हैप्पी फ़ैमिली
पाँचवाँ पुरस्कार “त्योहारी सीजन आने वाला है. इस साल उत्पादों की बिक्री बढ़ाने के लिए कोई धमाकेदार ऑफर की स्कीम बनाओ.” घरेलू सामान बनाने वाली कंपनी के मालिक ने अपनी बिजनस टीम के मुखिया से कहा. “आम तौर...
View Articleचोर
चौथा पुरस्कार मस्ज़िद से निकलते ही उसकी नज़र आसमान में लहराती हुई कटी पतंग पर पड़ी. ट्रैफिक और भीड़ से बेपरवाह वह दौड़ पड़ा. निगाह पतंग पर अटकी थी. पतंग ने लंबा गोता खाया और एक आँगन में जा गिरी....
View Articleफ़र्क
तीसरा पुरस्कार राम प्रसाद जी एक बात अक्सर अपने मिलने वालों से कहा करते थे,”परिवार हो या फिर बगीचा उसकी देखभाल बड़े जतन से करनी पड़ती है तब जाकर वे हरे-भरे और खुशहाल बनते हैं। उनकी इस सोच का...
View Articleसम विधान
“इतनी देर से कैमरा लेकर घूम रहा हूँ, ढंग का कुछ मैटीरियल ही नहीं मिल रहा. जाने इस देश के सारे भूखे नंगे बच्चे कहाँ जाकर मर गए हैं।” “अरे, आज 26 जनवरी की छुट्टी है। इधर शहर में कुछ नहीं मिलेगा. उधर...
View Articleपाप
पहला पुरस्कार कन्या पैदा हुई। घर के सब लोग एकदम ख़ामोश थे। कन्या के गले में तम्बाकू रख दिया गया, कन्या हिचकी भी नहीं ले पाई। दो मर्दों ने, जिनमें से एक कन्या का पिता था, गड्ढा खोदा और निरासक्त भाव से...
View Articleनई पुस्तक
लघुकथा: चिंतन एवं सृजन (लघुकथा- संग्रह): सम्पादक- रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’, आवरण: जैस्मिन जोविअल, पृष्ठ: 120, मूल्य: 300 रुपये, ISBN: 978-93-6423-599-0, प्रथम संस्करण: 2024, प्रकाशक: अयन प्रकाशन,...
View Articleमैं एकलव्य नहीं(लघुकथा- संग्रह-जगदीश राय कुलरियाँ):
‘मैं एकलव्य नहीं ’लघुकथाकार जगदीश कुलरियाँ का लघुकथा संग्रह लघुकथा लेखन की परिपक्व जमीन का पता देता है। जो एक प्रकार से ऐसी उर्वरा भूमि है जहाँ खरपतवारों को पैदा होने की कोई अनुमति नहीं है प्रत्युत...
View Articleजयशंकर प्रसाद की लघुकथाएँ
जयंशकर प्रसाद आधुनिक हिन्दी साहित्य के उन गिने-चुने साहित्यकारों में से एक हैं, जिनके साहित्य में भारतीय संस्कृति, जनचेतना, उदात्तता, मानव मूल्यों के प्रति चिंता एवं मनोभूमि के उतार-चढ़ाव का सजग अवगाहन...
View Articleभविष्य तो लघुकथा का ही है
लघुकथा लिखना, अर्थात सागर में सागर भरना, कम शब्दों से में बहुत कुछ कह जाना। अधिकतर लघुकथा अपने गर्भ में एक कहानी, या एक उपन्यास तक समेटे रहती हैं। लघुकथा विधा का जन्म हए कोई बहुत ज्यादा समय तो...
View Articleलघुकथाएँ
1-ख्वाब-परी “तुम एक ख्याल हो ! मेरे रंध्र-रंध्र में बसी हो। जब भी तुम्हें देखता हूँ, पलकें स्वतः मुँद जाती हैं। तुम्हारी रूप-राशि उमड़ने-घुमड़ने लगती है। दिल तुम्हें देखते रहने को आकुल होने लगता है।...
