कहानी खत्म
“एक लड़की थी । उसके चार बड़े भाई थे । जब लड़की छोटी थी तो बहुत हँसमुख और खेलकूद में प्रवीण थी । नृत्य आदि का भी बहुत शौक था उसे । कहा जाय कि सर्वगुण संपन्न थी तो गलत नहीं होगा । वह भाइयों की तरह ही...
View Articleअन्तहीन सड़क
एक वृद्धा अक्सर वृद्धाश्रम के मेन गेट पर आकर खड़ी हो जाती थी और सड़क की तरफ़ एकटक देखती थी। यह इलाक़ा शहर से बाहर होने के कारण कुछ लोग सायं भ्रमण के लिए वहाँ से निकलते थे। एक सज्जन वृद्धा को कई दिनों...
View Articleमुनाफ़ा
धूप में खड़े ठेलेवाले से ख़रीददार ने कहा, “ तुम्हारे फलों का अभी से यह हाल है, तो रात तक क्या दुर्दशा होगी? कौन ख़रीदेगा? जो दाम मैं तुम्हें दे रहा हूँ, उससे कम में भी तुम्हें कोई ग्राहक मिलने वाला...
View Articleनई पुस्तकें
लघुकथाः सृजनात्मक सरोकारः डॉ कमल चोपड़ा, प्रकाशक; 138/16 त्रिनगर दिल्लीः110035, प्रथमं संस्करण 2021, मूल्यः400 रुपये, पृष्ठः151 रास्ते और भी हैं (लघुकथा संग्रह):कोमल वाधवानी ‘प्रेरणा’ ,अपना प्रकाशन,...
View Articleसुरक्षित
(अनुवाद :सुकेश साहनी) स्वर्ग वहाँ है…बिल्कुल मेरे करीब, उस कमरे में—दरवाजे के भीतर, लेकिन मैंने उसकी चाबी खो दी है। दरअसल मैंने खुद ही चाबी को ऐसी जगह रख दिया है कि आसानी से हाथ न आए.
View Articleजसबीर चावला की लघुकथाओं में व्याप्त प्रबन्धन-बोध
कुछ लघुकथाकार होते हैं जिनकी लघुकथाएँ पाठकों के समक्ष आग्रही होकर उपस्थित हुई मिलती हैं। आग्रही इस अर्थ में कि उनकी लघुकथाओं में व्याप्त अन्तर्वस्तु की पड़ताल अन्वेषणात्मक दृष्टि के बिना कर पाना सम्भव...
View Articleअखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता – 13 में पुरस्कृत लघुकथाएँ-
मीनू खरे: सीक्रेट पार्टनर, चाँदनी समर: अपना- अपना चाँद, मुकुल जोशी: गुमशुदा जिंदगी, डॉ. पूरन सिंह: वचन, अश्विनी कुमार आलोक: नृशंस, प्रदीप तिवारी ‘धवल’: इंटरव्यू, डॉ.संध्या तिवारी: इस प्यार को क्या नाम...
View Articleसम्यक्- लघुकथा विशेषांक
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View ArticleBeautiful Hands
by Hardeep Sandhu Translated from the Original Hindi by Kanwar Dinesh Singh One day, the teacher asked the second grade children to draw a picture of something they loved most. Some drew beautiful...
View Articleबेबी डॉल
पहले वह माफिया डॉन था । बाद में नेता बन गया । बीती रात वह किराये पर लाई गई एक अद्भुत सौंदर्या के साथ जम कर सोया । सुबह यूँ ही सौंदर्या से पूछा- ” कैसे आई तुम इस धंधे में ? “...
View Articleकितना बड़ा दुख
लाइए बाबू जी । पाँच हजार रुपये दीजिए । -किसलिए? -यह ऊपर की फीस है रजिस्ट्री करवाने की । यदि यह अदा न की गई, तो रजिस्ट्री पर कोई न कोई ऑब्जेक्शन लग जाएगा और मामला फँसा रहेगा । दरअसल मैं प्रॉपर्टी डीलर...
View Articleपहेली
इच्छाओं के खोखले बाँस में पाँच छेद करके बाँसुरी बना ली, हालाँकि सुर अभी साधने नहीं आए; पर मेरी अंतिम इच्छा यही है कि कभी साधने आएँ भी ना। चप्पल बड़ी होती जा रही थी, पैर उतने का उतना ही था। यह बात...
View Articleसपनों का गुलमोहर /स्वींणों का गुलमोर
अनुवादक :डॉ. कविता भट्टअमेरिका बटि तीन मैनां बाद बौड़ी कि एंईं रश्मि अपड़ा घौरवाळा रवि दगड़ी चलदु चलदु पार्किंग बटि निकळी तैं ‘पार्किंग लॉट’ माँ पौंछी त रवि तैं एक चमकदी नईं ‘इनोवा’ कु दरवाजु खोल्दु...
View Articleमैंने तुझे कैसे पहचाना-
चेक लघुकथा अनुवाद : निर्मल वर्मा मैं सहसा उठ बैठी। लगा, जैसे कोई मुझे बुला रहा हो। आँखें खोलकर मैं चारों तरफ देखने लगी-कमरे में अँधेरे और खामोशी के अलावा कुछ भी न था। खिड़की के पर सलेटी चादर-सी फैली...
View Articleनई पुस्तकें
जेबकतरा(लघुकथा-संग्रह): अख़लाक़ अहमद ज़ई,समदर्शी प्रकाशन, 355, देवनगर, मोदीपुरम, मेरठ-250001,संस्करण:2021,मूल्य : 165/-पृष्ठ : 98 पोटली(लघुकथा-संग्रह): सीमा व्यास , वनिका पब्लिकेशन,सरल कुटीर,आर्य नगर,...
View Articleआम आदिम
गढ़वाली में अनुवाद-अनुवाद डॉ . कविता भट्ट नौ चन्नी लग्गी छै । बिच औता मूँ नौ वळन बोलि, “नौ माँ बोझ जादा च, कवी एक आदिम कम ह्वे जाऊ त अच्छू, नितर नौ डुबि जालि।” अब कम ह्वे जाऊ त कु कम ह्वे जाऊ ? कै...
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