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Channel: लघुकथा
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प्रतिनिधि लघुकताएँ

समकालीन हिन्दी लघुकथा-लेखन से जुड़कर सुकेश साहनी की रचनाधर्मिता अपने समय, सच एवं परिवेश से सीधा साक्षात्कार करती है तथा समस्त विसंगतियों एवं दलित-पीड़ित मानसिकता से लोहा लेती हुई एक ऐसे मार्ग का संधान...

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उपहार

उपहार राजेश मोहल्ले भर के लोगों के बिजली पानी टेलीफोन के बिल भरता और बाज़ार से सामान ला देता था। हर परिवार से उसे 100 रुपये प्रतिमाह मिलता था, जिससे वह अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहा था। उदासी समेटे...

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नालायक

“शुक्र है भगवान का सारा कारज निर्विघ्न सम्पन्न हो गया और बिटिया अपने घर गई। हमारा तो गंगास्नान हो गया।” बैंक्वेट हॉल से डोली विदा करके घर वापसी के लिए कार में बैठी माँ ने आँचल के सिरे से पनीली आँखें...

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परम हंस

मानसरोवर से चला एक हंस, मृत्युलोक में एक डेरी की चहारदीवारी पर आ बैठा। पास बैठा एक कौआ, अपनी जाति-बिरादरी के गौरव, हंस को देख खुशी से फूला ना समाया। चहकता, खिलता बोला, ’’दादा, धन्य भाग्य हमारे, जो आप...

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उसके बिना

वह जब भी कुछ लिखने बैठते, दो साल का पोता उनके पास चला आता । कभी टेबल के नीचे घुसकर उनकी टाँगों से लिपट कर खरोंचता रहता, कभी पेन या चश्मा झपट लेता । उसकी इन बाल सुलभ चंचलताओं के मध्य उनका कार्य भी निबट...

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क्रान्तिवीर

क्रान्तिवीर एक किसान के पास गए और बोले, “हमारे साथ चलो, संगठन बनाओ, संघर्ष करो। हम क्रांति करेंगें। सबको न्याय मिलेगा, सबका जीवन सुधरेगा ।” किसान ने कहा, “ मेरे छप्पर की बल्ली हट गई है। मेरे साथ चलकर...

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कथादेश लघुकथा-प्रतियोगिता-12 का परिणाम

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उत्तराधिकारी

“इतनी रात गए मुझे इस वृद्धाश्रम में बुलाया, सब ठीक तो है न सुदेश बाबू ?” “क्षमा चाहता हूँ वकील साहब ! आपसे एक बहुत आवश्यक काम था जो आपको अचानक बुलाना पड़ा।” “वो सब तो ठीक है, लेकिन आप सपत्नीक यहाँ...

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मानव-मूल्य

वह चित्रकार अपनी सर्वश्रेज्ठ कृति को निहार रहा था। चित्र में गाँधाी जी के तीनों बन्दरों को विकासवाद के सिद्धान्त के अनुसार बढ़ते क्रम में मानव बनाकर दिखाया गया था।             उसके एक मित्र ने कक्ष...

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चिल मॉम !

बेटी के इस जुमले ‘चिल मॉम!’ ने चुंबक की तरह एक पल में शिल्पा की यादों की दराज़ से छब्बीस वर्ष पहले की उस घटना को खींच कर निकाल लिया | जब शिल्पा कोई तेरह-चौदह वर्ष की थी और अपनी सबसे पक्की सहेली के घर...

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साँचा

            अधिाकारी गाड़ी से निकल कर अपने चैम्बर की तरफ बढ़ रहा था कि अचानक दो कदम पीछे होकर विवेक की मेज की तरफ आते हुए बोला।             -क्यों! पहुँचा दी फाइल मेरी टेबल पर?             -सर वही...

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समृद्ध विधा

पिछले कई वर्षों से बहुत से लघुकथाकारों की रचनाएँ पढ़ी हैं | लघुकाय आवरण में नपी-तुली महत्त्वपूर्ण शब्दावलi में ऐसी कसी हुई विधा कि जिसे पढ़कर पाठक का मस्तिष्क झनझना उठता है और लम्बे समय तक लघुकथाएँ...

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गहाई

वह अपने मित्र के साथ बातों में मशगूल था, तभी आवाज़ आई पोस्ट मेन, उसने जाकर डाक ली। मित्र को यह देखकर आश्चर्य हुआ  “तुम्हारे पास अभी पोस्ट कार्ड आते हैं।”  उसने जवाब दिया “मेरी माँ यह पत्र भेजती हैं,”...

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प्रॉमिस

सुबह से  वे कितनी बार फोन लगा चुके थे, पर फिर भी पोते से बात नहीं हो पा रही थी। अब तो धीरे-धीरे उनकी प्रसन्नता, उदासी में बदलने लगी थी। कितने उत्साह से  सुबह  पोते से बात करने फोन हाथ में लिया ही था...

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सपने में माँ

            एक दिन माँ सपने में आई। कुछ बोली नहीं वह । चुप, जैसी वह हमेशा रहती थी, निर्विकार और निश्चल। ‘‘तुझे देख लिया, तू ठीक है।’’ उसके चेहरे पर परम सन्तोष झलक रहा था। ‘‘अपने चैतन्य में तूने मुझे...

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दो लघुकथाएँ

बर्तोल्त ब्रेख्त कामयाबी महाशय ‘क’ ने रास्ते से गुजरती हुई एक अभिनेत्री को देखकर कहा, ‘‘काफी खूबसूरत है यह।’’ उनके साथी ने कहा, ‘‘इसे हाल ही में कामयाबी मिली है, क्योंकि वह खूबसूरत है।’’  ‘क’ महाशय...

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लघुकथाएँ-चित्रा राणा राघव

चित्रा राणा राघव 1-दिशाभ्रम चित्रा राणा राघव “बहुत देर हो गई, शाम का समय है, अब मुझे अपने घर जाना चाहिए घर …पर घर है किधर?” दिशाभ्रम से पीड़ित मानसिक रोगी रामअवतार सोचने लगा। पहले 4-5 बार भी यह सोच...

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बदलाव/બદલાવ

गम्भीर सिंह पालनी         ગંભીર સિંહ પાલની ગામથી નીકળ્યો, ત્યારે માએ તેને શિખામણ આપી હતી કે શહેરમાં જઈને રખડી ન જતો. ભલા માણસની જેમ જ રહેજે. જ્યાં પણ ઓળખાણ –પિછાણ વધે, ત્યાં દોસ્તોની બહેનને પોતાની...

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The Real Man

(Translated from the Original Hindi by Kanwar Dinesh Singh) “Where did you go at this hour of the night?” The inebriated husband came in and lied next to his wife. Covering her eyes with her elbow,...

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पिंजरे को पकड़कर झूलती चिड़िया

https://youtu.be/4VgyjSurNXI

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