View Articleਇੱਕ ਲੁਹਾਰ ਦੀ / ਅਨਿਤਾ ਲਲਿਤ
ਅਨੁ: ਜਗਦੀਸ਼ ਰਾਏ ਕੁਲਰੀਆਂ ਪ੍ਰੈਗਨੈਂਸੀ ਟੈਸਟ ਦਾ ਨਤੀਜਾ ਸੁਕੰਨਿਆ ਦੇ ਮੂਹਰੇ ਪਿਆ ਸੀ ਅਤੇ ਉਹਦਾ ਸਿਰ ਘੁੰਮ ਰਿਹਾ ਸੀ— ‘ਇਹ ਕਿਵੇਂ ਹੋ ਗਿਆ। ਉਹ ਤਾਂ ਪੂਰੀ ਸਾਵਧਾਨੀ ਵਰਤਦੀ ਰਹੀ। ਉਹਨੂੰ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਨਹੀਂ ਹੋ ਰਿਹਾ ਸੀ।ਉਦੋਂ ਹੀ ਸ਼ਿਵਮ ਘਰ ਅੰਦਰ...
View Articleनई पुस्तकें
1-सबसे ऊँची ज़मीन(लघुकथा-संग्रह): हरभगवान चावला,प्रकाशक-न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन,C-515,बुद्ध नगर,इंद्रपुरी, नई दिल्ली-110012,संस्करण-2024,मूल्य-225, पृष्ठ-128 2-अशोक भाटिया@लघुकथा,संपादन-राधेश्याम...
View Articleडर
“माँ! इसमें डरने की क्या बात है। तुम एक बार कहकर तो देखो।अपनी पढ़ाई फिर से शुरू ही तो करना चाहती हो। “पर?” “कोई गलत काम करने थोड़े जा रही हो। पापा कोई खा थोड़े जाएँगे।” “पर?” “पर क्या…?” तभी किसी के...
View Articleएक खुशी ऐसी भी
“अरे, सुन तुझे एक खुशखबरी सुनाती हूँ।” फोन पर चहकती आवाज आई “हाँ, बता ना।” दूसरी ओर बेसब्र आवाज थी। “तुझे बताई थी न मेरी मेड काम छोड़ रही है।” “हाँ, तू बता रही थी उसकी शादी होने वाली है।” “हाँ वही,...
View Articleअन्तर
मनोहर हर दिन की तरह सुबह-सुबह अपने ठेले पर सब्जियाँ लेकर कॉलोनी में पहुंचा। एक बड़े से बंगले के सामने रुका, तो अंदर से एक महिला निकली। उसने नाक-भौं सिकोड़ते हुए कहा, ‘अरे मनोहर! तुम्हारे ठेले से कितनी...
View Articleमोक्ष-बंधन
छुपते- छुपाते साँझ के धुँधलके में उसने जंगल के पासवाले विश्राम-गृह में प्रवेश किया। श्याम-कमनीय गात, खंजन- नैन और चेहरे के भोलेपन ने साहब पर जादू कर दिया। उसे देखते ही उनके मन में कुछ होने लगा। वह...
View Articleगिरहकट
पन्ना, मैक, लंबू,हीरा, छोटू इनके असली नाम नहीं थे लेकिन दुनिया अब इसे ही इनका असली नाम मानती थी। मंगल प्रसाद गुप्ता ही पन्ना था, मथुरादास पांडे मैक बन चुका था। लंबू का असली नाम खलील अहमद था। अब का...
View Articleकाल्पनिक नरक
(अनुवाद :सुकेश साहनी) शावाकीज नगर में एक राजा रहता था। सब उसे प्यार करते थे-आदमी, औरत, बच्चे यहाँ तक कि जंगल के जानवर भी उसके प्रति सम्मान प्रगट करने आते थे; लेकिन ज्यादातर लोगों का कहना था कि रानी...
View Articleलघुकथा: चिंतन एवं सृजन (विमर्श)
हर्ष है कि लघुकथाकार रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ द्वारा सम्पादित हिन्दी चेतना ‘लघुकथा: चिंतन एवं सृजन’ पुस्तक के अध्ययन का अवसर मिला। अध्ययन इसलिए लिखा, क्योंकि इस पुस्तक से न केवल लघुकथा की...
View Article