली कटवा जाओ तो छप्पर छ। जाए।”
क्रांतिवीर ने कहा, “क्या भूर्खता वाली बातें कर रहे हों? कहाँ क्रांति और कहाँ छप्पर?! क्रांतिवीर यह कहकर चल दिए और किसान बल्ली t की जगह खुद खड़ा हो गया ताकि छप्पर गिर न जाए।
सालों बाद क्रांतिवोर उधर से गुजरे, तो देखा बल्नी कौ जगह लगातार खड़ा रहने के कारण किसान ख़ुद बल्ली बन गया है। क्रांतिवीर उसे क्रांतिकारी भाषण देने लगे।
किसान बोला, “’कामरेड, तुम जो कुछ कह रहे हो बिलकुल ठीक कह रहे हो;नेकिन अब मैं चाहूँ भी तो तुम्हारे साथ नहीं जा सकता।”
क्रांतिवीर का मन किया कि किसान को हाथ पकड़कर घसीट ले पर यह सोचकर ऐसा न किया कि उससे छप्पर गिर जाता और दोनों उसके नीचे ही दब जाते।
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