अधिकार
“जानती हो, आज का दिन कुछ खास है।” पत्नी ने सुनते ही कैलेंडर की और देखा, “कौन सी तारीख है?” ‘खास दिन! हाँ, याद आया, आज अपनी शादी की सालगिरह है, आपको मुबारक हो।” पति झुँझला उठा। “इतनी ठंडी मुबारकबाद!...
View Articleबिजूका
अरे, चाचाजी आप यहाँ बैठे हैं? मैंने तो पूरा अस्पताल देख लिया। बहुत बढ़िया बनाया है, डॉ. मनीष ने।” गिरिधारीलाल जी को बेसमेंट में बैठे देख अनायास मेरे मुँह से निकल गया। “हाँ बेटा, उसकी कई साल से इच्छा...
View Articleगौरैया-बाज़
भाग-दौड़ कर, खचाखच भरी बस में रीना ने अपने आपको ढकेल-सा दिया और करीब साँस रोके खड़ी हो गई। साँस लेने और छोड़ने से शरीर में जो हलचल होती है, आगे-पीछे खड़े लोग उसका इंतज़ार कर रहे थे। ‘आज भी जाने के बाद,...
View Articleडरी हुई लड़कियाँ
“कौन था माँ?” प्राची ने पूछा। “कोरियर वाला था। तेरे नाम का लिफ़ाफ़ा दे गया है।” “लाओ दिखाओ, देखूँ क्या है।” प्राची ने लिफ़ाफ़ा खोला, पत्र पढ़ा और तहाकर रख दिया। “बता तो सही क्या लिखा है इसमें।” “मेरी सहेली...
View Articleनई पुस्तक
लघुकथा के सहयात्री (लघुकथा-संग्रह)-सम्पादक-डॉ. सुरेश वशिष्ठ; मूल्य :450₹, पृष्ठ : 168; आधुनिक प्रकाशन, 4771/23, अंसारी रोड, दरियागंज, दिल्ली -11002
View Articleकुणसी जात बताऊँ/ਕਿਹੜੀ ਦੱਸਾਂ ਜਾਤ
ਮਾਧਵ ਨਾਗਦਾ पंजाबी अनुवादःयोगराज प्रभाकर . “ਹਾੱਅ-ਹਾ! ਕਿੰਨਾਂ ਹੁੰਮ ਐ, ਸਾਹ-ਸਤ ਚੂਸ ਲਿਆ ਪਿੰਡੇ ਦਾ!” ਕਹਿੰਦਿਆਂ ਬੁਜ਼ੁਰਗ ਆ ਕੇ ਨਿੱਮ ਦੀ ਛਾਵੇਂ ਬਹਿ ਗਿਆ। ਸਿਰੋਂ ਸਾਫ਼ਾ ਲਾਹ ਕੇ ਮੱਥੇ ਨੂੰ ਹਵਾ ਲੁਆਉਣ ਲੱਗਾ। ਮੋਢੇ ਤੋਂ...
View Articleपति परमेश्वर
कथादेश लघुकथा प्रतियोगिता-7 में पुरस्कृत/ प्रकाशित पल्लवी त्रिवेदी की लघुकथा ‘पति परमेश्वर’
View Articleजुगलबंदी
अनुवाद: सुकेश साहनी नर्सरी का दरवाजा खुला, आवाज में मिश्री–सी घोलते हुए नर्स से नन्हीं मेहमान से कहा, ‘‘लो, हम आ गए, डार्लिंग! अब टॉम तुम्हें अपने सभी खिलौने दिखाएगा।’’ भूरे बालों वाली नन्हीं लड़की ने...
View Articleनई पुस्तकें
1- मुट्ठी में जुगनू (लघुकथा-संग्रह): सम्पादक-मेघा राठी,मूल्य-399/-, पृष्ठ-302, स्वयंयुग पब्लिकेशंस यूनिमोंट ऑरम,ए-विंग,क़र्ज़त, रायगढ़, महाराष्ट्र-410201 2-लघुकथा सृजन एवं समीक्षाः डॉ. ध्रुव कुमार,...
View Articleजुगलबंदी
अनुवाद: सुकेश साहनी नर्सरी का दरवाजा खुला, आवाज में मिश्री–सी घोलते हुए नर्स से नन्हीं मेहमान से कहा, ‘‘लो, हम आ गए, डार्लिंग! अब टॉम तुम्हें अपने सभी खिलौने दिखाएगा।’’ भूरे बालों वाली नन्हीं लड़की ने...
