अविश्वास
उस दिन सूरज बहुत थका-थका-सा उगा था। रमेश की तरह वह भी मानो रातभर सोया न था। रमेश पूछ-पूछकर हार गया था। पत्नी घूम-फिरकर एक ही उत्तर देती ‘‘मुझे नहीं पता अस्पताल कैसे पहुँची, किसने पहुँचाया। होश आते ही...
View Articleपरिचय
अनुवाद-योगराज प्रभाकर ‘‘सर, इस फार्म पर मोहर लगवानी है।’’ मैंने खिड़की से हाथ बढ़ाकर कहा। ‘‘अरे! ऐसे कैसे मोहर लगा दें भला…न कोई जान, न पहचान। ये फॉर्म तो वैसे भी अधूरा है, जो पहले...
View Articleनाना का साथी
बचपन में गर्मियों की छुट्टियों में माँ के साथ नाना के गाँव आता था। कितना सुंदर गाँव है हमारे नाना का, एक लाइन में साफ सुथरे लिपे- पुते मिट्टी के घर। नाना के घर के सामने चबूतरे पर नीम का पेड़ था। पेड़...
View Articleअमृतसर में 27वाँ अन्तर्राज्यीय लघुकथा (मिन्नी कहानी) सम्मेलन
लघुकथाओं का पाठ/ पुस्तकों का लोकार्पण/ सम्मान समारोह एवं नाटकों का प्रदर्शन रहा आकर्षण अमृतसर 20 अक्टूबर: मिन्नी कहानी लेखक मंच पंजाब और अदारा त्रैमासिक ‘मिन्नी’ की और से 27वां अन्तर्राज्जीय मिन्नी...
View Articleपहली बार
अनुवाद :सुकेश साहनी) जून के महीने में घास ने एक पेड़ की छाया से कहा, “तुम एक जगह टिक कर क्यों नहीं बैठती हो? तुम्हारे दाएं-बाएँ आने जाने से मुझे बहुत परेशानी होती है।” घास ने उत्तर दिया, “मैं नहीं...
View Articleमेरी पसन्द
साहित्य के रूप केवल रूप नहीं हैं बल्कि जीवन को समझने के भिन्न- भिन्न माध्यम हैं। एक माध्यम जब चुकता दिखाई पड़ता है, तो दूसरे माध्यम का निर्माण किया जाता है। अपनी इसी यात्रा में साहित्य ने समय समय पर...
View Articleलाठी
“सुनिए जी, आज हमारा बेटा, बहू से कह रहा था कि, शहर में बनने वाला मकान कुछ दिनों में पूरा हो जाएगा और वे लोग वहाँ चले जाएँगे।” “चलो अच्छा है।”- वृद्ध ने ठंडी साँस भरते हुए कहा। ” क्या अच्छा है? हम यहाँ,...
View Articleबची-खुची संपत्ति
बची-खुची संपत्ति ‘‘अनन्त सौन्दर्य और अखण्ड रूप-माधुरी लेकर भी तुम भीख माँगने चली हो सुन्दरी!’’-कहते हुए धनी युवा की सतृष्ण आँखें उसके मुख-मण्डल पर जम गईं। वह मुस्कुराने लगा और साथ ही साथ विचित्र...
View ArticleThe School
Translated from the Original Hindi by Kanwar Dinesh Singh It was an annual day function at the school. I was also invited there. The only son of the headmaster, who was eight years old, was shown in...
View Articleसवाल माँ का
चौराहे पर किसी को देखने हेतु ड्राइवर ने गाड़ी रोकी। तभी वह बुढ़िया हाथ में कुछ लम्बे-लम्बे बालपैन लिये कार के पास आई। वह दरवाजे के काँच को ठकठका कर बालपैन लेने को कह रही थी। न मैंने, न ड्राइवर ने शीशा...
View Articleकथादेश अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता-13 में पुरस्कृत लघुकथाओं का प्रकाशन
कथादेश अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता-13 में पुरस्कृत लघुकथाओं का प्रकाशन
View Articleसहमा हुआ सच
” मौसम के आसार अच्छे नहीं लग रहे हैं। बहुत ज़ोर से बरसेगा आज।” काली गहराती रात और काले होते आसमान को देखकर चूल्हे की आग को तेज करती पत्नी बोली ।ठंड उसके गर्म फिरन के अंदर आकर मानो जम गई थी। ” हूँ उ उ…...
View Articleजसबीर चावला की लघुकथाओं में व्याप्त प्रबन्धन-बोध
कुछ लघुकथाकार होते हैं जिनकी लघुकथाएँ पाठकों के समक्ष आग्रही होकर उपस्थित हुई मिलती हैं। आग्रही इस अर्थ में कि उनकी लघुकथाओं में व्याप्त अन्तर्वस्तु की पड़ताल अन्वेषणात्मक दृष्टि के बिना कर पाना सम्भव...
View Articleयुगबोध-ਯੁਗ-ਬੋਧ
ਯੁਗ-ਬੋਧ/ਪ੍ਰਿਥਵੀਰਾਜ ਅਰੋੜਾ-अनुवादक -श्याम सुन्दर अग्रवाल ਇਕ ਨੌਜਵਾਨ ਸੜਕ ਕਿਨਾਰੇ ਖਿੱਲਰੇ ਕੱਚ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਬੂਟਾਂ ਨਾਲ ਧੱਕਦਾ ਹੋਇਆ ਸੜਕ ਦੇ ਕਿਨਾਰੇ ਵੱਲ ਲਿਜਾ ਰਿਹਾ ਸੀ। ਸੜਕ ਦੇ ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਜਾ ਰਿਹਾ ਇਕ ਹੋਰ ਨੌਜਵਾਨ ਉਹਨੂੰ ਅਜਿਹਾ...
View Articleमानव मन की लघुकथाएँ
लघुकथा – मजबूती लेखिका – डॉ. वसुधा गाडगिल इस लघुकथा ने पढ़ते ही मेरा ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया था। आज के समय में जहाँ मानवी संबंधों का मूल्य कम होता जा रहा है तथा साधारणतया मनुष्य स्वार्थी होने लगा...
View Articleलघुकथा में गढ़ंत और पुरस्कृत लघुकथाएँ
लघुकथा में गढ़ंत और पुरस्कृत लघुकथाएँ : सुकेश साहनी ,लेख को पढ़ने के लिए निम्नलिखित लिन्क को क्लिक कीजिए- लघुकथा में गढ़ंत और पुरस्कृत लघुकथाएँ
View Articleडर
नीलू हडबड़ाती हुई घर में घुसी। उसने उसी हड़बड़ाहट में दरवाजा बंद किया। दरवाजे के जोर से बंद होने की आवाज सुन रसोई से बाहर आई। ‘‘नीलू! ….क्या हुआ?’’ मम्मी ने नीलू को देखते ही पहला प्रश्न यही किया।...
View Articleखाद-पानी
लोगों को यह देखकर आश्चर्य होता था कि इतने पुराने पेड़ में अभी तक फल आ रहे हैं। बच्चों का झुंड उसे दिनभर उसी तरह घेरे रहता था जैसे कहानी सुनने की चाह में किसी बुजुर्ग को बच्चे घेरे रहते हैं। न जाने...
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