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Channel: लघुकथा
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समाधन

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दूसरा पुरस्कार  प्राप्त  लघुकथा

लो  मन्त्री  जी की सिफारिश  आ गई।”  कमेटी  के  अध्यक्ष ने  फोन   का चोंगा क्रेडिल   पर रखते हुए कहा।

“अब तो हम लोग लिस्ट फाइनल  कर चुके हैं। अब किसका नाम  काटा जा सकता है?“ कमेटी के एक सदस्य ने चिन्ता   प्रकट   करते हुए कहा।

“मगर मन्त्री जी के आदमी  को  तो एडजस्ट करना  ही  पड़ेगा।” अध्यक्ष ने मायूस स्वर में कहा।

चयनित सूची पर फिर से विचार होने  लगा। ” यह अरुण  कुमार एम एल ए साहब  का आदमी है। और   विनीत  कुमार की सिफारिश चेयरमैन ने  की है।”  एक मेम्बर   ने जानकारी दी।

“यह संजीव मेरे भतीजे का साला है। दूसरे  मेम्बर  बोले। ”और  यह विमल वर्मा मेरा  रिश्तेदार है।”  तीसरे  मेम्बर ने  तपाक से कहा। ”यह तीन आदमी मेरे हैं।” अध्यक्ष जी ने  अपने आदमियों  के  नाम गिनाए।

फिर किसका नाम  काटा जाए। रामपाल और  धर्मदास  दोनों अनुसूचित जाति के हैं। इन्हें भी नहीं काटा   जा सकता है।

पूरी कमेटी  गहरी   चिन्ता   में  बैठी हुई।  कोई रास्ता  समझ  में  नहीं आ  रहा है।

“इस दीपक कुमार का नाम काट दिया जाए। इसकी कोई  सिफारिश नहीं है और  यह रिजर्वेशन में  भी  नहीं आता है।” एक मेम्बर ने  सुझाव दिया।

“मगर इसकी फोर  फर्स्ट हैं  ओर यह मैरिट  में सबसे टॉप पर है।” दूसरे मेम्बर ने शंका प्रकट की।

“इससे क्या फर्क पड़ता है।इसका नाम  काटने में  कोई हर्ज  नहीं है।  व्रिलिएंट आदमी है। कहीं न कहीं नौकरी मिल ही जाएगी।”

अध्यक्ष मुस्कराते  हुए  बोले।

यही इस समस्या का सबसे कारगर समाधान हो सकता है। सभी ने  एक स्वर में स्वीकार किया।

मो : 9411422735


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