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अमृतसर में 27वाँ अन्तर्राज्यीय लघुकथा (मिन्नी कहानी) सम्मेलन

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लघुकथाओं का पाठ/ पुस्तकों का लोकार्पण/ सम्मान समारोह एवं नाटकों का प्रदर्शन रहा आकर्षण

अमृतसर 20 अक्टूबर: मिन्नी कहानी लेखक मंच पंजाब और अदारा त्रैमासिक ‘मिन्नी’ की और से 27वां अन्तर्राज्जीय मिन्नी कहानी सम्मेलन भारत ज्ञान विज्ञान समिति रजि. चंडीगढ़ और ऑल इंडिया पिंगलवाड़ा चैरिटेबल सोसाइटी रजि. अमृतसर के सहयोग से 16-17 अक्टूबर को मानांवाला ब्रांच पिंगलवाड़ा अमृतसर के माता मेहताब कौर हाल में करवाया गया। मिन्नी कहानी लेखक मंच पंजाब के संरक्षक डॉ श्याम सुंदर दीप्ति के नेतृत्व में हुए इस समागम में भारत देश के विभिन्न राज्यों से लघुकथाकारों, आलोचकों और सहयोगियों ने भाग लिया। 16 अक्टूबर के पहले सत्र की शुरुआत डॉ. भवानी शंकर गर्ग ने पंजाबी के सुप्रसिद्ध शायर जनाब सुरजीत पातर की लोकप्रिय कविता ‘उठ जगा दे मोमबत्तियां’ तरन्नुम में गा कर की। इस पश्चात कार्यक्रम के संयोजक जगदीश राय कुलरिया ने सभी आगन्तुक लेखकों और विद्वानों का अभिनंदन किया। मंच के संयोजक हरभजन सिंह खेमकरनी ने त्रैमासिक ‘मिन्नी’ के 33 साल की यात्रा और मंच की गतिविधियाँ की जानकारी प्रदान की। इस पश्चात् किसानी आंदोलन के विषय से संबंधित मिन्नी कहानियों के पाठ के  शुरू हुए प्रथम सत्र में सीमा वर्मा ने ‘हक दी लड़ाई’, सुरेंद्र कैले ने ‘चढ़ते सूरज दी लाली’, कुलविंदर कौशल ने ‘पुट्ठे दिमाग दा बन्दा।, महेंद्र पाल मिन्दा ने ‘एहो हमारा जीवना’, जगदीश राय कुलरिया ने ‘बाजी’, दर्शन सिंह बरेटा ने ‘बरकत’, गुरसेवक सिंह रोड़की ने ‘राह दसेरा’, रंजीत आजाद कांझला ने ‘किसान आंदोलन’, रघुवीर सिंह मेहमी ने ‘बारस’ नाम की मिन्नी कहानियों का पाठ किया। इन मिन्नी कहानियों की समीक्षा करते हुए डॉ. नायब सिंह मंडेर ने कहा कि पंजाबी मिन्नी कहानी ने सही मायने में किसान आंदोलन को प्रकट किया है और इस आंदोलन को एक इतिहास के रूप में संरक्षित किया है। इसके पश्चात् गुरमेल शामनगर के निर्देशन में लोक कला मंच मजीठा की टीम ने किसान आंदोलन पर लिखी लघुकथाओं पर आधारित ‘मिट्टी दे जाए’ नाटक  का प्रदर्शन किया,  जिसे काफी सराहा गया। फिर दूसरे सत्र  ‘पंजाबी मिन्नी कहानी- पाठ और चर्चा’ की शुरुआत हुई जिसमें दर्शन सिंह बरेटा ने ‘जिंदगी दी वापसी’, बीर इंदर बनभोरी ने ‘धर्म’, डॉ.करमजीत सिंह नडाला ने ‘दीये’, सुखदर्शन गर्ग ने ‘आधि ही सही’, सुरिंदर कैले ने ‘वाघे दी वाढ, रंजीत आजाद कांझला ने ‘सवाल’, बूटा खान सुखी ने ‘गुनाह’, गुरमीत रामपुरी ने ‘भेत’, एम. अनवर अंजुम ने ‘जिम्मेदारी’, परगट सिंह जम्बर ने ‘मौला बलद’, सुरजीत सिंह जीत ने ‘निर्भय’, हरप्रीत सिंह राणा ने ‘पागल’, रघबीर सिंह मेहमी ने ‘जुर्माना’, विवेक ने ‘दबका’, सतनाम जस्सर ने ‘सांझ’, हरभजन सिंह खेमकरनी ने ‘भुब्बल दा सेक’, राजवंत कौर बाजवा ने ‘बापू हरनाम सिंह’’, हरजीत सिंह ने ‘सवेर’ नाम की मिन्नी कहानियों का पाठ किया। इन मिन्नी कहानियों पर डॉ. अशोक भाटिया करनाल, डॉ. कुलदीप सिंह कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय और निरंजन बोहा ने मिन्नी कहाकी कलात्मक तकनीकों और सामाजिक सरोकारों की आलोचनात्मक समीक्षा की। 