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Channel: लघुकथा
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सामयिक हिन्दी लघुकथाएँ

सामयिक हिन्दी लघुकथाएँ-सम्पा-त्रिलोक सिंह ठकुरेला, पृष्ठ:144, मूल्य : 200 रुपये, प्रकाशक :  राजस्थानी ग्रन्थागार, सोजती गेट जोधपुर ; संस्करण : 2016

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पापा जब बच्चे थे

कुछ दिन पहले ही बेटी ने कॉलेज में प्रवेश लिया था।माता-पिता ने उसे बड़े चाव से मोबाइल फोन ले दिया था। मोबाइल के अपने फ़ायदे हैं।देर-सबेर हो जाए या कोई दुःख-तकलीफ या कोई ऊँच-नीच हो जाए तो फ़ौरन घर बता सकते...

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अप्रत्याशित

दीदी जी! ओ दीदी जी! ज़ोर-ज़ोर से आवाज़ें लगा रहे थे वे घर के गेट पर। उनकी तीखी आवाज़ें कानों में सीसा सा घोल रही थीं उसके, “इन्हें क्या फर्क पड़ता है, कोई जिए या मरे, इन्हें तो बस अपनी ही चिंता है”...

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फटी चुन्नी

सीमा जो मात्र 14 साल की रही थी ,बैठ कर सिल रही है अपनी इज्जत की चुन्नी को आशुओं की धागा और बेबसी की सुई से । कल ही लौटी ही बुआ के घर से ।वहाँ जाते वक्त सुरमयी सी कौमार्य को ओढ़कर गई थी । पर आते वक्त सब...

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मुखौटे

आज मकान मालिक के घर में पूजा थी ठीक पिछले साल की तरह।किराएदार मालती को लगा की चाची कल कहना भूल गई होंगी आज ही बुला लेगीं दरवाजे पर खड़ी आने-जाने वाली औरतों के पैर छूने मशगूल थी छोटी जो थी सबसे।कॉलोनी...

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लघुकथाएँ

1. लुटेरे इतिहास के दो छात्र भारत पर हुए आक्रमण एवं लुटेरों के विषय पर अत्यंत हीं तार्किक ढ़ंग से बात कर रहे थे-“अति प्राचीन काल से अनेक आक्रमणकारी यहाँ आए। कुछ भारत विजय की इच्छा लेकर आए तो कुछ...

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लघुकथा की क्षमता

परिवर्तन प्रकृति का शाश्वत सत्य है।लेखन के क्षेत्र में ये तत्व पूरी प्रतिबद्धता के साथ विद्यमान है।विशेष रूप से, यदि लघुकथा के परिपेक्ष्य में देखें तो स्पष्टता से परिलक्षित होता है। अपने उद्भव से लेकर...

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25वां अंतर्राज्यीय लघुकथा सम्मेलन सम्पन्न

‘मिन्नी’ त्रैमासिक द्वारा आल इंडिया पिंगलवाड़ा चैरिटेबल सोसाइटी के सहयोग से 23 अक्तूबर 2016 (रविवार) को पिंगलवाड़ा, मानावाला (अमृतसर) में आयोजित 25वें अंतर्राज्यीय लघुकथा सम्मेलन में दिल्ली, उत्तर...

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लड़ाई

(अनुवाद: सुकेश साहनी) उस रात महल में दावत थी। तभी एक आदमी वहाँ आया और राजा के सम्मुख दण्डवत् हो गया। दावत में उपस्थित सभी लोग उसकी ओर देखने लगे––उसकी एक आँख फूटी हुई थी और रिक्त स्थान से खून बह रहा था।...

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ਨਜ਼ਰੀਆ-नज़रिया

(अनुवाद-श्याम सुन्दर अग्रवाल) ਸੂਫਿਲਮ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਪੰਜ ਸਾਲਾ ਬੱਚਾ ਖਚਾਖਚ ਭਰੇ ਸਿਨਮਾ ਹਾਲ ਦੀ ਬਾਲਕਨੀ ਦੀ ਰੇਲਿੰਗ ਉੱਤੇ ਝੁਕ ਕੇ ਹੇਠਾਂ ਦੇਖ ਰਿਹਾ ਸੀ। “ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਨਾ ਝੁਕ ਬੇਟੇ, ਥੱਲੇ ਡਿੱਗ ਪਏਂਗਾ।” ਪਿਤਾ ਨੇ ਪੁੱਤਰ ਨੂੰ...

