“मम्मा , ये सवाल समझ नहीं आ रहा ,जरा समझा दो ! होम वर्क मिला है !”
आठ साल के अंकित ने रीमा से कहा।
सोफे पर बैठी रीमा अपनी सहेली कविता से व्हाट्स ऎप पर चैट कर रही थी। कल हुयी किटी पार्टी का विशद विश्लेषण किया जा रहा था। साड़ी ,गहने ,पकवान ,किसने क्या कहा आदि ! स्माइली और तरह तरह के मुँह बनाये चेहरों का आदान प्रदान हो रहा था।
रीमा को बीच में बड़ा व्यवधान सा मालूम हुआ।
“हूँ!अभी उठती हूँ.”
एक बार तुम फिर से कोशिश करो। ”
अंकित थोड़ी देर उसके पास बैठा रहा। कॉपी पर सवाल हल करने की कोशिश की फिर जाकर कंप्यूटर पर वीडियो गेम्स खेलने लगा।
रीमा का चैट का सिलसिला जारी रहा। लगभग आधे घंटे बाद वह उठी तो अंकित को कंप्यूटर पर खेलते देख चिल्ला उठी ,”जब देखो तब वीडियो गेम्स! न जाने आजकल के बच्चे कब सुधरेंगे?
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