झापड़
गेट से बाहर निकलते न निकलते जवान की गाल पर रसीद हो गया। ‘‘मादर!…’’ मुँह से माँ की गाली निकली और हाथ से एक झन्नाटेदार तमाचा। सरदार जी पूरी तैश में थे–‘‘यहाँ सेहत से लाचार बीमार आते हैं सैर के लिए! सरे...
View Articleजानवर
सूनी गली में आठ–दस हथियारबंद दंगाइयों ने उसे घेर लिया – ‘‘बता, तू हिंदू है?’’ ‘‘नाहीं तो।’’ ‘‘मुसलमान?’’ ‘‘नाहीं।’’ ‘‘तो फिर ईसाई होगा!’’ ‘‘नाहीं, नाहीं।’’ ‘‘सरदार है क्या?’’ ‘‘नाहीं बाबू।’’ ‘‘तो तू है...
View Articleदाम्पत्य
‘तुम्हारी बातें मुझे कटार सी लगती हैं। कितना अच्छा होता कि तुम मुझसे बातें ही न करतीं ।’ पति ने अपनी पत्नी से गुस्से में कहा। ‘‘ठीक है…ठीक है…मुझे भी तुमसे बातें करने का कोई शौक़ नहीं है।’’ तमतमाई...
View Articleअंशमात्र
एक बार मैंने दुख से पूछा, ‘‘क्यों आते हो मेरे जीवन में हलचल मचाने?’’ दुख ने कहा ‘‘तुम्हारी परीक्षा लेने।’’ फिर एक दिन मैंने सुख से पूछा, ‘‘क्यों तुम बार–बार आते हो आकर वापस चले जाते हो?’’ सुख ने कहा,...
View Articleसपने
वह खुशनुमा सुबह थी। पूरब की लाली और मन्द हवा में झूमते वृक्ष उसे अच्छे लगे। उसने काले सफेद बादलों को देखा और इठलाते हुए आगे बढ़ गया । तभी उसे लगा कि बादलों के साथ–साथ वह भी उड़ रहा है। धूल का उड़ना उसे...
View Articleरोटी
चार वर्ष का लड़का सड़क किनारे बैठा लम्बी सिसकियों के साथ रो रहा था। उसके आँसुओं ने उसके गंदे चेहरे पर धारियाँ बना दी थी। लड़का कुछ देर रुकता और फिर रोने लगता। एक व्यक्ति बहुत देर से रोते हुए लड़के को...
View Articleमुस्कुराता आकाश
“कल ही आपको मॉर्निंग में ये प्रेजेंटेशन देनी है…सब कल तैयार चाहिए…ओके?” वीडियो कॉन्फ्रेंस पर नयन के बॉस ने पूछा तो नयन ने भी तुरंत ही ओके कह दिया। शाम के साढ़े चार बज रहे थे। मीटिंग खत्म होते ही नयन ने...
View Articleलघुकथाएँ
1-तलाश “क्या कर रहा है यहाँ ?” बंद सीलन -भरी गली में उस बूढ़े को देख वो चिल्लाया। “अपनी बेटी की ओढ़नी ढूँढ रहा हूँ।” बूढ़े ने आँखें और गड़ा दीं। “यहाँ क्यों?” ” वो कह रही है, इसी गली में खोई है।”...
View Articleसेतुः कथ्य से तथ्य तक
लघुकथा विधा आज तेजी से लोकप्रिय होती जा रही है। लेखकों में भी और पाठकों में भी। अनेक कारणों में इसका एक कारण ये भी है कि अधिकतर लघुकथाओं में भाषा, प्रतीक और बिम्ब सरल होने के कारण आम पाठक को आसानी से...
View Articleऐब
‘‘आओ, आओ बहना!’’ उसने सास का स्वागत भरा लहकदार स्वर सुना तो कमरे के किवाड़ों की आड़ से आ लगी। गाँव की औरतों का जमघट नजर आया। माँ जी खमसार की ओर दौड़ी और दरी लेकर पलटीं। दरी बिछाती हुई साग्रह सभी को...
View Articleलघुकथा की विकास-यात्रा में उत्तर प्रदेश का योगदान
समकालीन लघुकथा का औपचारिक आरंभ 1971 से माना जाता है। इसका यह अर्थ नहीं है कि लघुकथा का जन्म 1971 में हुआ है। लघ्वाकारीय कथात्मक रचनाओं से हमारा पुरातन साहित्य भरा पड़ा है। प्राप्त जानकारियों के अनुसार...
View Articleबदरंग
गर्मी की छुट्टियों में आए बच्चों ने एक कमरेमें खेलनगरी बसा ली थी जहाँ वे सारा दिन उधर मचाए रखते । एक दिन घर के एक बुज़ुर्ग उनके कमरे में चले गये । ” दादू, दादू देखो तो , जाने क्यों यह मियामिट्ठू पीला...
View Articleसही चाबी
शहर में राष्ट्रीय स्तर पर चित्र प्रतियोगित का आयोजन किया गया था।शहर में जगह जगह पोस्टर लगे थे।पिछले एक हफ्ते से यह क्रम चल रहा था अलग अलग जगह पर प्रसिद्ध कलाकारों की कलाकृतियों की प्रदर्शनी लग रही...
View Articleसूई-धागा
ससुराल में कदम रखे दो दिन भी नहीं हुए थे कि ,अपने मायके में ही पड़ी रहने वाली मालिनी की ननद शीला और घर जमाई बने नन दोई मंजीत शादी की कमियाँ गिनाना शुरु कर देते है। अपने पिता द्वारा हर संभव आथित्य...
View Articleअच्छी बोहनी
छोटू ने थोक मंडी से सब्ज़ियाँ ख़रीद कर रेहड़ी अपने रोज़ वाले स्थान पर लाकर खड़ी की ही थी कि सामने से वर्दीधारी पुलिस वाला हाथ मेंथैला लिए आता दिखा। वह मन-ही-मन सोचने लगा, आज तो बोहनी भी नहीं हुई और...
View Articleउष्ण मरुस्थल-
प्रदीप कुमार अपने परिवार के साथ बाजार से खरीदारी करके घर लौट आये थे। उनकी रिश्तेदारी में एक शादी थी। उसी सिलसिले में सबको कपड़े दिलवाने वे बाजार गये थे। उनकी पत्नी सीमा ने आठ हजार रुपये की साड़ी पसन्द...
View Articleबड़ी बात को कम शब्दों में कहना
लघुकथा की बात करूँ तो मुझे याद है कि घर में साहित्यिक वातावरण हमेशा से था। अखंड ज्योति, सारिका, साप्ताहिक हिंदुस्तान,धर्मयुग जैसी पत्रिकाऐं आती थीं । अखंड ज्योति की जो छोटी-छोटी कथाएँ होती थीं, वह मुझे...
View Articleलघुकथाएँ
1-यह हादसा नहीं वह बार-बार दरवाजे की तरफ देखते थक गई थी। रात गहराते ही, उसकी चिन्ता भी गहराने लगी थी। चम्पा को अब तक वापस लौट आना चाहिए था। चम्पा उसकी कोख जनी बेटी है। उसका लहलहाता संसार है। चम्पा का...
View Articleबीसवीं सदी की श्रेष्ठ लघुकथाएँ
एक समय ऐसा आ गया था जब लघुकथा और विवाद एक दूसरे के पर्याय जैसे लगने लगे थे । नित्य नए विवादों को हवा देने में जगदीश कश्यप कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते थे । उनका सारा संघर्ष था तो लघुकथा के लिए ;लेकिन शनै:...
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