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Channel: लघुकथा
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बेबी डॉल

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                   पहले वह माफिया डॉन था । बाद में नेता बन गया । बीती रात वह किराये पर लाई गई एक अद्भुत सौंदर्या के साथ जम कर सोया । सुबह यूँ ही सौंदर्या से पूछा- ” कैसे आई तुम इस धंधे में ? “
                   वह पहले उदास हो गई । फिर आँखों में खून भर कर बोली -” अपना मर्द ही नीच निकला… दूसरों को क्या दोष दूँ ।”
                   नेता ने आगे सवाल किया – ” एजेंट को कितना परसेंट देना पड़ता है? “
                   वह फट पड़ी-” कमाई का आधा ही मिलता है मुझे। कभी-कभी तो उसमें भी बेईमानी कर जाता है कमीना दलाल… मन करता है मुँह नोच लूँ उसका… पर मजबूर हूँ।  “
                   नेता गुस्से से बोला -” ये दल्ले साले होते ही ऐसे हैं । लो बताओ, ऐसे काम में भी डंडी मार जाते हैं… कीड़े पड़ेंगे ऐसे हरामियों के शरीर में । ” 
                  नेता के इस नैतिक भाषण पर वह व्यंग से मुस्कुराने लगी। नेता उसके तंज को भाँप गया । और झेंप मिटाने के लिए नकली हँसी हँसने लगा । फिर बात बदलते हुए बोला -” मैंने तुम से तुम्हारा नाम तो पूछा ही नहीं ।”
                 ” क्या करेंगे नाम जानकर साहब ?… रात को आप मुझे बहुत से नामों से प्यार कर रहे थे । उन्हीं में से कोई एक नाम समझ लीजिए ।”
                  नेता बोला -” बेबी डॉल !  मान गए… बहुत चालू चीज़ हो तुम । “
                 ” आपने सही कहा… बेबी डॉल ही तो है मेरा नाम । डॉल ही तो हूँ मैं… हाड़ -मांस वाली बेबी डॉल… हर किसी के लिए एक खिलौना मात्र । “
                  नेता जोर से हॅसा । उसकी हॅसी में उपेक्षा थी ।
                  अब सौंदर्या ने कहा -” मेरा टाइम हो गया… चलती हूँ … सलाम साहब । “
                  नेता ने चौंक कर पूछा -” क्या तुम मुसलमान हो ? “
                  जवाब में सौंदर्या बोली – ” जय राम जी की । “
                 और फिर कमरे से बाहर निकल गई ।


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