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लघुता में विराटता के दर्शन

डॉ उपेन्द्र प्रसाद राय की इन लघुकथाओं को किसी भी कहानी संग्रह के समक्ष रखकर देखिए, ये आपको कहीं भी कमतर महसूस नहीं होगीं। कहानी जीवन का एक टुकड़ा मात्र होती है। और यह टुकड़ा जीवन से अपनी अनिवार्य...

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हिन्दी लघुकथा में समीक्षा की समस्याएँ एवं समाधन

हिन्दी साहित्य कोश के अनुसार-समीक्षा अर्थात् अच्छी तरह देखना, जाँच करना-सम्यक् ईक्षा या ईक्षाणम् । किसी वस्तु, रचना या विषय के सम्बन्ध् में सम्यक् ज्ञान प्राप्त करना, प्रत्येक तत्त्व का विवेचन करना...

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महात्मा

  (अनुवाद : सुकेश साहनी) जवानी के दिनों में मैं पहाडि़यों के पार शान्त वन में एक सन्त से मिलने गया था। हम सद्गुणों के स्वरूप पर बातचीत कर रहे थे कि एक डाकू लड़खड़ाता हुआ टीले पर आया। कुटिया पर पहुँचते...

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मोनोपली

वह एक तलाकशुदा पढ़ी-लिखी समझदार महिला थी।उसका बौद्धिक स्तर बहुत ऊँचा था।सम्भवतः बौद्विकता का आधिक्य उसके तलाक का कारण रहा होगा। उसका  हमारे घर में आना-जाना था, सभी उसको पसंद करते थे ।विशेषकर  मेरी माँ...

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लघुकथा और शास्त्रीय सवाल

लघुकथा ज्यों–ज्यों फैलाव ले रही है, त्यों–त्यों उससे कुछ सवालों को अकारण ही जोड़कर स्वयं को उभारने की कोशिश भी होती रही है। ऐसी स्थिति में रचना और आलोचना तथा इसके रिश्तों पर बुरा असर पड़ा है। वे...

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होशियार

मैं किराने की दुकान पर पहुँचा ही था कि तभी एक पढ़ी-लिखी,बेहद तेज तर्राट महिला ने जल्दी से दुकान में प्रवेश करते हुए सीधे-सादे, भौंदू से दिखने वाले दुकानदार की ओर एक किलो चायपत्ती का लगभग खाली हो चुका...

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सपनों के गुलमोहर

अमेरिका से तीन माह बाद लौटी रश्मि, पति रवि के साथ कदमताल करते हुए एयरपोर्ट से निकल कर ‘पार्किंग-लॉट’ में पहुँची तो रवि को एक नई चमचमाती उजली ‘इनोवा’ का दरवाजा खोलते देख चौंकी लेकिन प्रफुल्लित नहीं हुई,...

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छू लिया

सुहासिनी ने दूर से सरसतिया को देखते ही मुँह में कपड़ा लपेटा। उसे लगता है – जब भी कोई भी सड़क से गुज़रता है ,तो सरसतिया जानबूझ ज़ोर-ज़ोर से झाड़ू मारकर धूल उड़ाती है। – “पर इन लोगों के मुँह कौन लगे, कुछ कहा...

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लघुकथाएँ

1-संस्कार ‘‘हम सांस्कृतिक कविता के पोषक हैं, हमने एक दल ऐसे नए प्रतिभाशाली कवियों का बनाया है,जिनका लेखन बहुत श्रेष्ठ है और कविता पिछले कवि सम्मेलनों की छवि को सुधारने की क्षमता रखती है’’, कहकर...

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कथादेश-अखिल भारतीय हिन्दी लघुकथा प्रतियोगिता

कथादेश-अखिल भारतीय हिन्दी लघुकथा प्रतियोगिता के लिए लघुकथाएँ जनवरी-2017 तक आमन्त्रित ; लघुकथाएँ इस पते पर डाक द्वारा भेजिए-57-बी, पॉकिट-एल, दिलशाद गार्डन, दिल्ली-110095

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