“सर खुदा के वास्ते मेरा ट्रांसफ़र रोक दीजिए.”
“अशफ़ाक़ साहब ट्रांसफ़र पॉलिसी एक जगह केवल 4 साल रहने की है !आपको जाना ही होगा!”
“सर फ़ैमिली में बस मैं और मेरे अब्बू ही हैं.वो चल फिर भी नहीं पाते।मैं चला गया तो अब्बू को कौन देखेगा सर?”
“मेरे पिता भी इसी उम्र के हैं पर मैं भी तो नौकरी कर ही रहा हूँ !”
“सर यह तो आपका होम टाउन है !माशाल्लाह भरा पूरा घर है!मेरे यहाँ अब्बू अकेले पड़ जाएँगे!”
“ बहानेबाज़ी छोड़िये!परसों आपकी रिलीविंग है.”बॉस का निर्णय अंतिम था।
अशफ़ाक़ को ट्रांसफ़र भूल,काम पर लगना पड़ा।
“सर एक आरटीआई आई है.”
“क्या पूछा है आरटीआई में?”
“पूछा है कि आप यहाँ कितने दिनों से पोस्टेड हैं ?”अशफ़ाक़ झिझकते हुए बोला।
प्रश्न सुन कर बॉस भड़क गये.
“13 साल से हूँ पोस्टेड।आपको कोई तकलीफ़?”
“नो सर मैं तो बस आरटीआई ..”
बात काटते हुए बॉस गुर्राये,
”पक्का यह आरटीआई सुबोध सिंघल की है… पर बहुत पछताएगा वो …”
बॉस को ग़ुस्सा देख अशफ़ाक़ कमरे से चला गया.उसके जाते ही बॉस ने कॉल लगाई.
“हेलो कृष्णा! एक बहुत ज़रूरी काम तुरंत करो ”
“बताइए भैया”
“तुम्हारे यहाँ जो क्लर्क नेहा सिंघल है उसका ट्रान्सफ़र आज ही चाहिए मुझे”
“भैया नेहा तो केवल 6महीने पहले यहाँ आई है।ट्रान्सफ़र पॉलिसी के हिसाब से तो …”
“ट्रांसफ़र पॉलिसी गई भाड़ में!मेरी इज़्ज़त दाँव पर है।मुझे आज ही उसका ट्रान्सफ़र चाहिए!”
पीसीएस अधिकारी कृष्णा अपने भाई की इज़्ज़त से भला कैसे खेलती?सुबोध सिंघल की पत्नी नेहा सिंघल का ट्रान्सफ़र ऑर्डर जारी हो गया।अब सुबोध सिंघल भला अपनी पत्नी को ट्रांसफ़र पर कैसे भेजता? उसने बॉस के ख़िलाफ़ आरटीआई वापस ले ली।आरटीआई वापस होते ही नेहा का ट्रांसफ़र रद्द हुआ ।सबकी परेशनियाँ दूर हो गईं।नियत तिथि पर अशफ़ाक़ रिलीव हुआ।सब लोग अशफ़ाक़ की फ़ेयरवेल पार्टी में हँसी ख़ुशी शामिल हुए।.