
आज माँ अस्पताल में भर्ती शायद अन्तिम साँसें गिन रही थी। अपनी माँ की हालत से व्यथित नवल अपने फेसबुक तथा वाट्सएप के दोस्तों से बार-बार विनम्र अपील कर रहा था-“प्यारे दोस्तो! मेरी माँ बहुत बीमार है, माँ जल्दी स्वस्थ हो जाए; इसलिए आप सभी की दुआ और प्रार्थना की मुझे बेहद आवश्यकता है।”
परिणामत: दोस्तों की आत्मीय संवेदनाएँ प्राप्त होती रहीं और उन्हें निरन्तर धन्यवाद देता रहा।
नवल के इसी मेसेज को पढ़ उसके वाट्सएप का एक दोस्त अपनी संवेदनाएँ वाट्सएप में प्रेषित करने के बजाय उसका दु:ख कम करने हेतु स्वयं ही उसके पास अस्पताल पहुँच गया और उसके कानों में माँ के स्वास्थ्य सुधार का एक अचूक नुस्खा बताया, जिसे सुन नवल के चेहरे पर छाई चिन्ता की लकीरें कम होने के बजाय फैलकर दुगुनी हो गई थीं। आगन्तुक ने केवल इतना
ही कहा था-“तुम अन्दर जाकर माँ के कानों में केवल इतना ही कह दो कि माँ! तुम जल्दी ठीक हो जाओ! तुम्हारे बिना घर सूना है।”
वह आगन्तुक और कोई नहीं वृद्धाश्रम का मैनेजर था।
516, साईनाथ कॉलोनी,
(सेठी नगर) , उज्जैन-456010 (म०प्र०)