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Channel: लघुकथा
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क़तार

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अssरेsss   आप पीछे जाइए। देखती नहीं, लाइन लगी है।

“ओ अम्मा सब खड़े हैं लाइन में”- और भी कई लोगों ने सुर मिलाया

अल्ट्रासाउंड करवाने वालो की लम्बी कतार में से एक बुजुर्ग महिला पीछे से सामने जो आ खड़ी हुई थी।

बुजुर्ग महिला बगैर किसी की बात सुने दरवाजा खटखटाती है,मगर दरवाजा नही खुला।

“अरे अम्मा अभी अंदर पेशेण्ट है, सबकी बारी आएगी आप लाइन में लगो।”

“लगी थी बेटा लाइन में, बाथरूम गई, तो फिर पीछे हो गई। कोई है नही न साथ में।”

दरवाज़ा खुला। वार्ड बॉय फिर चिल्लाया, “लाइन में …लाइन में, पानी पियो जिनको जिनको पानी पीने के लिए कहा गया है, खूब सारा पानी पेट भर।”

बुजुर्ग महिला वार्डबॉय से मिन्नतें करने लगी-“बेटा मुझे जाने दो, खूब पानी पी लिया। अब न रुक पाऊँगी बड़ी देर से लाइन में लगी हूँ। एक बार बाथरूम भी हो आई।”

“अरे अम्मा पानी पियो पानी”-कहता वार्डबॉय फिर दरवाजे के अंदर चला गया।

 ”अब रुक नही पाती” -अम्मा की आवाज़ दरवाज़े के बाहर ही रह गई ।

दरवाजा खुला। कतार फिर कुछ सरकी।

बुजुर्ग महिला ने फिर दरवाज़ा खटखटाया ।

अम्मा की खट-खट से बेअसर दरवाजा नहीं हिला ।

“बड़े अजीब लोग होते हैं।कोई तमीज ही नहीं”-कोई फुसफुसाया ।

बुजुर्ग महिला ने फिर एक बार दरवाजे को जोर से पीटा ।

वार्डबॉय ने दरवाजे से मुँह बाहर कर झल्लाते हुए कहा-“क्या अम्मा, समझती नहीं। दरवाजा तोड़ोगी क्या।”

“धम्म” -दरवाजा ज़ोर की आवाज़ कर फिर फ्रेम से चिपक गया।

बुजुर्ग महिला के कपड़े भिगोती हुई एक धार फर्श पर पसरने लगी॥

लोग नाक सिकोड़े, मुँह बनाते तीतर- बितर हो गए। अब कतार में केवल अम्मा थी।

-0-दीपाली ठाकुर, बी-2/38, ‘ठाकुर विला’, रोहिनीपुरम,लोकमान्य सोसायटी

रायपुर (छ. ग.)

E- mail- deepalee.thakur@gmail.com


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