वह दूर क्षितिज में झांक रहा है। उसे वर्षों पूर्व की गयी अपनी एक खोज याद आ रही है।
उस खोज ने उसे अभूतपूर्व प्रसिद्धि दिलवाई थी। उसने विज्ञान जगत में धूम मचा दी थी। चारों ओर से फोन आ रहे थे। पत्रकार उससे एक मुलाकात के लिए तरस रहे थे और वह…वह अपनी इस अद्भुत खोज पर इतरा रहा था। उसने अमरत्व का फार्मूला ढूँढ़ निकाला था। उसने जेनेटिकली मोडिफाइड जींस बना लिए थे। उन जीन्स के कारण अब कोई भी व्यक्ति किसी भी रोग से मरने वाला नही था। उसने आयु वृद्धि (ageing) के साथ होने वाले कोशिका क्षय (cell decay) पर भी विजय प्राप्त कर ली थी। वह जानता था कि अब रोग, वयोवृद्धि और उससे होने वाली मृत्यु किसी को छू भी न पायेगी।
अमीर वह अमरत्व की दवा महंगे-से-महंगे दामों में भी खरीद रहे थे। गरीबों को वह दवा मुफ्त में बाँटकर बहुत से इनजीओ नाम कमा रहे थे। सब इस ईजाद से खुश थे।
उसने खुशी-खुशी घर आकर अपनी माँ के सामने वह दवा रख दी थी लेकिन… उसकी माँ ने वह दवा लेने से इनकार कर दिया था।
पुरानी बातों को याद करता हुआ वह अपने कमरे की खिड़की से बाहर झांक रहा है। उसकी दृष्टि सड़क पर स्थिर हो गयी है। आज कहीं तिल भर की जगह भी खाली नहीं है। दूर-दूर तक सिर्फ और सिर्फ मनुष्यों की भीड़ है। पेड़-पौधे, जानवर, प्राकृतिक सम्पदा सब खत्म हो चुके हैं। चारों और भूखे-प्यासे, बीमार, सट-सटकर चलते लोग-ही-लोग हैं। सालोंसाल से सब जिंदा हैं। कोई भी नहीं मरा है।
उसके कानों में उस दिन कही माँ की बात आज भी गूंज रही है, “बेटा! तूने विज्ञान का प्रयोग प्रकृति के विरुद्ध करके बहुत बड़ा अपराध किया है। तुझे लगता है कि तूने मृत्यु को जीत लिया है!! लेकिन याद रख…प्रकृति अपना संतुलन बनाना जानती है।”
वह आज अपनी खोज पर शर्मिंदा है। लेकिन… प्रयोगशाला में रखे रेक्टर पैमाने का तेजी से घूमता कांटा आज कुछ और ही कहानी कह रहा है। धरती में जोर का कंपन हुआ है। कोशिका क्षय से होने वाली मौत को खरीद गुलाम बनाने वाले हजारों-लाखों लोग आज एक-दूसरे के नीचे दब-दबकर मर रहे हैं। रोग और बढ़ती उम्र से होने वाली मृत्यु को जीतने वाला वह खुद…आज प्रकृति के सामने नतमस्तक है।
अब पृथ्वी का कम्पन शांत हो चुका है। प्रकृति ने खुद को संतुलित कर लिया है।
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