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लघुकथाएँ

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1-क्वालिटी टाइम

 अरसे बाद दोनों घर में अकेले थे। मौसम भी सुहाना हो रहा था। घने बादल, ठंडी हवा के साथ रिमझिम बारिश की फुहारें कुछ अलग ही समाँ बाँध रही थी। पति हमेशा की तरह कमरे में  ऑॅफिस की फाइलों में व्यस्त थे।

“यह लीजिए, चाय के साथ आपके पसंद के प्याज के पकोड़े।”- पत्नी ने पकौड़ा उनके मुँह में डाल कर, मुस्कुराते हुए कहा।

 कितने समय बाद आज वह पत्नी को भर नजर देख रहे थे। अचानक उनके मशीनी शरीर में इंसानी स्पंदन महसूस होने लगा। आज पत्नी कुछ ज्यादा ही सुंदर लग रही थी या वे ही थोड़ा रूमानी हो रहे थे, कहना मुश्किल था।

“तुम भी तो मेरे पास आकर बैठो।”- पत्नी का हाथ प्यार से पकड़ते हुए कहा।

“अरे!…आप खाइए, मुझे रसोई में काम है।” – पत्नी ने बनावटी  आवाज में कहा।

 “बैठो न! आज हम कितने दिनों बाद, घर में अकेले हैं, वर्ना सारा दिन घर और बच्चों में व्यस्त होती हो।”

“आपके पास भी कहाँ टाइम रहता है। दिन भर आफिस, और घर पर भी फाइलों में ही डूबे रहते हैं।”

“क्या करूँ? इस बार मुझे प्रमोशन चाहिए ही है। तीन साल हो गए एड़ी चोटी का जोर लगाते, अब तो मेरे जूनियर भी मुझ से आगे निकल गए हैं।”

“चिंता न कीजिए, इस बार आपको जरूर तरक्की मिलेगी। मैंने भगवान से प्रार्थना की है।” 

“अच्छा यह सब छोड़ो, आओ कुछ अपनी बातें करते हैं।”- पति ने शरारत से आॅंखें चमकाते हुए कहा।

 ठंडी हवा के झोंके के साथ, सौंधी खुशबू ने आकर कमरे को भर दिया।

“हटिए न! आप भी।” -पत्नी के गाल शर्म से गुलाबी हो गए।

“सुनो न!मुझे तुमसे कुछ कहना है।”- पति ने प्यार से  कहा।

“अरे हाँ! याद आया मुझे भी आपसे कुछ बताना है।”- अचानक से पत्नी के चेहरे का गुलाबी रंग उड़ गया।

“कहो? “

 “बिट्टू के स्कूल से फीस भरने का नोटिस आया है। पूरे पाँच हजार भरने हैं।”- पत्नी ने चिंतित होते हुए कहा।

  कमरे  में फैली खुशबू कुछ कम सी होने लगी। पति के चेहरे पर भी चिंता की लहर दौड़ गई।

“सब इंतजाम हो जाएगा।”- अपने आप को संभाल कर पुनः पत्नी को बैठाते हुए बोला।

 “और हाँ…गाँव से भी माँ जी का फोन आया है, इस बार फसल खराब हो गई है। तो साल भर का अनाज नहीं भेज पाएँगी, उसका इंतजार हमें ही करना पड़ेगा।”

“अच्छा!” पति का चेहरा अब  तनाव ग्रस्त हो गया।

“कल मकान मालिक भी धमका रहा था। पिछले महीने, चाचा की बेटी की शादी ने घर का सारा बजट ही बिगाड़ दिया है।”-पत्नि अपनी धुन में कहे जा रही थी।

 “हाँ..हाँ देखता हूँ। “-अचानक से पति ने पत्नी का हाथ छोडकर, फाइल उठा ली और पन्ने पलटने लगा।

“अरे! आप भी तो कुछ कह रहे थे न? ” – पत्नी ने कुछ सोचते हुए कहा।

“ऊँ… हां कल से ऑफिस के डब्बे में दो रोटियाँ और ज्यादा रख देना।सोचता हूँ ओवरटाइम  कर लूँ।”

अब कमरे से खुशबू पूरी तरह उड़ चुकी थी। और धीरे -धीरे उसका इंसानी शरीर मशीन में तब्दील होने लगा।

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2-मोबाइल है न! 

“हैलो।”

“…… “

 “हाँ माँ।”

“….. “

 “शादी से?…मैं तो कल ही आई हूँ। “

“…. “

“शादी तो अच्छी थी। पर माँ मैं शादी में गई जरूर थी पर मेरा मन तो यहाँ घर पर बेटे में ही अटका रहा।”

“…. “

 “क्यों? अरे! पहली बार जो उसे घर पर अकेला छोड़ कर गई थी। वह भी तीन दिनों के लिए।”

“…. “

“हाँ! आप सही कह रही हैं, कि शायद अब वह सच में बहुत बड़ा हो गया है।”

“…. “

“क्या हुआ?..मुझे तो लगा था कि,इतने दिनों बाद मेरे घर आने पर मुझे देखकर वह लिपट जाएगा, लाड़ लड़ाएगा,  कुछ शिकवे- शिकायत करेगा, पर उसने ऐसा कुछ नहीं किया। बस वह तो अपने मोबाइल में ही बिजी रहा।”

