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Channel: लघुकथा
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रेत के दाने

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‘‘बेटा, इस बार जन्मदिन पर तुम्हें क्या चाहिए?’’ पिता ने अपने लाड़ले से प्यार से पूछा।

            ‘‘कुछ नहीं..’’

            ‘‘यह कैसे हो सकता है? कुछ तो चाहिए जो तुम मुझसे छुपा रहे हो। बोलो। शानदार तोहफा दूँगा।’’

            ‘‘रहने दीजिए पिताजी, आप नहीं दे पाएँगे।’’

            ‘‘क्या! मैं नहीं दे पाऊँगा?’’

            अपने बंगले की ओर देखते हुए बोले-‘‘यह सब तुम्हारा है। जो माँगोगे दे सकता हूँ…ये पैसा, इज्जत…सब कुछ तुम लेागों के लिए है। बताओ, क्या खरीदना है?’’

            बेटे ने कहा-‘‘खरीदना नहीं है, जन्मदिन आपके साथ मनाना चाहता हूँ पिताजी, क्या आप मुझे अपना वक्त दे पाएँगे?’’

            पिता की मुट्ठी से रेत के दानों के मानिंद दौलत, शोहरत पल भर में फिसलकर जमीन पर बिखर गई थी। वे खुली हथेलियों को ताक रहे थे।

-0- दूरभाष : (0734) 2525277-चलभाष :    94240144777

ई-मेल    : komalwadhwani.prerna@gmail.com


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