गढ़वाली अनुवाद: डॉ.कविता भट्ट
घौर म कुटुमदरी क बिच जब कै बैसबाजी म घिरी जाँदौं , त कै बि एक झणा थैं सदनी अपड़ी दगड़ म सामिल मिसल कर देंदौं, अर इन माँ ‘मि’ बिटी ‘हम’ बणीक बैस करदु छौं।
ऑफिस म जब मेरी क्वी बि गलती पकड़े जाँदी , त ‘हम कर्मचारी’ बणीक स्टाफ थैं बि अफु दगड़ मिलैक संगठित करी देंदौं ।
बिल भन्न कि लैन म खडू होंदी बगत ‘हम आम आदिमौ’ कु रोष पैदा करि लेंदौं।
अपड़ा मजहबियों क बीच म होंदौं, त ‘हम मजहबी’ अर हौर मजहबियों क बिच होंदौं त ‘हम सब मनखी’ कु बोल-भौ करि लेंदौं ।
सड़कि बिटी जाँदी बगत कै छोटा -मोटा गड्ढा पेट गाड़ी चली जांदी, त ‘हम दब्याँ कुर्च्या’ चिल्लै– चिल्लैक भीड़ कट्ठी कर लेंदौं।
भीड़ सि निबटण कि नौबत औंदी, त अफु बि भीड़ म सामिल मिसल हूँण की जुगत लगान्दु छौं।
मि , कबी बि ‘मि ’ बणीक राई नी, सदनी ‘हम’ बणीक ई रक्षा कु भौ मैसूस करदु रयों । या अलग बात च कि ‘हम’ कु रौ-भौ बदलदु राई, सदनी ।
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