शाम को एक समाज सेवी संस्था से कुछ महिलाएँ मालती से मिलने आई और उसे अपनी संस्था से जुड़ने का आग्रह करने लगीं ।
” मुझे करना क्या होगा आपकी इस संस्था का सदस्य बनने हेतु ?”मालती ने औपचारिकतावश पूछा ।
“बस आपको अनाथाश्रम , वृद्धाश्रम और बाल सुधारगृह में कुछ पैसे दान करने होंगे । कभी अपाहिजों को व्हील चेअर दान करना कभी गरीब लोगों को खाना खिलाना जैसे कार्यों में अपना तन,मन और धन से सहयोग देना होगा ।
“देखिए मैं ये परोपकार के कार्य तो बिना किसी संस्था से जुड़े भी करती हूँ।वैसे भी बड़े बुज़ुर्ग कह गए हैं कि एक हाथ से दान दो तो दूसरे हाथ को भी खबर न हो कि दान किया है ।फिर ये दिखावा क्यों?”मालती ने अपना पक्ष रखते हुए कहा।
“देखिये ..ये सब पुरानी दकियानूसी बातें हैं । यदि ऐसा होता तो समाज सेवी संस्थाओं का अस्तित्व ही न होता ।फिर मालूम भी तो हो लोगों को कि आप कितने समर्थ हो कितने दिलदार हो;इसलिए हमारी संस्था आपको अखबारों में तस्वीरों के साथ ‘सम्मान’ भी दिलवाएगी । ऊपर से सोने पे सुहागा..! आप तो खुद लेखक भी हैं । अपने साथ साथ हमारी संस्था के सम्मान में भी कुछ लिख दिया करेंगी ,तो आपका भी नाम होगा हमारा भी ।
-0- रश्मि तरीका,12 –ए, टॉवर-बी, रतनांश अपार्टमेण्ट, नीयर धीरज संस, जी डी गोयनका रोड, वेसू , सूरत-395007