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Channel: लघुकथा
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पथ प्रदर्शक

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‘‘अठारह वर्ष से कम उम्र के बच्चों को तम्बाकू या तम्बाकू से बने पदार्थ बेचना दंडनीय अपराध है।’’

शहर में पान की दुकानों पर यह तख़्ती लगी थी। स्कूल के छोकरे सिगरेट पीना चाह रहे थे।

‘‘ओए, जा ले आ सिगरेट।’’

‘‘मैं नहीं जाता। पान वाला नहीं देगा।’’

‘‘अबे, कह दिया, पापा ने मँगाई है।’’

‘‘स्कूल में…..?’’

‘‘चलो, शाम को नुक्कड़ पर मिलेंगे।’’

‘‘ठीक है।’’

‘‘भइया, एक सिगरेट का पैकेट देना। हाँ, गुटखा भी।’’

‘‘बच्चे, तुम तो बहुत छोटे हो। तुम्हें नहीं मिल सकता।’’

‘‘अंकल, मेरे पापा ने मंगवाई है। ये लौ पैसे।’’

‘‘ओह! तुम तो वर्मा साब के बेटे हो।’’

पानवाले ने सहर्ष उसे सामान दे दिया।

कुछ दिन बाद….।

‘‘राम–राम वर्मा साब।’’

‘‘लीजिए साब। आजकल बेटे से बहुत सिगरेट मँगाने लगे हो। हर रोज शाम को आ जाता है।’’

सुनकर वर्मा साब के हाथ से सिगरेट छूट गई।

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