लघुकथा सृजन और रचना कौशल
विगत दिनों मूर्धन्य लघुकथाकार श्री सुकेश साहनी जी के लघुकथा विषयक आलेखों का महत्वपूर्ण संकलन प्रकाश में आया है। ‘लघुकथा सृजन और रचना-कौशल’ शीर्षक इस संकलन में लघुकथा के सन्दर्भ में विभिन्न अवसरों पर...
View Articleपुस्तकें
1 मधुदीप : लघुकथा- सृजन के विविध आयाम, सम्पादक : डॉ. उमेश महादोषी, प्रकाशक : दिशा प्रकाशन,138/16,त्रिनगर, दिल्ली-110035,संस्करण : प्रथम 2021, मूल्य-1000/-,पृष्ठ 728 2 प्रतिरोध (लघुकथाएँ), सम्पादक :...
View Articleसमकालीन लघुकथा में संघर्ष चेतना
समकालीन लघुकथा में गद्य-साहित्य के विविध रूपों की तरह पीड़ित शोषित एवं दमित जन की उपस्थिति एवं उसकी संघर्ष चेतना के प्रति गहरे रचनात्मक सरोकार लघुकथा को एक गद्य रूप ही नहीं रहने देते बल्कि उसे अधिक...
View Articleलघुकथा प्रतियोगिता
कुसुमाकर दूबे स्मृति लघुकथा प्रतियोगिता जुलाई 2021 का परिणाम घोषित साहित्यकार और आकाशवाणी दरभंगा के कार्यक्रम अधिशासी अधिकारी स्वर्गीय कुसुमाकर दूबे की स्मृति में नवोदित सह गम्भीर लघुकथाकारों मृणाल...
View Articleबिगड़ा कौन/ बिगड्यू कु
अनुवाद : डॉ. कविता भट्ट ‘ हे ब्वे! यु सवाल समज माँ नि औणूं, जरा समजै द्यावा! घौरौ तैं काम मिल्यु च! ‘ आठ बरसा का अंकित न रीमा माँ बोली। सोफा म बैठिं रीमा अपडि दगड्या कविता कि गैलि चैट छै कन्नि। ब्याळि...
View Articleलघुकथाएँ
1-हिसाब “मै पूछता हूँ कि गरीबऊ के वहाँ कौन जा रहा है,” पिताजी ने खाट पर पड़े-पड़े जानना चाहा। शादी-व्याह, अवा-गवा, न्योता-निमंत्रण का हिसाब-किताब बड़कऊ रखते थे। बोले -“अभी बताता हूँ। पहले देखने तो दो कि...
View Articleपर्त-दर-पर्त
पति के क्लीनिक जाते ही मंजू ने फोन कर मधु को अपने घर बुलाया। ‘‘आह! क्या ठंडी-ठंडी हवा चल रही है, बाहर लॉन में ही बैठते है।’’ मधु ने आते ही कहा। ‘‘छोटू लॉन में पड़ी कुर्सियों पर कपड़ा मार दो और दो गिलास...
View Articleअविश्वास
उस दिन सूरज बहुत थका-थका-सा उगा था। रमेश की तरह वह भी मानो रातभर सोया न था। रमेश पूछ-पूछकर हार गया था। पत्नी घूम-फिरकर एक ही उत्तर देती ‘‘मुझे नहीं पता अस्पताल कैसे पहुँची, किसने पहुँचाया। होश आते ही...
View Articleपरिचय
अनुवाद-योगराज प्रभाकर ‘‘सर, इस फार्म पर मोहर लगवानी है।’’ मैंने खिड़की से हाथ बढ़ाकर कहा। ‘‘अरे! ऐसे कैसे मोहर लगा दें भला…न कोई जान, न पहचान। ये फॉर्म तो वैसे भी अधूरा है, जो पहले...
View Articleनाना का साथी
बचपन में गर्मियों की छुट्टियों में माँ के साथ नाना के गाँव आता था। कितना सुंदर गाँव है हमारे नाना का, एक लाइन में साफ सुथरे लिपे- पुते मिट्टी के घर। नाना के घर के सामने चबूतरे पर नीम का पेड़ था। पेड़...
View Articleअमृतसर में 27वाँ अन्तर्राज्यीय लघुकथा (मिन्नी कहानी) सम्मेलन
लघुकथाओं का पाठ/ पुस्तकों का लोकार्पण/ सम्मान समारोह एवं नाटकों का प्रदर्शन रहा आकर्षण अमृतसर 20 अक्टूबर: मिन्नी कहानी लेखक मंच पंजाब और अदारा त्रैमासिक ‘मिन्नी’ की और से 27वां अन्तर्राज्जीय मिन्नी...
View Articleपहली बार
अनुवाद :सुकेश साहनी) जून के महीने में घास ने एक पेड़ की छाया से कहा, “तुम एक जगह टिक कर क्यों नहीं बैठती हो? तुम्हारे दाएं-बाएँ आने जाने से मुझे बहुत परेशानी होती है।” घास ने उत्तर दिया, “मैं नहीं...
View Articleमेरी पसन्द
साहित्य के रूप केवल रूप नहीं हैं बल्कि जीवन को समझने के भिन्न- भिन्न माध्यम हैं। एक माध्यम जब चुकता दिखाई पड़ता है, तो दूसरे माध्यम का निर्माण किया जाता है। अपनी इसी यात्रा में साहित्य ने समय समय पर...
View Articleलाठी
“सुनिए जी, आज हमारा बेटा, बहू से कह रहा था कि, शहर में बनने वाला मकान कुछ दिनों में पूरा हो जाएगा और वे लोग वहाँ चले जाएँगे।” “चलो अच्छा है।”- वृद्ध ने ठंडी साँस भरते हुए कहा। ” क्या अच्छा है? हम यहाँ,...
View Articleबची-खुची संपत्ति
बची-खुची संपत्ति ‘‘अनन्त सौन्दर्य और अखण्ड रूप-माधुरी लेकर भी तुम भीख माँगने चली हो सुन्दरी!’’-कहते हुए धनी युवा की सतृष्ण आँखें उसके मुख-मण्डल पर जम गईं। वह मुस्कुराने लगा और साथ ही साथ विचित्र...
View ArticleThe School
Translated from the Original Hindi by Kanwar Dinesh Singh It was an annual day function at the school. I was also invited there. The only son of the headmaster, who was eight years old, was shown in...
View Articleसवाल माँ का
चौराहे पर किसी को देखने हेतु ड्राइवर ने गाड़ी रोकी। तभी वह बुढ़िया हाथ में कुछ लम्बे-लम्बे बालपैन लिये कार के पास आई। वह दरवाजे के काँच को ठकठका कर बालपैन लेने को कह रही थी। न मैंने, न ड्राइवर ने शीशा...
View Articleकथादेश अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता-13 में पुरस्कृत लघुकथाओं का प्रकाशन
कथादेश अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता-13 में पुरस्कृत लघुकथाओं का प्रकाशन
View Articleसहमा हुआ सच
” मौसम के आसार अच्छे नहीं लग रहे हैं। बहुत ज़ोर से बरसेगा आज।” काली गहराती रात और काले होते आसमान को देखकर चूल्हे की आग को तेज करती पत्नी बोली ।ठंड उसके गर्म फिरन के अंदर आकर मानो जम गई थी। ” हूँ उ उ…...
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