मनुमुक्त ‘मानव’ मेमोरियल ट्रस्ट, नारनौल (हरियाणा) द्वारा ‘मनुमुक्त भवन’ में दिनांक 4 नवम्बर,2018 को ‘इंडो-नेपाल लघुकथा-सम्मेलन’ आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में श्री अनिल कौशिक, निदेशक, हरियाणा कला परिषद,
पंचकूला, विशिष्ट अतिथि डॉ. उमाशंकर यादव, कुलपति, सिंघानिया विश्वविद्याल पचेरी बड़ी, राजस्थान रहे एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ.पुष्करराज भट्ट, सदस्य, प्रज्ञा
प्रतिष्ठान, काठमांडो (नेपाल) ने की।
चीफ ट्रस्टी डॉ.रामनिवास ‘मानव’ द्वारा ट्रस्ट का विस्तृत परिचय देते हुए ट्रस्ट द्वारा संचालित विभिन्न साहित्यिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों का विवरण प्रस्तुत किया । कार्यक्रम के पहले सत्र में पुस्तकें लोकार्पित की गयी, जिसमें डॉ. चितरंजन मित्तल के लघुकथा-संग्रह ‘सफेद झूठ’, डॉ.वर्षा चौबे के लघुकथा-संग्रह ‘शिखर की ओर’, श्री अशोक जैन द्वारा सम्पादित पत्रिका ‘दृष्टि’, डॉ.राजकुमार निजात के आलेख-संकलन ‘दिव्यांगजन में सामाजिक चेतना’, श्रीमती आशा खत्री के लघुकथा-संग्रह ‘काली चिड़िया’ और डॉ. माताप्रसाद शुक्ल के लघुकथा-संग्रह ‘लाइन हाजिर है’ पुस्तकें शामिल हैं। पुस्तक लोकार्पण के इस भव्य सत्र का संचालन डॉ. पंकज गौड़ ने किया।
‘डॉ.मनुमुक्त ‘मानव’ लघुकथा-गौरव सम्मान’ से सम्मानित होने वाले लघुकथाकारों में शामिल थे – डॉ.पुष्करराज भट्ट, काठमांडू (नेपाल), श्री वीरबहादुर चंद, कंचनपुर (नेपाल), डॉ.मालती महावर, भोपाल (मध्यप्रदेश), कान्ता रॉय, भोपाल (मध्यप्रदेश), अनिल शूर ‘आजाद’, दिल्ली, श्री प्रबोधकुमार गोविल, जयपुर (राजस्थान), डॉ.रामकुमार घोटड़, राजगढ़ (राजस्थान), श्री अशोक जैन, गुरुग्राम, श्रीमती कृष्णलता यादव, गुरुग्राम, श्री घमंडीलाल अग्रवाल, गुरुग्राम, डॉ. रामकुमार निजात, सिरसा, श्री मधुकांत, रोहतक, श्रीमती आशा खत्री, रोहतक, डॉ.चितरंजन मित्तल, नारनौल और डॉ. सुशील ‘शीलू’, नारनौल (हरियाणा), डॉ. संतोष कुमार शर्मा, अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश)) आदि।
लोकार्पण एवं सम्मान-समारोह के इस मौके पर श्री अनिल कौशिक जी ने लेखकों को बधाई देते हुए डॉ. रामनिवास ‘मानव’ द्वारा साहित्य के क्षेत्र में हो रहे विविध प्रकार के कार्यक्रमों के प्रति आश्वस्ति जताई। डॉ. उमाशंकर यादव ने विस्तार से वक्तव्य दिया। तत्पश्चात नेपाल के काठमांडू से पधारे वरिष्ठ लघुकथाकार डॉ.पुष्करराज भट्ट ने 1950 ई. से लगातार लिखी जा रही नेपाली लघुकथा पर विस्तार से अपनी बात रखी।
दूसरे सत्र का संचालन करते हुए कान्ता रॉय ने लघुकथा-पाठ एवं समीक्षा-गोष्ठी के तहत लघुकथाकारों को उनकी लघुकथाओं के साथ मंच पर आमंत्रित किया। डॉ. चितरंजन मित्तल ने ‘अहंकार’ और ‘पत्थर की मूर्ति’, डॉ. रामकुमार घोटड़ ने ‘आतंकवादी’, श्री मधुकांत ने ‘डी.एन.ए.’, अनिल शूर ‘आजाद’ ने ‘कुत्ता’, डॉ.सुशील ‘शीलू’ ने ‘गाँधीमार्ग’, श्रीमती कृष्णलता यादव ने ‘शंखनाद’, श्रीमती आशा खत्री ने ‘विस्फोट’, डॉ.राजकुमार निजात ने ‘चाभी वाली गुड़िया’, डॉ.मालती बसंत ने ‘असली वेतन’, श्री घमंडीलाल अग्रवाल ने ‘रानी या नौकरानी’, डॉ. शिवताज सिंह ने ‘कटोरे के सिक्के’, डॉ.पुष्करराज भट्ट ने ‘विषदंत’, श्री वीरबहादुर चंद ‘विश्राम’ ने ‘हिंसा’, श्री प्रबोधकुमार गोविल ने ‘उपाय’, श्री अशोक जैन ने ‘बूढ़ा बरगद’, कान्ता रॉय ने ‘विलुप्तता’, डॉ.रामनिवास ‘मानव’ ने ‘लालटेन’ और डॉ.उमाशंकर यादव ने ‘बूढ़ा बरगद और कोंपले’ इत्यादि लघुकथाओं का पाठ किया।
लघुकथा-पाठ के अंतर्गत सुनाई गई सभी लघुकथाओं पर वरिष्ठ कहानीकार एवं समीक्षक डॉ. शिवताज सिंह ने विस्तारपूर्वक समीक्षा की। रामनिवास मानव ने ट्रस्ट द्वारा प्रतिवर्ष भव्य रुप में इंडो-नेपाल लघुकथा सम्मेलन आयोजित करने तथा 11 हजार रुपए का डॉ. मनुमुक्त ‘मानव’ लघुकथा-पुरस्कार देने की घोषणा की।
सम्मलेन के उपरांत ‘मनुमुक्त ‘मानव’ मेमोरियल ट्रस्ट’ के तहत हम सब संग्रहालय देखने गए, जहाँ उमंग, ऊर्जा और प्रेरणा के प्रतीक मनुमुक्त ‘मानव’, आई.पी.एस. से जुड़ी यादें संगृहीत की गई हैं | ओजस्वी व्यक्तित्व के धनी मनुमुक्त की जीवन-चर्या, उनके द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं के माध्यम से करीब से जानने को मिला| तीस-इकतीस वर्ष की छोटी-सी आयु को किस तरह लम्बी उम्र के रूप में जिया जाता है, यह हमने डॉ.मनुमुक्त ‘मानव’ के जीवन को करीब से देखने के बाद जाना | उनकी लग्नशीलता, कर्मठता और उपलब्धियों को देखते हुए कितनी बार आँखें भींगती रही |
-0-प्रस्तुति- कान्ता राय