“आई लव यू मैम।”-सुनकर अनुराधा के कान झनझना गए।
” व्हाट … व्हाट आर यू सेइंग इडियट!”
जी में आया, बोलने वाले को कसकर एक थप्पड़ रसीद कर दे।
किसी तरह खुद को रोकते हुए पलट कर देखा, तो एक दुबले – पतले- साँवले देखने से ही ग्रामीण परिवेश वाले नवयुवक पर नजर ठहर गई।
लड़का सिर झुकाए किसी अपराधी-सा खड़ा था।
अनुराधा ने लड़के पर ऊपर से नीचे तक नजर डाली, भोला-भाला चेहरा स्पष्ट गवाही दे रहा था,” सीधा गांव से उठ कर चला आ रहा है।”
फिर नज़र घुमा कर चारो ओर देखा।
कुछ दूरी पर खड़े हुए लड़के – लड़कियों का झुंड ठहाका लगा कर हँस रहा है।
समझते देर नहीं लगी ‘न्यू कमर’ की रैगिंग ली जा रही है।
“परिपक्व दिल की गवाही पर कि इसकी मदद करनी चाहिए।”
उसका गुस्सा थमता नजर आया।
” मैम! लड़का हकलाते हुए …” आप मुझ पर नाराज तो नहीं हैं ना? मुझसे आपको पटाने के लिए कहा गया है।”
मोबाइल ऑन कर हकलाते हुए…” सिर्फ एक … ” आगे कहने की उसकी हिम्मत नहीं पड़ी।
उसकी सौम्यता से प्रभावित अनुराधा ने सहजता से पूछा, ” किस होस्टल में हो? “
” जी ‘अंबेडकर – छात्रावास’। ”
पिछले साल के घटे एक अत्यंत दुखद हादसे को याद कर अनुराधा काँप गई। फिर उसके संकोच को दूर करती हुई फुसफुसाई,”इस तरह दब्बू और सहमकर रहोगे तो वे लोग तुम्हें बहुत टॉर्चर करेंगे,जीना मुश्किल कर देंगे। अपने डर और झिझक को छोड़कर थोड़ा बोल्ड बन लो।”
फिर एक कदम आगे बढ़कर पूछा, “क्या नाम है तुम्हारा? “
“अरविन्द कुमार”- क्षणांश के लिए लड़के ने आगे झुकने की ऐक्टिंग की, फिर तत्क्षण पीछे हट गया।
” ठीक हो ना? “
” जी मैम!”
” जाओ … अब वे तुम्हें तंग नहीं करेंगे।” उसका मतलब रैगिंग लेने वाले छात्रों से था।
वह धीमी चाल से चल्ते हुई अपने रहवास ‘रणजीत होस्टल’ की तरफ बढ़ गई।
इधर लड़के की चाल में आत्मविश्वास की झलक दिखाई देने लगी।
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