17 अक्टूबर को, पहला सत्र ‘हिंदी लघुकथा पाठ और चर्चा’ शुरू हुआ। जिसमें अशोक बैरागी ने ‘बर्फीली आग’, योगराज प्रभाकर ने ‘जंबू दीपे भारत खंडे, बलराम अग्रवाल ने ‘विशाखानंदन’, अशोक भाटिया ने ‘सूत्रधार’, अंजू खरबंदा ने ‘सौ बटा सौ’, सीमा भाटिया ने ‘अपने अपने आसमां’, कांता राय ने ‘प्रकाश के मुहाने पर’, डॉ.मेजर शक्ति राज कौशिक ने ‘गंगा शनान’, डॉ शील कौशिक ने ‘बदलती प्रश्नावली’, राधे श्याम भारतीय ने ‘धर्म’, प्रद्युमन भल्ला ने ‘बड़े साब’ और अशोक दर्द ने ‘दो दृश्य ‘ नामक लघुकथाएँ सुनाईं।  जिस पर डॉ. कुलदीप सिंह दीप, प्रो.गुरदीप ढिल्लों ने हिंदी लघुकथाओं के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। दूसरा सत्र ‘पंजाबी मिन्नी कहानी पर चर्चा’ के साथ शुरू हुआ जिसमें सीमा वर्मा ने ‘उसकी माँ’,  गुरप्रीत कौर ने ‘झंडे वाली बाह’’, सुखविंदर दानगढ़ ने ‘वोट दा मुल’ , मंगत कुलजींद ने ‘बास्ता’’, गुरसेवक सिंह रोड़की ने ‘ इत्थे की है’, राजदेव कौर सिद्धू ने ‘ कुदरत दे रंग’, भूपिंदर सिंह मान ने ‘ इंसान’, सोमा कलसिया ने ‘पाड़ा’, के.साईलोक ने ‘गुंझला’, अमरजीत कौर हरड ने ‘किरदार’, इकबाल सिंह ने ‘होनी अन्होनी’, जगदीश कुलरिया ने ‘जिंदगी’, महेंद्र पाल मिन्दा ने ‘आस’, डॉ.नायब सिंह मंडेर ने ‘रोशनी’, कुलविंदर कौशल ने ‘विरासत’, परमजीत कौर ने ‘वीडियो कॉल’, सतपाल खुल्लर ने ‘शिष्य’ और रमनदीप कौर रमी ने ‘आस’ नाम की मिन्नी कहानियों का पाठ किया। इन मिन्नी कहानियों पर डॉ दीपा कुमार दिल्ली विश्वविद्यालय और डॉ.रविंदर सिंह संधू पंजाबी विश्वविद्यालय क्षेत्रीय केंद्र बठिंडा ने पंजाबी मिन्नी कहानियों की संरचना, बनावट इत्यादि पर आलोचनात्मक समीक्षा की।  इसके बाद तीसरा सत्र ‘पंजाबी मिन्नी कहानियों पर नाटकी संभावना’ शुरू हुआ। जिसमें मुख्य रूप से डॉक्टर प्यारे लाल गर्ग, संयोजक भारत ज्ञान विज्ञान समिति और केवल धालीवाल शिरोमणि नाटककार ने बातचीत करते हुए मिन्नी कहानी में नाटकी संभावना के साथ-साथ रंगमंच का लोक जन के साथ संबंध और इसके रोल के बारे में विस्तार सहित बात की। डॉ गर्ग ने भारत ज्ञान विज्ञान समिति के वर्कशॉप के उद्देश और कार्यप्रणाली के बारे में भी प्रकाश डाला और कहा के साहित्य की वही कला बढ़िया है जो लोगों की बात लोगों की भाषा में करें। अशोक पुरी के संचालन में हुए इस सत्र में सुरेंद्र कैले, डॉ कुलदीप पुरी, भूपिंदर सिंह मान, गुरमेल श्याम नगर और परगट सिंह जम्बर ने भी अपने विचार प्रकट किए। अशोक पुरी ने अपनी टीम के साथ नाटक की पेशकारी की। कार्यक्रम का अंतिम सत्र पुस्तक लोकार्पण और सम्मान समारोह था। जिस में डॉक्टर इंदरजीत कौर मुख्य सेवादार पिंगलवाड़ा मुख्य मेहमान और डॉ प्यारे लाल गर्ग चंडीगढ़ विशेष मेहमान के रूप में शामिल हुए। इस समय संबोधन करते हुए बीबी इंद्रजीत कौर ने लेखकों को अपील की के वह समाज के भले हेतु रचनाओं का सृजन करें। लेखकों, विद्वानों के सिर पर बड़ी जिम्मेवारी है कि वह सेहतमंद और सही  नैतिक मूल्य वाले समाज के निर्माण हेतु कार्य करें। उन्होंने पिंगलवाड़ा संस्था के कार्य और