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Channel: लघुकथा
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पहली बार

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अनुवाद :सुकेश साहनी)

जून के महीने में घास ने एक पेड़ की छाया से कहा, “तुम एक जगह टिक कर क्यों नहीं बैठती हो? तुम्हारे दाएं-बाएँ आने जाने से मुझे बहुत परेशानी होती है।”

घास ने उत्तर दिया, “मैं नहीं हिलती…आसमान की ओर देखो, वह जो पेड़ है वही हवा में पूरब से पश्चिम की ओर सूरज और धरती के बीच झूम रहा है।”

घास ने ऊपर की ओर देखा, जीवन में पहली बार उसने किसी वृक्ष को देखा। उसने मन ही मन कहा, ‘ऐसी कोई खास चीज नहीं है, तो घास ही-बस मुझसे ज़रा बड़ी है।’

उसके बाद घास ने छाया से कुछ नहीं कहा।


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