वृद्धाश्रम डॉट को डॉट इन
बहुत बड़ी बात भी नहीं थी लेकिन बात बड़ी तो यहां तक पहुँची कि बहू ने साफ-साफ कह दिया, ‘अगर इस घर में तुम्हारी माँ रहेंगी, तो मैं नहीं ……… अब निर्णय आप पर है ,जो अच्छा लगे …….. करो!’ और गुस्से में अपने...
View Articleमैला
“ओह,पापा, ये क्या,,अब तो ये बन्द कर दीजिए। स्वीपर से क्यों नही करवाते!!” झुँझलाई हुई आवाज़ में लम्बे समय बाद गाँव आए बेटे ने तेज आवाज़ में कहा। टॉयलट को साफ करते हुए पिता एकबारगी थम गए; लेकिन...
View Articleआयोजन-2020ः एक समग्र प्रयासः
आयोजन-2020ः एक समग्र प्रयासः सम्पादक-डॉ नीरज सुधांशु, पृष्ठः 160, मूल्यः 250, संस्करण: 2021, वनिका पब्लिकेशन्स, एन ए- 168, गली नं -6, विष्णु गार्डन , नई दिल्ली-110018,
View Articleसूली पर चढ़ते हुए
(अनुवाद :सुकेश साहनी) मैंने लोगों से चिल्लाकर कहा, “मैं सूली पर चढूँगा!” उन्होंने कहा, “हम तुम्हारा खून अपने सिर क्यों लें?” मैंने जवाब दिया, “पागलों को सूली पर चढ़ाए बगैर तुम कैसे उन्नति कर सकोगे?”...
View Articleअचानक यों चले जाना
1-लघुकथा के समर्पित व्यक्तित्व का चले जाना! रवि प्रभाकर, योगराज प्रभाकर के अनुज, लघुकथा कलश के सह सम्पादक लघुकथा के लिए पूर्णतया समर्पित, लघुकथा-कलश के माध्यम से विश्व भर के लोगों से जुड़ाव, विनम्रता...
View Articleकेवल मैं
वह उसे बरसों के बाद मिला था । हमेशा की तरह आज भी वह अपनी शान बघारने से चूका नहीं था। अगर यही शान उसने न बघारी होती तो आज वह उसकी पत्नी होती। हालांकि उनका बरसों प्रेम चला था फिर भी उसकी इस लत ने उस...
View Articleएक और जाल / एक हौर जाळ
गढ़वाली अनुवाद डॉ कविता भट्ट ‘शैलपुत्री’ मुबैलै घण्टी बजि। हिंद्या रीडर महोदैन वे तै कंदूड़ पर लगै अर बोलि,”हलो!” उख बटी ऊँकै विभागा दगड़िए आवाज ऐ, “एक खुसखबरी च।” “क्य?” “यू.जी.सी. का हिसाब सि ‘नैट’ अब...
View Articleगुलाब वाला कप
सुबह-सवेरे चाय बनाने हेतु बुजुर्ग हीरालाल रसोईघर में पहुँचे तो गुलाबी कप अपने स्थान पर नहीं था। उन्होंने हर तरफ निगाह घुमाई; लेकिन कप कहीं भी दिखाई नहीं दिया। नए कप तो दिखाई दे रहे थे, पर उनका पसंदीदा...
View Articleपराजित योद्धा[तेलुगु ]
भाषा:तेलुगु ,अनुवादक : पी. निर्मला, विशाखापट्टनम ముాలరచయిత: రవి ప్రభాకర్. తెనుగుసేత: పారన0ది నిర్మల పరాజితయోద్ద ‘ఇదేమిటి అమ్మా యి!’ చీటీమీదనాలుగువేలు బాకీ అని రాసి ఉన్ది! ‘ టెస్ట్ హవుస్ నుండి వచ్చిన...
View Articleमेरी पहली पसंदीदा लघुकथा
लघुकथा पर आज तक सभी मर्मज्ञजन बहुत कुछ कह चुके हैं, लिख चुके हैं। आज मैं अपना एक अलग नजरिया रख रही हूँ जो इसे डिजिटल वर्ल्ड से जोड़ता है। हम सब जानते हैं कि आज इंटरनेट आधुनिक तकनीक का महत्त्वपूर्ण...
View Articleस्वर्ण जयंती समकालीन लघुकथा प्रतियोगिता-2021
मूल्यांकन परिणाम : स्वर्ण जयंती समकालीन लघुकथा प्रतियोगिता-2021 अविराम साहित्यिकी द्वारा आयोजित ‘स्वर्ण जयंती समकालीन लघुकथा प्रतियोगिता-2021’ के सभी प्रतिभागियों और मूल्यांकनकर्ताओं का आभार व्यक्त...
View Articleरचना प्रक्रिया
लघुकथा के बारे में अक्सर कहा जाता है कि यह एक क्षण का चित्र प्रस्तुत करती है; परन्तु मेरा मानना है कि लघुकथा केवल किसी क्षण की उपलब्धि मात्र नहीं है, अपितु यह तो दीर्घ साधना की उपलब्धि हैं। ‘कुकनूस’ के...
View Articleरवि प्रभाकर का चिन्तन
रवि प्रभाकर जी के विचार निम्नलिखित लिन्क पर सुन सकते हैं- मुक्त चिन्तन
View Articleलघुकथाः सृजन और रचना-कौशल-टिप्पणी
कल शाम थका-हारा जैसे ही घर पहुँचा तो सुकेश साहनी कृत ‘लघुकथाः सृजन और रचना-कौशल‘ को देखकर मन प्रसन्न हो गया और सारी थकान छूमंतर हो गई। शाम से ज्यों किताब पढ़नी शुरू की ,तो वह रात दो बजे हाथ से छूटी।...
View Articleआज़ादी –മോചനം
मलयालम में अनुवाद: दिलीप, वामनपुरम കാലങ്ങൾ നീണ്ട കാത്തിരിപ്പിനും അസംഖ്യം അമ്മമാരുടെ തോരാത്ത കണ്ണുനീരിനും നിരവധി യുവാക്കളുടെ നിറം മങ്ങിയ സ്വപ്നങ്ങൾക്കും വറ്റാത്ത വറുതിക്കാലത്തിനും ശേഷം, ഒടുവിൽ...
View Articleइसी दुनिया में
अनुवाद :सुकेश साहनी हरी-भरी पहाड़ी पर एक साधु रहता था। उसकी आत्मा पवित्र और दिल साफ था। उस क्षेत्र के सभी पशु-पक्षी जोड़ों में उसके पास आते थे और वह उन्हें उपदेश देता था। वे सब खुशी-खुशी उसे सुनते,...
View Articleलघुकथा-परिक्रमा
1-आज़ादी शताब्दियों के इंतज़ार और असंख्य माँओं की गोद सूनी होने, अनगिनत सुहागिनों से इंद्रधनुष रूठने और न जाने कितने बिना ईद के रोज़ों के बाद, अंतत: ‘वह’ आ ही गई। भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अँधेरी रात...
View Articleश्रद्धांजलि
1-सुभाष नीरव रवि प्रभाकर का ड्रीम प्रोजेक्ट मित्रो, भाई योगराज प्रभाकर और रवि प्रभाकर ने ‘लघुकथा कलश’ के माध्यम से लघुकथा के लिए क्या कुछ समर्पित भाव से किया, यह हम सब जानते हैं। इतने बड़े आकार में...
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