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Channel: लघुकथा
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लघुकथा में शिल्प, भाषा और संवेदना

गोपाल राय के अनुसार, ‘किसी साहित्यिक कृति के शिल्प का विवेचन करने का अर्थ उस कौशल का उद्घाटन करना है, जिससे उसके रूप या आकार की निर्मिति हुई है ।’ मार्क शोरर कहते हैं, ‘जब हम शिल्प की बात करते हैं तब...

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लघुकथाएँ

अनिल मकरिया 1- ऑनर किलिंग भालचंद्र मिश्रा और सैयद शब्बीर ने आज वे दोनों वृक्ष कटवा दिए; क्योंकि वे पेड़ अब सरहदें तोड़ने लगे थे । मिश्राजी और सैयद साहब के आँगन में लगे वृक्षों की डालियाँ जब भी दीवार...

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सीक्रेट फ़ाइल

        सूरज के तेवर के साथ ट्रैफ़िक की आवाजाही भी बढ़ती जा रही थी, इंतज़ार में आँखें स्कूल-बस को ताक रही थीं। अपनेपन की तलाश में प्रतिदिन की तरह निधि, प्रभा के समीप आकर खड़ी हो गई और बोली –...

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अंधों का घर

दीपावली करीब आ रही थी, दृष्टिहीन विद्यालय के दृष्टिहीन नए शिक्षक को किराए के मकान की तलाश थी, ताकि दिल्ली से आई अपनी दृष्टिविहीन नवविवाहिता पत्नी के साथ दीपावली का आनन्द ले सके। मैं मकान दिखाने ले गई।...

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बेटे की ममता

आज माँ अस्पताल में भर्ती शायद अन्तिम साँसें गिन रही थी। अपनी माँ की हालत से व्यथित नवल अपने फेसबुक तथा वाट्सएप के दोस्तों से बार-बार विनम्र अपील कर रहा था-“प्यारे दोस्तो! मेरी माँ बहुत बीमार है, माँ...

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परम-हंस

मान सरोवर से चला एक हंस, मृत्युलोक में एक डेरी की चाहरदीवारी पर आ बैठा। पास बैठा एक कौआ, अपनी जाति-बिरादरी के गौरव, हंस को देख खुशी से फूला ना समाया। चहकता, खिलता बोला, ’’दादा, धन्य भाग्य हमारे, जो आप...

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आरक्षित सीट

“क्या हुआ? चिल्ला क्यूँ रहा है?” “थारे घणी पीड़ हो री दिखे?” “अरे! उम्र तो देख ले सामने वाले की।” “के बात करे से। पिछतर सूँ ऊपर आले ने प्रधानमंत्री मोदी जी पार्टी सूं बारे काड दियो है तो अब मेट्रो...

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वांछित प्रभाव छोड़ती है लघुकथा

इतिहास के झरोखे से देखें तो लघुकथा प्राचीन विधा है। इसका अपना स्वतंत्र अस्तित्व है। लघुकथा सीधे अपने कथानक की प्रकृति के अनुसार सटीक भाषा शैली से अपने अंत पर पहुँच कर वांछित प्रभाव छोड़ती है। लघुकथा...

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नई पुस्तकें

प्रयोगात्मक शैलियाँ और लघुकथाएँ:संपादक: डॉ. पुरुषोत्तम दुबे/योगराज प्रभाकर, पृष्ठ संख्या: 88, मूल्य: 100 रुपये,  वर्ष: 2023,प्रकाशक: देवशीला पब्लिकेशन, पटियाला आग (लघुकथा संग्रह):तृतीय संस्करण,लेखक:...

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स्मृति शेष मधुदीप:अविराम साहित्यिकी का  विशेषांक

लघुकथाकार ( स्मृति शेष) मधुदीप जी के योगदान पर अविराम साहित्यिकी का  विशेषांक-सम्पादक: डॉ. उमेश महादोषी । इस अंक को निम्नलिखित लिंक को क्लिक करके डाउनलोड किया जा सकता है- 52. Aviram Sahityiki...

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पुल

(अनुवाद; सुकेश साहनी) मैं कठोर और ठंडा था। मैं एक पुल था। मैं एक अथाह कुंड पर पसरा था। मेरे पाँव की अँगुलियाँ एक छोर पर। मैं भुरभुरी मिट्टी में अपने दाँत कसकर गड़ाए था। मेरे कोट के सिरे मेरे अगल–बगल...

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उसके बिना

निम्नलिखित लिंक को क्लिक करके उसके बिना लघुकथा सुनी जा सकती है- उसके बिना

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बुलावा/ न्यूतू

गढ़वाली अनुवाद :डॉ. कविता भट्ट ‘शैलपुत्री’   ठक-ठक….! ठक-ठक….! “को च ? द्वार खुल्ला छन ऐ जावा।”  “राम राम चन्दा!” “राम राम बाबूजी! तुम इख!”  “किलै, मि इख नि ऐ सकदौं क्या?” “ऐ किलै नि सकदाँ! पर इख औंदू...

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अकेला कब तक लड़ेगा जटायु इकुली कब तकैं लड़लु जटायु

गढ़वाली अनुवाद: डॉ. कविता भट्ट ‘शैलपुत्री’ लगभग चौथा स्टेशन तकैं कम्पार्टमेंट बिटिन सब्बि जातरि उतरि गे छा। रै ग्याँ मि अर बढ़दा जाड्डै वजै सि जरा जरा देर म कौंपदि, डरीं आँख्यूँ वळि वा नौनी।...

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अपने-अपने सावन

बारिश थी कि रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। कच्ची छत से पानी की धाराएँ निरंतर बह रहीं थीं। टपकते पानी के लिए घर में जगह-जगह रखे छोटे बड़े बर्तन भी बार-बार भर जाते थे। उसके बीवी-बच्चे एक कोने में दुबके...

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What the Short Story Did

Translated from the Original Hindi by Kanwar Dinesh Singh Upon  hearing  the  request  of  his  father  on  the  phone,  he  said,  “Papa  ji,  I  would have made the children talk to you, but….”...

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A Blurred Picture

Translated from the Original Hindi by Kanwar Dinesh Singh “Come on, have tea,” I said while bringing tea. “Hey!  I  would  have  made  it.  Why  did  you  go  through  this?”  she  said,  taking  a...

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लघुकथाएँ

1-क्वालिटी टाइम  अरसे बाद दोनों घर में अकेले थे। मौसम भी सुहाना हो रहा था। घने बादल, ठंडी हवा के साथ रिमझिम बारिश की फुहारें कुछ अलग ही समाँ बाँध रही थी। पति हमेशा की तरह कमरे में  ऑॅफिस की फाइलों में...

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‘गहरे पानी पैठ’: समकाल की सार्थक अभिव्यक्ति (लघुकथा-संग्रह):

लघुकथा साहित्य की महत्त्वपूर्ण विधा के रूप में सुपरिचित व स्थापित है। जीवन-जगत की वे अधिकतर स्थितियाँ जिनसे सामान्यजन का रोज ही सामना होता है। लघुकथा की अन्तर्वस्तु बनती हैं। और जनमानस पर अपना गहरा...

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तंत्र की संधियाँ

एक व्यक्ति समाज में फैले भ्रष्टाचार से बड़ा व्यथित था. उसने एक व्यापारी के बारे में सुना कि वह बड़े पैमाने पर कर की चोरी करता है.उसने वाणिज्यकर विभाग को इसकी गुप्त सूचना प्रेषित कर दी. अगले ही दिन रेड...

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