शहर में राष्ट्रीय स्तर पर चित्र प्रतियोगित का आयोजन किया गया था।शहर में जगह जगह पोस्टर लगे थे।पिछले एक हफ्ते से यह क्रम चल रहा था अलग अलग जगह पर प्रसिद्ध कलाकारों की कलाकृतियों की प्रदर्शनी लग रही थी।
आज प्रदर्शनी का अंतिम निर्णायक दिन था।पांखी के दिल की धड़कन तेज़ थी उसके बेटे अयांश के भाग्य का भी निर्णय होना था।
हॉल खचाखच भरा था।पांखी आगे बैठी थी।नृत्य ,संगीत का भी आयोजन था और उसके बीच में जिनकी कलाकृति सराहनीय लगी उनके नाम की घोषणा होती. इस समय पांखी को अपनी सांस पर काबू करना मुश्किल हो रहा था
वह अतीत के गलियारे में पहुंच गई।उसको वह दिन याद आ गया जिस दिन अयांश रोते हुए घर आया था और बस्ता फेंक कर स्कूल नहीं जाने की रट लगा रहा था।पांखी ने जल्दी से उसकी डायरी पढ़ी उसमें स्लिप लगी थी जिसमें टीचर ने लिखा था कि ” अयांश पढ़ने में ध्यान नहीं देता,प्रश्न का उत्तर रेखा चित्र बनाकर देता है। हम उसे, और आपको भी कई बार चेतावनी दे चुकें है। उसे कड़ाई से बदलने की ज़रूरत है, वरना इस तरह नहीं पढ़ा सकते। बेवकूफ़ बच्चे को स्कूल का नाम खराब नहीं करने दे सकते ”
पांखी की आँखें छलक आयीं। बेवकूफ , ये शब्द इस्तेमाल किया जा रहा था उसके मासूम बेटे के लिए। उसे यह तो पता था कि अयांश ज्यादातर चित्र बनाता है , उसने कई बार उसे समझाया भी था. लेकिन जबर्दस्ती उसकी प्रतिभा को दबाने की कोशिश नहीं की थी। लेकिन अब तो स्कूल उसके होशियार बेटे की तरक्की, उसके भाग्य का दरवाजा ही बंद करने जा रहा था…उसपर घुटन का ऐसा ताला लगाने जा रहा था, जो अयांश से कभी खुलने वाला नहीं था।
डबडबायी आँखें पोंछते हुए पांखी ने उसकी कापियों को एक बार फिर गौर से देखा।और देखती ही रह गयी।एक एक चित्र सुंदर और सजीव था। लगता था जैसे रेखायें बोल रही हों।
अब पांखी को तुरंत निर्णय लेना था। कोई चाभी तलाशनी थी। उसके टूटते सपनों को बचाकर उन्हें खुले आसमान तक पहुंचाना था। उसने उस स्लिप को मुट्ठी में बंद करके फेंक दिया, और अयांश की ज़िंदगी की नई राह तलाशने निकल पड़ी।
तभी तालियों की आवाज़ से उसकी तन्द्रा टूटी। चंद मिनटों में उसने कई सालों का सफ़र तय कर लिया था। उधर स्टेज पर तीसरे और दूसरे नम्बर की घोषणा पहले हो चुकी थी। बस पहले विजेता के नाम का सब इंतजार कर रहे थे। तभी अयांश के नाम की घोषणा होते ही तालियों से हॉल गूंज उठा।अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अयांश को इस स्थान पर देखकर पांखी को खुशी हो रही थी ।
उसने अपने बेटे के भाग्य का ताला खोलने के लिए सही वक़्त पर सही चाबी चुनी थी।
-0- Mrs. Madhuri mahalwala, 20, Gomti Sadan, River Bank Colony, Lucknow [ # 7376270224,#9335817070