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Channel: लघुकथा
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विश्वास

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रात के तीन बज रहे थे… वह पति की प्रतीक्षा कर रही थी… मगर वह अब तक नहीं लौटा, तो अपने में ही बड़बड़ाई कि आजकल देख रही हूँ कि कई दिन से ये रात-रात भर गायब रहते हैं… या काफी देर रात गए लौटते हैं… पूछने पर बता देते हैं, “कम्पनी का कोई अधिकारी आया हुआ था, उसी से मीटिंग चल रही थी…” ; किन्तु पति का यह उत्तर उसे संतुष्ट नहीं कर पा रहा था। उसे शक हुआ कि उसका पति किसी अन्य औरत के चक्कर में है…।

अतः उसने इंग्लैंड से अपनी सास को फोन किया और सारी बात बता दी। सास ने कहा, “बेटा! वो ऐसा तो नहीं … मगर फिर भी तू उसे फोन कर और पता लगा कि फोन शहर के किस स्थान से रिसीव हुआ है? जाकर अकस्मात् देख ले… दूध-का-दूध पानी-का-पानी हो जाएगा।”

यह सुनकर उसने पति को फोन किया, “कब तक घर लौटेंगे?”

चार-पाँच घंटे तो लग जाएँगे।”

इतना सुनते ही उसने गाड़ी निकाली और गंतव्य पर पहुँच गई। वहाँ जाकर उसने देखा… वाकई कार्यालीय मीटिंग चल रही थी। अन्य-अन्य देशों से आए सदस्य किसी बड़ी डील पर विचार-विमर्श करने में व्यस्त थे। यह देखकर पत्नी ग्लानि के सागर में डूब गई…।”

पति ने पूछा, “क्या बात है मोनल?”

ग्लानि में डूबी… उसके मुँह से बहुत ही धीरे से निकला, “जी कुछ नहीं।” पति समझ गया कि यह शक़ के घेरे में घिर गई है, तो उसने कहा, “पूरी दुनिया विश्वास पर चलती है।”

“जी हाँ!”

“विश्वास का जन्म व्यक्ति के जन्म लेते ही हो जाता है। बच्चे के पैदा पर माँ बच्चे को बताती है कि बेटा! ये तेरे पिताजी हैं…। बच्चा पूरा जीवन यही विश्वास और पिता का नाम लेकर जीता है। असली पिता कौन है? ये सिर्फ  माँ अलावा कोई नहीं बता सकता।”

“आई एम सॉरी।” इतना कहकर वह अपने निवास हेतु पलट पड़ी।

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