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Channel: लघुकथा
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इसी दुनिया में

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अनुवाद :सुकेश साहनी

हरी-भरी पहाड़ी पर एक साधु रहता था। उसकी आत्मा पवित्र और दिल साफ था। उस क्षेत्र के सभी पशु-पक्षी जोड़ों में उसके पास आते थे और वह उन्हें उपदेश देता था। वे सब खुशी-खुशी उसे सुनते, उसे घेर कर बैठे रहते और देर रात तक उसके पास से जाने का नाम नहीं लेते थे। तब वह ख्ुाद ही उन्हें आशीर्वाद देकर जाने की आज्ञा देता था।

एक शाम वह दाम्पत्य जीवन में प्यार के बारे में उपदेश दे रहा था, एक तेंदुए ने उससे पूछा, “आप हमें प्यार के विषय में बता रहे हैं, हम जानना चाहते हैं कि आपकी पत्नी कहाँ है?”

साधु ने कहा, “मैंने विवाह ही नहीं किया। मेरी कोई प्रेयसी भी नहीं हैं”

इस पर पशु पक्षियों के झुण्ड में आश्चर्य भरा शोर गूँज उठा। वे आपस में कह रहे थे, “भला वह हमें प्रेम और दाम्पत्य के बारे में क्या बात सकता है जब कि वह स्वयं इस विषय में कुछ नहीं जानता है?” वे सब अवज्ञा भरे अंदाज़ में वहाँ से उठकर चले गए.


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