View Articleनिराश आदमी की दास्तान
गाब्रिएल गार्सिया मार्केस अनुवाद : अश्वनी कुमार यह उस निराश आदमी की दास्तान है जिसने दसवीं मंजिल से नीचे सड़क पर छलांग लगाई थी और गिरते वक्त उसने खिड़कियों से अपने पड़ोसियों की घनिष्ठता, घरेलू...
View Articleहिन्दी लघुकथा में विकलांग-विमर्श
सतीश राज पुष्करणा साहित्य की यह विशेषता है कि वह अपने समय को पूरी ईमानदारी से न मात्र रेखांकित करता चलता है अपितु उसे कलात्मक ढंग से सार्थक एवं सटीक अभिव्यक्ति भी प्रदान करता जाता है। साहित्य को...
View Articleपति परमेश्वर/ਪਤੀ ਪਰਮੇਸ਼ਵਰ
ਪਤੀ ਪਰਮੇਸ਼ਵਰ / ਪੱਲਵੀ ਤ੍ਰਿਵੇਦੀ-अनुवादः श्याम सुन्दर अग्रवाल ਇਕ ਮੁੰਡੇ ਅਤੇ ਕੁੜੀ ਦਾ ਵਿਆਹ ਹੋ ਰਿਹਾ ਸੀ। ਦੋਨੋਂ ਬਹੁਤ ਖੁਸ਼ ਸਨ। ਸਟੇਜ ਉੱਤੇ ਫੋਟੋ ਸੈਸ਼ਨ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਇਆ। ਲਾੜੇ ਨੇ ਆਪਣੇ ਦੋਸਤਾਂ ਦਾ ਪਰੀਚੈ ਨਾਲ ਖੜ੍ਹੀ ਆਪਣੀ ਸਾਲੀ...
View Articleबहुवचन का सुख/ बहुवचन कु सुख
गढ़वाली अनुवाद: डॉ.कविता भट्ट घौर म कुटुमदरी क बिच जब कै बैसबाजी म घिरी जाँदौं , त कै बि एक झणा थैं सदनी अपड़ी दगड़ म सामिल मिसल कर देंदौं, अर इन माँ ‘मि’ बिटी ‘हम’ बणीक बैस करदु छौं। ऑफिस म जब मेरी...
View Articleमेरी पसन्द
मुनाफ़ाखोरी और पूँजीवादी व्यवस्था पर तीखा कटाक्ष करती असगर वजाहत की ‘चार हाथ’ मेरी पसंदीदा लघुकथा है। मुनाफ़ाखोरी के चक्कर में मिल मालिक के दिमाग़ में दिन-रात यही घूमता रहता है कि किस प्रकार काम...
View Articleमण्डी में रामदीन
गाड़ी में तरबूज भरे हुए थे। माल देखकर शामलाल दलाल छलांग मारकर गाड़ी से नीचे उतरा। रामदीन से बोला – देख भाई, मंडी में इतनी मन्दी है कि क्या कहें? हैरान था रामदीन। ट्रक, टेम्पो, रेहड़ी रिक्शा...
View Articleलगाव
लगाव/ बलराम अग्रवाल माता जी के रहते दूसरा कोई भी बाबूजी के कमरे को नहीं झाड़ता-बुहारता था। उनकी किस चीज़ को कहाँ रखना है-वही जानती थीं; लेकिन जब से माता जी स्वर्ग सिधारी हैं, रमा ही उनका कमरा बुहारती...
View Articleहिसाब-किताब
हरभजन सिंह हर साल हरमंदर साहब में मत्था टेकने अवश्य जाता है। अमीर व्यापारी है। खूब दान-पुण्य करता है । इस समय हरभजन और उसकी पत्नी अमृतसर रेलवे स्टेशन से बाहर निकल कर ए सी...
View Articleबदलता समय
अर्धवार्षिक परीक्षाएँ अभी-अभी खत्म हुई हैं। सभी अध्यापकों ने अपने-अपने विषय की कापियों की जाँचकर बच्चों को दिखानी शुरू कर दी हैं। जैसे ही मिस्टर मेहता ने विज्ञान की कॉपी जाँची, वे एक हाथ मे बंडल उठाए,...
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