साहित्यिक क्षेत्र में किए जा रहे कामों के बारे में भी विस्तार से बातचीत की। इसके पश्चात पुस्तक लोकार्पण के कार्यक्रम में ‘त्रैमासिक मिन्नी’ का अंक 132 नंबर, ‘मिट्टी दे जाए’ (किसानी आंदोलन से संबंधित मिन्नी कहानियाँ) गौरतलब मिनी कहानियाँ-9 (जिंदगी दी वापसी – दर्शन सिंह बरेटा), गौरतलब मिनी कहानियाँ 10 (बदलदी हवा – हरप्रीत सिंह राणा) कागज दा पिंड (कांता राय, भोपाल, अनुवादक: विवेक), मैं हवाड नहीं ( मिन्नी  कहानी संग्रह- अमरजीत कौर हरड), छूटा हुआ समान – लघुकथा संग्रह (डॉ शील कौशिक), त्रैमासिक ‘अनु’ का नया अंक (सं: सुरेंद्र कैले), अनिल शूर आजाद दीया चोनवीयां मिन्नी कहानियां (अनु: योगराज प्रभाकर), मधुदीप दीया चोनवीयां मिन्नी कहानियां (अनु: योगराज प्रभाकर), चिड़िया लघुकथा संग्रह हिंदी (डॉ प्रदीप कौड़ा – अनु: योगराज प्रभाकर), त्रैमासिक ‘शब्द तिरंजन’ का नया अंक (सं: मंगत कुलजिन्द), प्रतिरोध (आलोचना) डॉ अशोक भाटिया, खिड़की का दुख – लघुकथा संग्रह (राधेश्याम भारतीय), ‘अस्तित्व दी वापसी’ – लघुकथा संग्रह (कांता राय), ‘तर्कशीलता ते जीवन’-डॉ श्याम सुन्दर दीप्ति, त्रैमासिक ‘छिन्न’ (संपादक-तृपत भट्टी, हरप्रीत सिंह राणा और दविंदर पटियालवी), ‘पंख, पीर और परबत’ -लघुकथा संग्रह डॉ शंकुतला किरण, ‘सूली उप्पर सेज’ -लघुकथा संग्रह डॉ बलराम अग्रवाल, एक विलखन शख्शियत भाई राम सिंह-हरपाल सिंह पुन्नू इत्यदि पुस्तकों को लोकार्पण किया गया और गुरबचन सिंह कोहली यादगारी मिन्नी कहानी प्रतिबद्धता पुरस्कार 2020  – अणु पत्रिका के संपादक  सुरिंदर कैले, गुलशन राय यादगारी मिन्नी कहानी सर्वोत्तम पुस्तक पुरस्कार 2020  – मिन्नी कहानी संग्रह  ‘निक्के निक्के इस्सा’ के लिए जसबीर ढंड मानसा, अमरजीत सिंह सरीह एएसआई यादगारी मिन्नी कहानी आलोचक पुरस्कार2020-  डॉ रविंदर संधू बठिंडा, माता महादेवी कौशिक यादगारी मिन्नी कहानी स्त्री लेखिका पुरस्कार 2020  – सीमा वर्मा लुधियाना, माता इंदिरा स्वपन यादगारी मिन्नी कहानी विकास पुरस्कार 2020- लघुकथा कलश के संपादक योगराज प्रभाकर, राजिंदर कुमार नीटा यादगारी मिन्नी कहानी युवा लेखक पुरस्कार 2020 -सुखविंदर दानगढ़ बरनाला और कॉमरेड जसवंत सिंह कार शिंगार यादगारी मिन्नी कहानी सहयोगी पुरस्कार 2020 –इंज. दलजीत सिंह कोहली को प्रदान किया गया। दो दिन चले इस कार्यक्रम में औरों के सिवा डॉ मक्खन सिंह भुलथ, डॉ भवानी शंकर गर्ग, मोहन सिंह घग्ग, अशोक टांडी, संदीप कुमार, सुखजीवन, हेम राज गर्ग, वरिंदर आज़ाद, बलविंदर सिंह भट्टी, जोगा सिंह धनौला, अजीत नबीपुरी, डॉ हरजिंदर कौर कंग, डॉ कश्मीर सिंह, डॉ परषोतम लाल, हरिंदर पाल सिंह, हरजीत सिंह अरोड़ा, योगेश कुमार, सोहन सिंह और मोहन सिंह वी उपस्थित थे। कार्यकर्म का मंच संचालन जगदीश राय कुलरियाँ ने किया। आल इंडिया पिंगलवाड़ा सोसाइटी की तरफ से खाने, रहने और प्रोग्राम संचालन के बेहतर इंतज़ाम किये गए थे जो के काबिल- ए -तारीफ़ थे। कार्यक्रम में भाग  लेने वाले लेखकों ने पिंगलवाड़ा संस्था के वार्डो का दौरा कर  संस्था के बारे  में जानकारी हासिल की।

– जगदीश राय कुलरियाँ, महेंद्रपाल मिन्दा


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