गाब्रिएल गार्सिया मार्केस अनुवाद : अश्वनी कुमार
यह उस निराश आदमी की दास्तान है जिसने दसवीं मंजिल से नीचे सड़क पर छलांग लगाई थी और गिरते वक्त उसने खिड़कियों से अपने पड़ोसियों की घनिष्ठता, घरेलू झगड़े, गुप्त प्रेम, खुशी के पल को देखा, जिसकी खबर कभी भी सीढ़ियों तक नहीं पहुँच पाती थी। सड़क के फुटपाथ से टकराते ही दुनिया के बारे में उसकी धारणा पूरी तरह से बदल गई थी। वह इस निष्कर्ष पर पहुँचा था कि जिस जीवन को उसने झूठे कारणों से खत्म करने का फैसला लिया था, वह जीने लायक था।