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Channel: लघुकथा
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भगवान

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वह दौड़ता हुआ आया | दौड़कर आने की वजह से हाँफने लगा | चेहरे पर पसीना चुहचुहा आया | माँ ने कहा, “क्या कोई भूत देख लिया, जो दौड़ता – दौड़ता आ रहा है |”
उसके मुँह से आवाज नहीं निकली, लगा कि आवाज गले में ही फंस गई हो | भीतर गया | पानी पिया | पानी पी कर आया तो माँ ने फिर पूछा, “बता न, क्या हुआ?”
“हनुमानजी के मंदिर में किसी ने एक आदमी को मार डाला |” उसने बताया |
“किसे?” माँ का कलेजा मुँह को आया |
“पता नहीं… यहाँ का नहीं है… किसी और गाँव का है… सब लोग यही कह रहे हैं |” उसकी साँस अब ठीक होने लगी, “किसी ने उसके सिर पर पत्थर पटक दिया | फट गया |”
“हे भगवान!” माँ ने अपना सिर पकड़ा,” मंदिर में पुजारी नहीं थे क्या?”
“वो अपने घर में सो रहे थे… कुछ ही दूरी पर ही उनका घर है न |”
“पर उसे मार क्यों दिया? ”
“लोग कह रहे हैं कि उसे मार के उसके पैसे लूट लिए… पर्स पड़ा मिला… खाली… ”
“कैसा जमाना आ गया है!… रुपये – पैसे के लिए जान ले ली!”
“उसकी मोटरसाइकिल वहीं खड़ी मिली… लोग कह रहे थे – शायद वो रात बिताने के लिए मंदिर में रुका था|”
“भीड़ होगी वहाँ?” माँ ने पूछा |
“पूरा गाँव वहीं है | पुलिस भी है | पर माँ… ”
“क्या?”
“मंदिर में तो भगवान भी थे, उन्होंने उसे क्यों नहीं बचाया?”
माँ चुप रही |
“बताओ न माँ… उस समय भगवान कहाँ थे?”
माँ फिर चुप रही |
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संपर्क: विद्या भवन, वार्ड नंबर 17, सुकरी चर्च, जुन्नारदेव, जिला-छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश), पिन – 480551
मोबाइल नम्बर – 9425837079 / 8319714936


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