राधेश्याम भारतीय
प्रेमचंद जयंती के उपलक्ष्य पर हरियाणा प्रादेशिक लघुकथा मंच करनाल के तत्वावधान में डा.ॅ ओमप्रकाश ग्रेवाल अध्ययन संस्थान कुरूक्षेत्र में एक लघुकथा गोष्ठी का आयेजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व प्रधानाचार्य एवं साहित्यकार डॉं ओमप्रकाश करूणेश ने की। वहीं मुख्य अतिथि बाल मुकुन्द गुप्त सम्मान से सम्मानित रामकुमार आत्रेय की गरिमामय उपस्थित रही। विशिष्ठ अतिथि पटियाला से पहुंचे योगराज प्रभाकर रहे। मंच के संरक्षक डॉ अशोक भाटिया ने सर्वप्रथम कथा सम्राट प्रेमचंद की जयंती पर सबको शुभकामना देते हुए साहित्य में प्रेमचंद जी के योगदान पर प्रकाश डाला। फिर लघुकथा विधा पर भी अपने विचार व्यक्त किए।
उपस्थित लघुकथाकार जिनमें अम्बाला से कुणाल शर्मा, नफे सिंह काद्यान, करनाल से सतविन्द्र राणा, मदन लाल, राधेश्याम भारतीय, कुरुक्षेत्र से अरूण कुमार, मनजीत सोनी, निर्मल, कमलेश चौधरी, विनोद धवन, मलखान सिंह, दीपक मासूम हरपाल और सोनीपत से सरोज दहिया सभी ने दो-दो लघुकथाएं पढ़ी। जिसमें एक स्वरचित तो दूसरी वह, जो लेखक को किसी अन्य लेखक की रचना पसन्द थी।
इस अवसर पर विशिष्ठ अतिथि योगराज प्रभाकर ने लघुकथा की विशेषताएं दर्शाते हुए अनेक लेखकों की प्रसिद्ध लघुकथाएं सुनाकर सबको मन मोह लिया।
मुख्यअतिथि रामकुमार आत्रेय ने कहा कि प्रेमचंद साहित्य को मशाल मानते थे जो समाज को रोशनी देती हुई आगे ही आगे बढ़ती है। हर लेखक साहित्य साधना करते हुए अपनी रचना को उस मशाल की तरह बना ले। लेखक की पहचान उसकी रचना से होती है।
अध्यक्ष महोदय ने गोष्ठी में सुनाई गई लघुकथाओं पर सारगर्भित टिप्पणी प्रस्तुत की।
मंच संचालन राधेश्याम भारतीय ने किया।
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प्रस्तुति-राधेश्याम भारतीय,नसीब विहार कालोनी,घरौंडा करनाल 132114
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