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Channel: लघुकथा
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कहानी खत्म

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“एक लड़की थी । उसके चार बड़े भाई थे । जब लड़की छोटी थी तो बहुत हँसमुख और खेलकूद में प्रवीण थी । नृत्य आदि का भी बहुत शौक था उसे । कहा जाय कि सर्वगुण संपन्न थी तो गलत नहीं होगा । वह भाइयों की तरह ही साइकिल चलाना भी चाहती थी, लेकिन उस पर बंदिश लगा दी गई कि वह लड़की है ; इसलिए नहीं चलाएगी । धीरे-धीरे वह बड़ी होने लगी और उसपर बहुत- सी बंदिशे लगने लगी;  क्योंकि वह लड़की थी । बस घरेलू काम करने के लिए प्रेरित किया जाने लगा, क्योंकि शादी के बाद ससुराल जाना और घर सँभालना होगा । यहाँ तक कि जोर से हँसने पर भी पाबंदी लगने लगी । फिर एक दिन उसकी शादी हो गई … ।”
“फिर क्या हुआ ? …” दादी का मुँह ताकती हुई आठ वर्षीय रुचि पूछ बैठी ।
बालकनी में बैठी दादी आसमान में उड़ते परिंदे और बादलों से छनकर आती रोशनी को निहार रही थी ।
रुचि दादी को हिलाते हुए बोली “दादी आगे भी तो बताओ ना..।”
दादी अपने अतीत के झुरमुट से बाहर आई और रुचि को गले लगाते हुए बोली- “आगे ? आगे वह घर सँभालने में लगी रही , बच्चों की माँ बनी, फिर रुचि की दादी बनी, कहानी खत्म। लेकिन तुम्हें उस परिंदे की तरह उड़ान भरना है । समझी ..”

–पूनम झा

-0- poonamjha14869@gmail.com


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