1-तापमान गिर गया
“उफ़ कितनी
गर्मी है !”
साहब
माथे का पसीना पोछते हुए बोले।
फिर
घंटी बजा बनवारी को एयर कंडीशनर का तापमान कम करने का हुक्म जारी किया। भरी दोपहरी
में नीचे जाकर एक आइसक्रीम लाने का आदेश भी साथ ही दे दिया।
बनवारी
झट से जाकर आइसक्रीम ले आया और फिर साहब के सामने विनय की मुद्रा में सर झुका खड़ा
हो गया।
“कुछ कहना
है क्या ?”
साहब
ने ठंडी आइसक्रीम खाते हुए पूछा।
“साहब बाहर
चपरासी जहाँ बैठते हैं वहाँ कूलर लगवाने के लिए बड़े बाबू से इल्तिजा की थी। वो
आपके पास फाइल भेजे हैं। तनिक आप पास कर देते तो हम भी थोड़ी ठंडी हवा खा लेते। ” बनवारी ने
बेहद विनम्र हो प्रार्थना की।
“अच्छा
देखते हैं। जरा बड़े बाबू को अंदर भेजिये। ” साहब ने तुरंत
जवाब दिया।
प्रसन्नचित
हो बनवारी ने झट से जा कर बड़े बाबू को साहब का फरमान सुना दिया।
बड़े
बाबू हाजिर हुए तो साहब ने बस इतना कहा-“हमसे पूछे बिना
कूलर की फाइल क्यों भेजी आपने। आज कूलर मांग रहें हैं तो कल एयर कंडीशनर भी माँगेंगे।
इतनी भी क्या गर्मी है ? ठीक ही तो है मौसम। पंखा लगा हुआ तो है। हम
फाइल में चर्चा करें लिख दे रहे हैं। आप फाइल पर चर्चा करने अगस्त के बाद ही आइएगा। “
बड़े
बाबू डाँट खा फाइल
बगल में दबा चुपचाप वापस लौट गए।
बाहर
बनवारी बदले तापमान से बेखबर सब चपरासियों को यही बताने में लगा है
“साहेब से
सिफारिश कर दी है अब देखना कूलर जल्द ही लग जाएगा “
-0-
2-खातिरदारी
‘आया होगा
फिर उसी सुमन का फोन।’
घंटी
बजी तो मीरा धीमे से बुदबुदाई।
आधे
घंटे शेखर फ़ोन पर ही लगा रहा। उसकी हंसी-ठहाकों की आवाजों से मीरा का ह्रदय जलने
लगा।
बेचारे
शेखर को क्या पता था कि उसकी एक -एक हरकत पर मीरा नजर गड़ाए हुए है।
फ़ोन
ख़त्म हुआ तो मीरा ने आखिर शेखर को बता ही दिया :
“सुनो ये
क्या लगा रखा है। सुबह सारे व्हाट्सप्प मैसेज देखे थे हमने। ये सुमन ने क्या- क्या
नहीं भेजा हुआ आपको। कैसे- कैसे वीडियो और चुटकले। कॉल लॉग भी देखा है -पिछले एक
महीने से आप दोनों की रोज कम से कम दो -तीन बार बात होती है। “
“तो ???”
शेखर
का जवाब सुन मीरा गुस्से में फटने वाली थी। पर इतनी लम्बी शादी के बाद ऐसे ही कैसे
किसी पराई स्त्री
को पति से इतनी नजदीकियां बढ़ाने देती। पति को कैसे भी समझाना -बुझाना जरूरी था।
वो नौकरी नहीं करती, बच्चे भी छोटे हैं। घर -गृहस्थी तो बचाकर
ही चलना पड़ेगा। सो अपने गुस्से में काबू कर बोली -“देखो। मैं
बात को बढ़ाना नहीं चाहती पर मुझे ये ————-“
उसकी
बात पूरी होती इससे पहले ही घर की घंटी बजी।
“अरे सुमन
को बुलाया था कुछ कागज़ देने के लिए। उसी ने घंटी बजाई होगी।’इतना कह
शेखर ने लपक के दरवाजा खोला।
“आओ सुमन
आओ कब से तुम्हारा ही इन्तजार कर रहा हूँ!”
पति
की बातें मीरा के कानों में पड़ीं, तो उसने निश्चय
किया की वह इस सुमन की बच्ची का चेहरा भी नहीं देखेगी।
बिना
सुमन की और देखे वह किचन की तरफ बढ़ ही रही थी कि सुमन ने उसका अभिवादन किया।
“नमस्ते
भाभी जी!”
मीरा
मुड़ी।
सामने
सुमन को देख,
हड़बड़ाहट
में जवाब दिए बिना ही रसोई की तरफ चल पड़ी। जलपान की
व्यवस्था करने।
छह
फुट लम्बे दाढ़ी -मूँछ वाले
सुमन जी के लिए।
-0-
3-भेड़ियों के बीच
“अरे ये
वही है न
!
