ग्यारहवाँ पुरस्कार प्राप्त लघुकथा
ये कौन -सी जगह है? जहाँ पशु, पक्षी, नर, नरभक्षी सभी एक साथ रह पा रहे हैं? इतने विचित्र तरह के लोग जीव जन्तु एक जगह इकट्ठे हों तो बिगलॉस रिएलिटी शो बन सकता है!“ एक नये खुले ज़ू को देखने आये तमाशबीन दर्शक ने टूरिस्ट गाइड से कहा जो ज़ू के हज़ार वर्षों के इतिहास से परिचित था और रोबोट की तरह चप्पे-चप्पे की जानकारी दे रहा था।
“ज़ू कहकर हमारा अपमान नहीं करो साहब, ये तो हम लोगों का बॉयोडाइवर्सिटी क्षेत्रा है।” रोबोट टूरिस्ट गाइड ने दर्शक को टोका। ”अरे रोबोट भी अपने दिमाग से मान-अपमान की सोच सकता है?“ दर्शक हैरान था।
“वो उस तरफ क्या हो रहा है? इतनी भीड़?”
“वो, वहाँ? साईकिल पे सवार होकर मंत्री जी निकलेंगे।” नो कार डे का संदेश देने तो सब तमाशा देखने जुटे हैं।”
“और वहाँ?”
“वहाँ? वहाँ विधान सभा की कार्यवाही स्थगित हो गई है। विपक्ष ने पक्ष पर साइकिल की घंटी फेंककर मारी है। दरअसल विपक्ष को लगता है यह पक्ष की ‘साइकिल की राजनीति’ है। आने वाले चुनाव के लिए और फिर सवाल है बिना कार विधान सभा कैसे पहुँचा जाएगा। तो पक्ष का कहना है साइकिल एनवायरमैंट कन्सरवेशन के साथ कैशलेस ट्रैवेलिंग का संदेश-प्रतीक हो सकती है और विपक्ष तो ड्रामे करता ही रहता है”
“मगर ऐसी भीड़ तो हर जगह नज़र आ रही है न?”
“हाँ साहब भेड़ हर जगह हैं।”
“भेड़ नहीं भाई भीड़।”
“भेड़ और भीड़ एक ही बात है साहब। ध्यान से देखेंगे तो हर भीड़ के ऊपर उसका पता मिल जायेगा। वो राशन की भीड़ है, वो टेलीफोन बिल की, वो 8 नवम्बर के बाद से सर्राफा बाज़ार में लगी भीड़ है सोना खरीदने के लिए, रेलवे बुकिंग के लिए और वहाँ, वो बैंकों की भीड़ है। सिम्पल।”
“हाँ हाँ मालूम है।”
“क्या आपको मालूम है कि आप भी कब से कतार में ही लगे हुए हैं?”
दर्शक पहली बार कुछ सोच में पड़ गया। ट्रेड फेयर गये तो वहाँ भी भिन्न-भिन्न स्टॉल्स पर बहुत कुछ रोंगटे खड़े कर देने वाला बिक रहा था। मेड इन इंडिया से लेकर मेड इन चाइना, रशिया तक। घिसे हुए फटे पुराने जूतों की दुकान पे लिखा था- “ईमान”। खटमल मार दवाई बेचने की दुकान पर लिखा था- “हम दवा देते हैं दावा नहीं करते। देश की नस-नस में इतने खटमल हो गए हैं कि स्टिंग ऑपरेशन फेल हो गए हैं।”
मेकअप और ज्वेलरी की दुकान लिखा था- “डेयली सोप मेकअप किट के साथ आई ग्लिसरीन फ़्री।”
कुछ दूरी पर जाकर रोबोट टूरिस्ट गाइड ने कहा- “चलिये निशाना बनते हैं।” “क्या? निशाना बनना नहीं, निशाना लगाना है
हमको।”
“यहाँ आप सिर्फ निशाना बन सकते हैं।” सुनकर दर्शक हैरान था।
ट्रेड फेयर के निशाना बनिये सैक्शन के दुकानदार ने झट दर्शक को 26/11 का मुखौटा पहना दिया। पहनते ही टॉय ऐरोप्लेन से उस पर निशाना साधा। इतने में ही ढेर सारे कैमरे क्लिक-क्लिक कर इस दृश्य को कैमरे में कैद करने लग गये।
“ये कैमरे?!”
“शीः साहब; खबरदार चैनल वाले हैं। आज 26/11 है। 26/11 के शहीदों को याद किया जा रहा है।” और तभी शोर मच जाता है। काले धन से भरा एक बैग उधर खड्डे में है। खबरदार चैनल वाले इसे कवर करने उस दिशा में दौड़ पड़ते हैं। इतने में एक क्षीणकाय बूढ़ा हाथ में लाठी लिये पूछता है – “मेरा चश्मा टूट गया है। नया चश्मा कहाँ मिलेगा?”
हँसता है विदेशी यूनिवर्सिटी से पढ़कर आया भारतीय दर्शक- “जहाँ सब अंधे हैं मैन वहाँ चश्मा खोजता है? जाना कहाँ है तुमको?”
“साबरमती”
“सोबरमती? यहाँ सब गोबरमती हैं मैन। वो देखो ओल्ड मैन उधर, ब्लेक मनी का र्यूमर से ही सब एक के पीछे एक गड्डे में कूद रहे हैं।”
“मैं तो देख रहा हूँ” बूढ़े ने कहा “और ये जो तुम्हें भारत भ्रमण करा रहा है इसके दिखाने के बावजूद भी शायद तुम नहीं देख पा रहे कि तुम कहाँ पहुँच गए हो। कहकर बूढ़ा अस्थिपंजर अदृश्य हो गया। और दर्शक को आज पहली दफा अपने काले चश्मे से बेहद घृणा हुई , जिसे उसने तोड़कर कूड़े के ढेर पर फेंक दिया।
नोट- (रेवड़- राजस्थानी में पशुओं के झुंड को रेवड़ कहा जाता है जो भीड़ बनाकर समूहों में एक के पीछे एक चलते हैं। बिना सोचे-समझे बिना अपना रास्ता स्वयं चुने वे महज़ फॉलो करते हैं।) रेवड़स्तान टर्म रेवड़ से ईजाद की गई है।
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