बेटी व अन्य लघुकथाएँ
पिछले चार दशकों से लघुकथा लेखन में निरन्तरता बनी हुई है। इस दौरान सैकड़ों लघुकथाकार आए और हजारों लघुकथाएँ लिखी गईं। समय प्रवाह के अनुसार कुछ लघु कथाकार छूटते चले गए और कुछ नए जुड़ते चले गए यानी कि...
View Articleमजहब (विटांचा धर्म )
मूल लघुकथा : मजहब मराठी : विटांचा धर्म मूल हिन्दी :कृष्णा वर्मा मराठी में अनुवाद : डॉ. रश्मि नायर एवढा मुसळधार पाऊस की थांबायच नावच घेत नव्हतं, जस आकाशाला भोकच पडल. पहाता...
View Articleस्टेटस
वह घर पहुँचा तो पत्नी मुँह लटकाए हुए बर्तन साफ कर रही थी-‘ आज कामवाली नहीं आई ?’ ‘अब आएगी भी नहीं।’ ‘अब क्या हो गया ? पहले तो कामवाली हमारी जात पता लगने पर भाग जाती थी —पर यह नई कामवाली तो अपनी जात की...
View Articleलघुकथाएँ
1-बचपन मैं तीसरी कक्षा में पढ़ता हूँ । रोज़ स्कूल, होमवर्क और बाद में ट्यूशन । क्या करूँ? माँ मुझे नहीं पढा़तीं हैं कहती हैं, ‘मेरे पास टाइम नहीं है ।’ मैं शाम को बहुत कम समय खेल पाता हूँ । मुझे खेलना...
View Articleधोखा
( अनुवाद : सुकेश साहनी) पहाड़ की चोटी पर अच्छाई और बुराई की भेंट हुई। अच्छाई ने कहा, ‘‘भैया, आज का दिन तुम्हारे लिए शुभ हो।’’ बुराई ने कोई उत्तर नहीं दिया। अच्छाई ने फिर कहा, ‘‘क्या बात है, बहुत...
View Articleपता नहीं क्यों
भैया-भाभी और चीनू के आ जाने से ही घर भरा-भरा लगने लगा है। बहुत दिनों बाद आए हैं…लगभग कुसुम की शादी के बाद। अम्मा और पिताजी खुश हुए कि चलो, बड़ा आया तो सही-भले ही अम्मा की बीमारी की तार पहुँचने पर। खाना...
View Articleफ़ेसबुक
फ़ेसबुक पर फ्रेण्ड रिक्वेस्ट और इनबॉक्स में मेसेज देख जवाब में तन्वी ने उनसे पूछ ही लिया-‘नमस्कार,भाई साहब ! आपकी प्रोफाइल आई डी से मैं कुछ जान नही पा रही हूँ,आप संक्षिप्त में अपना परिचय देंगे?’ ‘मैं...
View Articleहत्यारे
नई बसी कॉलोनी में मि.सिंह के घर के सामने आम का वृक्ष लगा था। आम का वृक्ष बहुत पुराना था। वसंत ऋतु के दिनों में पूरा वृक्ष बौर से भर गया। उसमें अनेक पक्षियों के घोसलें बने थे,बैसाख के आखिरी दिनों में...
View Articleकुंडली
कुंडली ‘आज फैसले का दिन है ; लेकिन समझ नहीं आता,कैसे क्या किया जाए !’करमचंद सोचता जा रहा है । दरअसल उसकी बेटी के लिए एक रिश्ता आया है । सब चीज़ें ठीक लग रही हैं । उम्र,कद-काठी,देखने में भी अच्छा है।...
View Articleपाकेटमारी
‘इसने शराब पी रखी है। खतरे से तो बाहर है, पर चोट काफी लगी है। इसलिए यहाँ एडमिट करना पड़ेगा।’ डॉक्टर ने मोटर-साइकिल सवार का मुआयना करते हुए कहा। ‘क्या आप इसके खिलाफ एफ-आई-आर- लिखवाएँगे?’ डाक्टर ने साथ आए...
