Quantcast
Channel: लघुकथा
Viewing all articles
Browse latest Browse all 2466

अंधों का घर

$
0
0

दीपावली करीब आ रही थी, दृष्टिहीन विद्यालय के दृष्टिहीन नए शिक्षक को किराए के मकान की तलाश थी, ताकि दिल्ली से आई अपनी दृष्टिविहीन नवविवाहिता पत्नी के साथ दीपावली का आनन्द ले सके।

मैं मकान दिखाने ले गई। सब कुछ ठीक-ठाक लगने क॑ बाद सर ने मकान मालिक से पूछा-किराया तो तय हो गया है, लाइट का क्या?

मकान मालिक लाइट की बात आते ही हँस दिए- आपसे मीटर बिल तो क्या लेंगे, फिर आप लाइट जलाकर क्या करेंगे? आपके काम की तो है नहीं।

हाँ, गर्मियों में एक पंखे पर दस रुपये लगेंगे।

उस वक्त तो सर ने चुप्पी साध ली या यूँ मान लें कि वे खून का घूँट पीकर रह गए। वह दूसरे दिन विद्यालय में आकर उफन पड़े-कोमलजी, क्या कहिएगा इन लोगों को, जो पढ़े-लिखे तो हैं, पर समझते नहीं, भला आप ही बताइए कि हम तो उनकी जुबान में अंधे ठहरे, हमें तो रात को रोशनी की जरूरत नहीं। क्या हम अंधों के घर आनेवाले और लोग भी अंधे ही होंगे?

-0-शिवनन्दन, 595, वैशाली नगर (सेठी नगर), उज्जैन-456010 (म०प्र०)


Viewing all articles
Browse latest Browse all 2466

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>