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Channel: लघुकथा
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एक खुशी ऐसी भी

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अरे, सुन तुझे एक खुशखबरी सुनाती हूँ।फोन पर चहकती आवाज आई

हाँ, बता ना।दूसरी ओर बेसब्र आवाज थी।

तुझे बताई थी न मेरी मेड काम छोड़ रही है।

हाँ, तू बता रही थी उसकी शादी होने वाली है।

हाँ वही, मेरा तो बी. पी. बढ़ गया था। यार कैसे मैनेज करूँगी। इस दिसंबर की ठंड में कोई मिल भी नहीं रही थी।

कोई नई मिल गई क्या ? तेरी आवाज तो बड़ी खुश लग रही है।

अरे, सुन तो। आज बोल गई है- काम नहीं छोड़ेगी,  करती रहेगी

क्यों ?” चौंकते हुए पूछा ।

शादी टूट गई।

ओह बेचारी!’’

आवाज ठहाके में बदल गई।

“तू क्यों दुखी हो रही है। इनका क्या ? आज इससे , कल उससे। मेरी तो जान बच गई  इस कड़ाके की ठंड में।”

‘‘अच्छा रखती हूँ आज आराम से मेनिक्योर- पेडीक्योर करवाऊँगी”-और फोन कट गया ।

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