View Articleवर्तमान काल हिंदी-साहित्य में लघुकथा-काल
गरीबी में महँगाई की मार, धर्म व आरक्षण जैसे संवेदनशील मुद्दे, पर्यावरण का ह्रास व संस्कार, संस्कृति की अवमानना, जीवन-मूल्यों को भुलाना, क्या आदम एक रुग्ण समाज की प्रतिष्ठा करने की ओर चल पड़ा कान्ता...
View Articleकथादेश अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता-2017 व सम्मेलन
1-कथादेश अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता-2017 की पुरस्कृत लघुकथाओं का कथादेश-अक्तुबर में प्रकाशन 2-पंचकूला में 29 अक्तुबर को लघुकथा -सम्मेलन
View Articleमिजाज़पुर्सी
चलती गाड़ी रोक ली गई। जो दूसरे मज़हब के थे, उनको निकाल-निकालकर तलवारों और गोलियों से हलाक कर दिया गया। इससे निपटकर गाड़ी के बाकी मुसाफिरों की हलवे,दूध,फलों से खातिर की गई। गाड़ी चलने से पहले खातिर करने...
View Articleनोट ‘बदी’
नोट ‘बन्दी’ ( लघुकथा-संग्रह): सुरेश सौरभ, प्रकाशक: नमन प्रकाशन, स्टेशन रोड, लखनऊ -226001; प्रथम संस्करण: 2017,मूल्य: 60/-, पृष्ठ: 84( पेपर बैक)
View Articleबाईस्कोप-‘ए ट्रिप टू रेवड़स्तान’
ग्यारहवाँ पुरस्कार प्राप्त लघुकथा ये कौन -सी जगह है? जहाँ पशु, पक्षी, नर, नरभक्षी सभी एक साथ रह पा रहे हैं? इतने विचित्र तरह के लोग जीव जन्तु एक जगह इकट्ठे हों तो बिगलॉस रिएलिटी शो बन...
View Articleलघुकथा मेरी नजर में
न तो मैं कोई समीक्षक हूँ न ही टिप्पणीकार बस एक सहज भाव-युक्त पाठक हूँ ।इस लिहाज से मैंने महसूस किया है कि साहित्य की हर विधा की तरह लघुकथा भी अपने मन की बात कहने की एक सशक्त विधा है। जिसमें लेखक...
View Articleहैसियत
दसवाँ पुरस्कार प्राप्त लघुकथा विनोद कुमार जैसे ही दुकान में घुसे दुकान के मालिक सत्यनारायण ने उन्हें आदर से बिठाया और उनके मना करने के बावजूद लड़के को चाय लेने के लिए भेज दिया। उसके...
View Articleलघुकथा का गुण धर्म और पुरस्कृत लघुकथाएँ
रचनाओं पर निर्णायकों के विचार एवं लघुकथा पर अपनी बात से पूर्व लघुकथा प्रतियोगिता के आयोजन के सम्बन्ध में कुछ जानकारियाँ देना आवश्यक प्रतीत होता है। कथादेश द्वारा प्रत्येक वर्ष इस प्रतियोगिता का...
View Articleएक स्पेस
नौवाँ पुरस्कार प्राप्त लघुकथा ठण्ड की दस्तक तेज थी। हवाएँ बदन सिहराने के लिए काफी थीं। नवम्बर माह में सुबह पाँच बजे उठकर तैयार होकर पार्क जाना कोई मामूली बात नहीं थी। मैं बिना...
View Articleहिन्दी लघुकथा: संघर्षों में अस्मिता को तलाशता नारी चरित्र
नारीत्व की प्रतिष्ठा के बावजूद आज साहित्य में उस आवाज की खोज की जा रही है, जो नारी-व्यक्तित्व और उसकी अस्मिता की समानता का दर्जा दिलवा सके। भारतीय साहित्य में वैदिक वाचक्नवी जैसी विदुषी की तर्कशीलता...
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