वह खुशनुमा सुबह थी। पूरब की लाली और मन्द हवा में झूमते वृक्ष उसे अच्छे लगे। उसने काले सफेद बादलों को देखा और इठलाते हुए आगे बढ़ गया । तभी उसे लगा कि बादलों के साथ–साथ वह भी उड़ रहा है। धूल का उड़ना उसे अच्छा लगा। उसे कलरव करते पक्षी और रंग–बिरंगे फूलों के इर्द–गिर्द इतराती तितलियाँ अधिक मोहक लगीं। आज उसने अधमरे, कचरे–से–कुत्ते को भी नहीं मारा।
फिर उसने खुद को उस खेल के मैदान में पाया। वह खुशी से तालियाँ बजाने लगा। तभी उसे गेंद आकर लगी। वह धन्य हो गया। आज पहली बार उसने क्रिकेट की गेंद को छुआ था।