जिसकी इज्जत लूटी गई थी ?”
“हाँ वही
लग रही है। सारे कपडे फटे बिलकुल वस्त्रहीन मिली थी। “
“बेचारी के
साथ बेहद ग़लत हुआ !
इससे तो अच्छा इसे मौत आ जाती। माँ -बाप की इज़्ज़त भी धूल
में मिल गई
“
“अरे आग
बिना धुवाँ कहाँ।
इसी के साथ क्यों हुआ ? ऐसे ही बनी -ठनी घूमती थी पहले भी। “
“सोनू के
पापा तो कह रहे थे कि इसका पुराना याराना था उस लड़के के साथ।
पकड़ी गयी ,तो रेप कह
दिया।
“
“ये आजकल
की लड़कियाँ कपडे भी
तो कैसे पहनती हैं। खुद ही आफत को न्यौता देती हैं ।”
“भाई मजे
तो इसे भी आए होंगे।
अब तो और चटक माल लग रही है।”
“इसकी माँ
भी पागल है मेरे भाई का रिश्ता माँग रही थी। हम पागल हैं क्या जो ऐसी
लड़की को ब्याह लाएँ। “
पगलाने
लगी है वो इन फुसफुहाटों को सुन- सुनकर।
अब
यही सोचती रहती है -उस लड़के ने जो किया वह बुरा था, पर उसके
बाद जो पूरी दुनिया अपनी नज़रों और
अपनी आवाज़ों से शरीर
को भेदती है ;चरित्र को
तार -तार करने में लगी रहती है;उस दिन -रात लगातार चलते रेप की सजा
क्या होनी चाहिए ??
कुत्ते
को मृत्युदंड तो भेड़ियों को क्या ????
-0-
4-हल्दी -हाथ
नयी
बहू का गृह प्रवेश होना था। लड़के ने अपनी पसंद और मर्जी से शादी की थी। सब लोग
रिश्ते को लेकर संशय में थे। जाने कैसी लड़की हो। यहाँ निभा पाए या नहीं। पंडित जी
हल्दी हाथ की रस्म करवाने लगे। नई बहू ने अपने हाथ हल्दी के घोल में
डुबाए,
अब
इन हाथों से उसे घर की दीवारों में छाप छोड़नी थी। घूँघट के
अंदर से उसने बैठक की हाल ही में रंग रो-गन की गई दीवारों
को देखा। अभी वइह देहरी पर
ही खड़ी थी।
“पंडित जी
यहाँ छाप छोड़ूँगी ,तो बैठक
की दीवार पर निशान पड़ेंगे ।”
इतना
कहकर उसने झट
से मुड़कर दरवाजे से बाहर की दीवार पर अपने हाथों की छाप छोड़ दी।
उसकी
बात सुनकर
सब
हँसने लगे।
सारे रिश्तेदारों,
सास
और ससुर को यकीन हो गया कि वह इस घर को अपना मान चुकी है।
हर
संशय हल्दी -हाथ की छाप में मिट गया।
बहू
का अपने घर में प्रवेश हो गया ।
-0-
5-ज़रूरत
“अम्मा बस
तीस रुपये का आता है। दे न।
कितने साफ़ सुथरे होते हैं। गन्दा कपडा देखके हमें घिन आती है। टीचर दीदी भी कहती
है कि ये हमें स्वच्छ रख बीमारी से बचाते हैं। “
मुनिया
ने अपनी अम्मा से जिद की।
“ये चोंचले
पैसेवालों के होते हैं। जमाना गुजर गया इन्ही कपड़ों के सहारे ये दिन गुजारते। कौन
सा बीमारी लग गयी हमें। “
अम्मा
मुनिया पर खीजी।
“बीमार
नहीं हो तो डॉक्टरनी से दवाई क्यों मांग रही
थी?
सफ़ेद
पानी आता है…. क्यों कहा था ?”
मुनिया
जिद पर थी।
”
एक
बार ना कह दी तो कह दी। काम काज कर कुछ मेरा सर न खा। “
अम्मा
डपटके मुनिया को भगा ही रही थी कि वहाँ जीतू आ गया।
“अम्मा साठ
रुपए तो दे बाल कटाने हैं। “
“बाल तो
तीस रुपये में ही कट जाते
हैं। साठ क्यों चाहिए ?”
अम्मा
ने पूछा तो जीतू बिंदास हँसकर बोला-“वो पेड़
के नीचे वाले नाई
का रेट है। मैं तो अबके सलून में कटवाऊँगा… बिलकुल हीरो
जैसे। अब दे अम्मा मुझे देर हो रही है। “
अम्मा
ने झट से जीतू को साठ रुपए दिए।
हीरो जैसे
बाल कटाना ज़्यादा जरूरी जो था।
-0-
-0-अपराजिता जग्गी ,22,
मुनीरका
विहार,
नई
दिल्ली – 110067
aprajitalakhera@rediffmail.com
9873643308