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Channel: लघुकथा
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‘खिड़कियों से परे’–दीपक मशाल के लघुकथा- संग्रह पर चर्चा

1-प्रथम सेतु सम्मान समारोह का आयोजन रुझान प्रकाशन के सहयोग से उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, हज़रतगंज, लखनऊ में बुधवार 17 मई, 2017 को सायंकाल सम्पन्न हुई।कार्यक्रम  दो सत्रों में विभाजित था।दूसरे सत्र में...

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लघुकथा में शिल्प की भूमिका

  शिल्प ही किसी रचना की ताकत है और रचनाकार की पहचान भी | शिल्प यानि गढ़न, अंदाजे -बयाँ, कहन पद्धति, रचना कौशल, रचनाकार द्वारा स्वयं को तलाशने की बेचैनी | लघुकथा के संदर्भ में बात करें तो हम कह सकते हैं...

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बड़प्पन

बड़प्पन/ दीपक मशाल आज फिर घर पहुँचते ही कपिल ने पानी से पहले सहचरी से जवाब माँगा –  कोई पार्सल आया क्या? – न… नहीं आया, मैंने व्हाट्सएप्प पर मैसेज भी भेजा उसे पर आपकी वज़ह से विधु मुझसे भी बात नहीं करती।...

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वेल्यू

गोबर इकट्ठा करती माँ की नजर अजय पर पड़ी तो बोली – स्कूल तै आ गया? आज तै टैम का बेराई ना पाट्या? सारा काम पड्या है? चारा काटना है। आटा गूँथना है? मैं ऐकली सूँ न? तारी चाची की तै काम करन वाली हालत ना है!...

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घाटे का सौदा

  दो दोस्तों ने दस-बीस लड़कियों में से एक चुनी और 42 रुपए देकर उसे खरीद लिया। रात गुजारकर एक दोस्त ने पूछा, ‘‘तुम्हारा नाम क्या है?’’ लड़की ने अपना नाम बताया तो वह भन्ना गया, ‘‘हमसे तो कहा गया था कि तुम...

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मल्लिका के फूल/ थंडगार झळुक

मूल हिंदी लघुकथा : मल्लिका के फूल         मराठी अनुवाद :थंडगार झुळुक  मूल लेखिका      : डॉ सुधा गुप्ता              अनुवादक : डॉ.रश्मि नायर  थंडगार झळुक        उन्हाळ्याची सुट्टी दर वर्षीप्रमाणे भाची...

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ए. टी. एम.

     आज रिया को लड़के वाले देखने आये थे । उसे देखने से पहले ही उन्होंने उस के पिताजी से पूछ-ताछ शुरू कर दी । और बात ही बात में पूछा “कितने का सालाना पैकेज है रिया का” ? उस के पिताजी ने झिझकते हुए कहा जी...

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लघुकथाएँ

1-त्याग माँ की मृत्यु के बाद तीसरा दिन था। घर की परंपरा के अनुसार, मृतक के वंशज उनकी स्मृति में अपनी ???????????????????????????????????? प्रिय वस्तु का त्याग किया करते थे। “मैं आज के बाद बैंगनी रंग...

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हिसाब

“दुई किलो आटा और सौ ग्राम दाल दै दो। “  ” हम तो देने के लिए बैठे हैं धनिया लेकिन बदले में हमें भी तो कुछ मिले । “  खूब समझती थी बनिये का मतलब लेकिन जब्त कर गई– “एमकी दशहरा पर सारा अगला पिछला चुकता कर...

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संरचना वार्षिकी-

संरचना वार्षिकी अंक 9-सम्पादक : कमल चोपड़ा; पृष्ठ 216, मूल्य-60 रुपये मात्र,प्रकाशक-संरचना,1600/114,त्रिनगर, दिल्ली-110035

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लघुकथाएँ

1-शाब्दिक बलात्कार ‘‘ऊ! समाज कहां जा रहा है? रोज-रोज वही खबरें। 16 दिसंबर की हैवानियत के बाद बने कानून से लगा था कि अब———लेकिन नहीं——-’’ पाठक जी अपनी बेटियों के लिये चिंतित हैं। ‘‘आई-ए-एस- हो या...

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प्रगति

विद्यार्थियों ने हड़ताल कर दी। प्राचार्य बहुत दुःखी थे। उनका अन्तर्मन आहत था। विद्यार्थियों को सहलाते हुए उन्होंने आहिस्ता.आहिस्ता अपनी समझाइश शुरू की-‘‘आप लोग हड़ताल क्यों कर रहे हैं ? मेरे पास आकर पहले...

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लघुकथा-कोलाज़ -, हँसी की चीखें

 लघुकथा-कोलाज़ : हरिशंकर  शर्मा,मूल्य;100रुपये बोधि प्रकाशन , जयपुर,     हँसी की चीखें लघुकथा-संग्रह-संतोष सुपेकर, पृष्ठ;130, मूल्य-सज़िल्द; 230 रुपये, संस्करण :2017 :प्रकाशक-अक्षरविन्यास, एफ़-6/3, ॠषिनगर...

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चयन

राज्य की संयुक्त स्कूली हाकी टीम की चयन प्रक्रिया चल रही थी । विभिन्न जिलों से 5 लड़कों को शॉर्ट लिस्ट किया गया था । उनमें से सोलह लड़कों का चयन राष्ट्रीय स्कूल स्पर्द्धा के लिए किया जाना था । सभी...

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भारतीय लघुकथाओं में स्त्री-पुरुष सम्बन्ध

स्त्री-पुरुष  सम्बन्धों  पर लिखी गई लघुकथाओं में लघुकथाकारों ने विभिन्न स्थितियों का बहुत ही बारीकी से विश्लेषण किया है। प्रमुख बात यह है कि लघुकथाकारों के पात्र निराशावादी नहीं हैं, वे क्षणिक...

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रात्रीचं भूत

मूल हिंदी,लघुकथा :भूत               मराठी अनुवाद : रात्रीचं भूत             मूल लेखिका : सीमा सिंह               अनुवादक : डॉ.रश्मि नायर          रात्रीचं भूत ती आपल्या लहान बहिणीला  फार लाडाने  झोपवत...

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ढोलची

                      गणेशी मसान से ढोल गले में लटकाए और दोनों बाजुओं को हवा में बेकाबू सा लहराता -, झूमता – झामता कोठारी को लौट रहा था । उसके कदम बेहिसाब उठ रहे थे । उसका मन आज न जाने कौन -सी धुन अलाप...

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खुली किताब

         वह सदैव अपनी पत्नी से कहता रहता कि , “जानेमन  !मेरी जिन्दगी तो एक खुली किताब की तरह है …जो चाहे सो पढ़ ले ।’’ इसी खुली किताब के बहाने कभी वह उसे अपने कॉलेज में किए गए फ्लर्ट के किस्से सुनाता ,...

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लघुकथा पर डा.राजेश शर्मा द्वारा सुकेश साहनी से लिया गया साक्षात्कार

कृपया साक्षात्कार सुनने के लिए यहाँ क्लिक कीजिए -https://www.facebook.com/sukesh.sahni.1?pnref=story.unseen-section

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बिगड़ा कौन ?

“मम्मा  , ये सवाल समझ नहीं आ रहा ,जरा समझा दो ! होम वर्क मिला है !” आठ साल के अंकित ने रीमा से कहा। सोफे पर बैठी रीमा अपनी सहेली कविता से व्हाट्स  ऎप पर चैट कर रही थी। कल हुयी किटी पार्टी का विशद...

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