Quantcast
Channel: लघुकथा
Viewing all articles
Browse latest Browse all 2466

घर की इज़्ज़त

$
0
0

आज फिर घर की इज्जत को घर में सिर झुकाये उदास घुसते देखा तो घर के सभी मर्दो का खून शकुन्तला पालीवालखौल उठा। एक के बाद एक सभी उस पर बरस पड़े। आखिर क्यूं न बरसे उनके घर की बेटी को आज किसी ने फिर अभद्र टीका टिप्पणी से आहत किया। ये कैसे बर्दाश्त किया जाए?
ये इलाका कुछ वर्षो से ऐसा ही होता जा रहा है जहाँ आए दिन कोई न कोई अप्रिय घटना महिलाओं के साथ घटित होती रहती हैै। अभद्र टीका-टिप्पणी करना यहाँ आम बात है। आज घर की इज्जत को खूब हिदायते मिली-मुँह ढककर बाहर निकलने की शाम होने से पहले घर लौट आने की और भी बहुत। अगले दिन वह नकाब ओढ़े निकली । जब दो-चार लोगो के समूह को उसने अपनी तरफ घूरते देखा ,तो वाह वहीं ठिठक गई। तभी उस समूह में से किसी की आवाज आई-‘ज़रा नकाब हटा के चेहरा दिखा दो अपने चाहने वाले को ,नाम बताती जाओ और भी न जाने बहुत कुछ। मगर आज वो डरी और सहमी नही ,आखिर क्यों डरे -सहमे? उसने हिम्मत जुटाई। समूह के पास जाकर उसने नकाब हटाया । कहना तो वह बहुत कुछ चाह रही थी ;मगर रूँधे गले से यही कह पाई- ‘चाचाजी ये मेैं हूँ आप ही के घर की इज्जत!’ जवाब सुन चारों और सन्नाटा पसर गया।
-0-
27,श्री नन्दलाल अग्रवाल, अग्रसेन नगर, उदियापोल,उदयपुर-313001


Viewing all articles
Browse latest Browse all 2466

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>