एक वृद्धा अक्सर वृद्धाश्रम के मेन गेट पर आकर खड़ी हो जाती थी और सड़क की तरफ़ एकटक देखती थी। यह इलाक़ा शहर से बाहर होने के कारण कुछ लोग सायं भ्रमण के लिए वहाँ से निकलते थे। एक सज्जन वृद्धा को कई दिनों से देख रहे थे।एक दिन उन्होंने वृद्धा को बड़ी संजीदगी से टोक दिया, “माता जी, आप काफ़ी दिनों से इधर एक ही तरफ़ देखती हुई खड़ी रहती हैं। क्या इस रास्ते से कोई आने वाला है?”
उसका प्रश्न सुन वृद्धा के नेत्र में एक अंतहीन सड़क उग आई। बोली, “नहीं बेतक, मुझे छोड़कर इस रास्ते से कोई चला गया था।”