वह एक तलाकशुदा पढ़ी-लिखी समझदार महिला थी।उसका बौद्धिक स्तर बहुत ऊँचा था।सम्भवतः बौद्विकता का आधिक्य उसके तलाक का कारण रहा होगा। उसका हमारे घर में आना-जाना था, सभी उसको पसंद करते थे ।विशेषकर मेरी माँ को वह बहुत पसंद थी और पत्नी भी उसके व्यवहार की बहुत प्रशंसा करती थी।धीरे -धीरे मैंने उसे नोटिस में लिया तो पाया कि मैं उसकी ओर गहरे से आकर्षित हूँ । हमारी मुलाकातें घर के बाहर अधिक होने लगीं ।
शिवरात्रि को मेरे ऑफिस की छुट्टी थी । हम कॉफी होम में मिले । उसने सिर्फ चाय मँगवाई,उसका उपवास था । मैंने हँसते हुए पूछा- आज तुमने भगवान से क्या माँगा ?
वह बोली-तुम्हारी पत्नी का अखंड सौभाग्य।
उसकी उदारता की भावना से मैं पिघल -सा गया । मैंने भीगे स्वर में कहा -अपने लिए कुछ नहीं माँगा ? उसने स्थिर स्वर में उत्तर दिया -तुम्हारी पत्नी अखंड सौभाग्यवती होगी ,तो उसके बाद तुम तो रहोगे फिर मेरी ही मोनोपली रहेगी । मैं मुँह ताकता रह गया ।
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