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Channel: लघुकथा
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खुदा करे सब खैरियत हो

सब खैरियत है(लघुकथा-संग्रह): मार्टिन जॉन ,प्रकाशक: बोधि प्रकाशन, जयपुर ।लघुकथा संग्रह मूल्य : 200 रूपये,पृष्ठ : 128 ,प्रथम संस्करण :2018 लगभग एक दशक लम्बी यात्रा के बाद भी आलोचकों ने लघुकथाओं को...

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मन के रोगी

    एक ठीक-ठाक आदमी सड़क किनारे बैठकर भीख माँग रहा था। कोई राहगीर आता दिखता तो वह झट अपने लंबे-लंबे हाथ आगे बढ़ा देता। एकाध लोग कुछ पैसे डाल देते, बाकी मुँह घुमाकर निकल जाते।    तभी कर्मठ सा दिखने...

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इस्राइली : गुल्लक :एतगार केरेत

इस्राइली : गुल्लक :एतगार केरेत (अनुवाद–जितेन्द्र भाटिया) डैड ने मुझे बार्ट सिम्पसन का गुड्डा दिलवाने से मना कर दिया। मम्मा ने तो हाँ कर दी थी, लेकिन डैड ने कहा, नहीं। मैं बहुत बिगड़ता जा रहा हूं।...

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महानगर की लघुकथाएँ

एक मुद्दत से सोच रहा था कि कभी अवसर हाथ लगा तो संपादक कौशल विषय पर लिखने में हाथ आजमाना चाहूँगा। दरअसल इसलिए भी कि संपादक के कौशल पर जितना भी काम नजर आया है, उस काम को मात्र डाक टिकिट के पीछे वह भी...

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संभ्रांत लोग

पूरा मोहल्ला गुलजार हो उठा था। खाली पड़े सारे मकान धीरे-धीरे लोगों से भर गए थे। सब खाते-पीते घरों केसंभ्रांत लोग थे। सबके पास अपनी-अपनी कारें थीं। कॉलोनी में जहां-तहां से कई कुत्ते भी आकर बस गए थे ।...

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आज के घर

                  “कार्यक्रम में मिलकर अच्छा लगा।” उसने कहा,”ऐसे कार्यक्रम जल्दी-जल्दी होना चाहिए, ताकि हम सब मिल सकें।वैसे तो कहाँ मिलना हो पाता है ?”                    किसी ने भी, किसी को भी, भूले...

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मंगलवारी–दीवारी और गोबरगंडा की दरखास्त

‘‘मास्साब! बीड़ी जोरि लेऊ’’, ‘बुड्डे–मास्टर’ से रोज कहता था गोबरगंडा। केवल मास्टरों से ही करता था राम–राम। असली नाम वही, माई–बाप ने रखा होगा। बहरहाल, इसी नाम से जानते थे हम सब उसे। सामने वाले ‘पुरा’...

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रेत के दाने

‘‘बेटा, इस बार जन्मदिन पर तुम्हें क्या चाहिए?’’ पिता ने अपने लाड़ले से प्यार से पूछा।             ‘‘कुछ नहीं..’’             ‘‘यह कैसे हो सकता है? कुछ तो चाहिए जो तुम मुझसे छुपा रहे हो। बोलो। शानदार...

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कद

‘‘भाईजी! हम आपके साथ वर्षों से जुड़े हैं…..हमारी इच्छा है कि आपका रा्जनीतिक–कद बढ़े ताकि पूरे ग्रुप को इसका फायदा मिल सके!’’ कार्यकर्ता की बात सुनकर वे बोले ‘‘यह कैसे संभव है?’’ ‘‘भाई जी! इस बार हमारा...

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चर्चा में

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भेड़िये

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लघुकथा: स्वरूप और दिशा

पटना-सम्मेलन-88 की बात है। कार्यक्रम के बाद हम सब लघुकथा की तत्कालीन स्थिति पर विचार कर रहे थे। भगीरथ उस दौर के चर्चित एवं सक्रिय लघुकथा-लेखकों की प्रदेशवार सूची तैयार कर रहे थे। मैं और अशोक भाटिया...

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पानी के पेड़

बारिश का पानी छत से पाइप के जरिए पूरे चौक में फैला था।             नन्हीं शालू बगीचे में छोटे-छोटे गड्ढे खोदती जा रही थी। हाथ में एक छोटी लकड़ी व खुरपी थी।फ्राक,पायजामा सब कीचड़ पानी में लथड़-पथड़ हो...

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उपकार

रात का समय था और वह अकेला था। उसने दूर एक भव्य नगरी का प्राचीर देखा और उसकी ओर बढ़ा। जब वह पास पहुँचा तो उसने नगरी के अन्तराल से हास-परिहास के शब्द सुने। उसने मुख्य द्वार खटखटाया। द्वारपालों ने उसके...

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मौसम

            गोपाल जैसा साधारण किसान का लड़का अपने दोस्तों के साथ यदि पिकनिक पर न जाए तो किसी को क्या…..लेकिन उसकी सुरीली आवाज को कोई न छोड़ना चाहता था, इसलिए सबने आग्रह पूर्वक उसे चलने के लिए कर ही...

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प्रेमवती की चिट्ठी

बैरक में घुसते ही प्रकाश ने बैल्ट कमर से खींचकर खूँटी पर लटका दी। बिस्तर के साथ पड़ी कुर्सी पसर बैठते हुए वह तकिए के नीचे से चिट्ठी निकालकर पढ़ने लगा….मुन्नी के पापा, हम सब यहाँ ठीक–ठाक हैं। आप वहाँ...

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लघुकथा: सृजन और रचना-कौशल

.पुस्तक: लघुकथा: सृजन और रचना-कौशल (आलेख-संग्रह) लेखक: सुकेश साहनी, प्रकाशक: अयन प्रकाशन,1/20, महरौली, नई दिल्ली-110030, संस्करण: 2019, पृष्ठ-140,मूल्य रु.300                 हिन्दी-लघुकथा के विकास...

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किसान-कमलेश भारतीय

जब उसने बैलों को खेतों की तरफ हाँका, तब उसे लगा कि उसमें असीम शक्ति है। वह बहुत कर सकता है! बहुत कुछ। जब उसने बीज बोया! तब उसे लगा कि उसने अपने दिल से छोटा हिस्सा खेत में बिखेर दिया। जब उसने सिंचाई...

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आदेश

जब वह आदमी निकट चला आया, तो कुत्ते ने पूछा, ‘‘कौन हो तुम?’’ ‘‘सिपाही।’’ सिपाही बोला, ‘‘मैं कुत्ते को पकड़ता हूँ और उन्हें बड़े पिंजरे में डाल देता हूँ।’’ ‘‘क्यों?’’ ‘‘कुत्ते भूँकते हैं। इससे जनतन्त्र...

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पॉलिसी

“सर खुदा के वास्ते मेरा ट्रांसफ़र  रोक दीजिए.” “अशफ़ाक़ साहब ट्रांसफ़र पॉलिसी एक जगह केवल 4 साल रहने की है !आपको जाना ही होगा!” “सर फ़ैमिली में बस मैं और मेरे अब्बू ही हैं.वो चल फिर भी नहीं पाते।मैं...

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