“….. “

 “जब मैंने उससे पूछा कि बेटा मेरे घर पर न रहने पर तुम्हें बहुत अकेला फील हुआ होगा। तो जानती हो उसने क्या कहा बोला? “

“…. “

 “उसने कहा, नहीं मॉम! मोबाइल है न मेरे पास।”

“…. “

 “फिर ?…मैंने उससे पूछा, रात को तो मेरी याद जरूर आई होगी? तो वह बोला नहीं मॉम मोबाइल है न!…दोस्तों के साथ चैटिंग करने और अमेजन प्राइम पर फिल्म देखते देखते सो गया था।माँ न जाने क्यों उसकी बातें सुनकर मेरा दिल टूट सा गया।”

“….. “

 “फिर भी मैंने पूछा, क्या खाना खाते समय भी मेरे हाथ के खाने की याद नहीं आई? “

“…. “

“क्या बोला? मेरे पास मोबाइल है न, स्विग्गी और जोमैटो से अपने फेवरेट खाने को ऑर्डर कर दिया था। कहते हुए बेटा अपने मोबाइल में ही बिजी रहा।

 अच्छा हुआ माँ जो हमारे समय में मोबाइल नहीं था पर हमेशा माँ थी।”

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3-आईना

शहर की पाॅश कॉलोनी के आलीशान गार्डन में, दो छोटे बच्चे खेलते हुए बोले, 

 “बच्चों को फ्रूट खाना सबसे अच्छा होता है।” पहले बच्चे ने कहा।

“नहीं, ग्रीन वेजिटेबल खाना अच्छा होता है।” दूसरे ने कहा।

” मेरी टीचर ने मुझे बताया है, फ्रूट खाने से ताकत आती है।” पहले ने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा।

“मेरी मॉम कहती हैं, अगर मैं रोज ग्रीन वेजिटेबल खाऊॅंगा, तो कभी बीमार नहीं पड़ूॅंगा।” दूसरे ने भी अपनी बात रखी। “फ्रूट खाना गुड होता है…..”

 “नहीं ग्रीन वेजिटेबल……।”

दोनों बच्चे अपनी बात पर अड़े थे, तथा कोई भी हार मानने तैयार न था।

“ये लड़के सुनो!” वही गार्डन में अपने पिता की सफाई में मदद कर रहे माली के छोटे बच्चे को बुलाते हुए कहा।

“जी।” माली का बेटा सकुचाते हुए पास आकर बोला।

“तुम बताओ फ्रूट खाना अच्छा है कि ग्रीन वेजिटेबल?” पहले बच्चे ने कहा।

 कुछ देर तक सोचने के बाद, अपने दिमाग पर जोर देते हुए माली के बेटे ने कहा “रोटी! “

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4-प्रॉमिस

सुबह से वे कितनी बार फोन लगा चुके थे, पर फिर भी पोते से बात नहीं हो पा रही थी। अब तो धीरे-धीरे उनकी प्रसन्नता, उदासी में बदलने लगी थी। कितने उत्साह से  सुबह  पोते से बात करने फोन हाथ में लिया ही था कि “अरे!  बावले हो गए हो क्या? जो इतनी सुबह- सुबह फोन लगाने बैठ गए। वो आपका गाँव नहीं, शहर है, वहाँ सभी लोग अभी सो रहे होंगे, परेशान हो जाएँगे, बाद में बात करना।”- पत्नी की बात सुनकर वे मन मसोसकर रह गए और फोन रख दिया।

थोड़ी देर बाद फिर दोबारा फोन लगाया तो बहू ने बताया – “राहुल तो स्कूल चला गया जब आएगा तो बात करा दूँगी।” 

 पर इंतजार करते-करते शाम के चार बज गए, फोन नहीं आया, तो उन्होंने फिर फोन किया तो बहू ने बताया – “राहुल कोचिंग पढ़ने चला गया है, वहाँ से आएगा तब ही बात हो पाएगी।” 

अब तो रात के आठ बज गए, पोता घर आ चुका होगा -सोचकर उन्होंने फिर फोन लगाया, पर इस बार बहू ने कहा- “बाबूजी वह स्पोर्ट्स क्लब से अभी तक नहीं आया है।पिछले महीने टेबिल टेनिस के  स्टेट लेवल सिलेक्शन में एक स्टेप रह गया था। तो इस बार हम कोई गलती नहीं करना चाहते।आप  परेशान न हों,आएगा तो मैं आपसे जरूर बात करा दूँगी।”

“अच्छा बहू! “- कहकर उन्होंने उदास होकर फोन रख दिया।

 इंतजार करते- करते रात के बारह बज गए पर फोन न आया। एक आखरी बार, बात करने की गरज से उन्होंने हिचकते हुए फिर फोन लगा ही लिया, इस बार फोन  बेटे ने उठाया-” क्या बात है? बाबूजी, इतनी रात गए फोन किया?”

” राहुल से बात करनी थी।”

” पर वह तो सो गया है।”

” अच्छा!. …बेटा अगर न सोया हो, तो थोड़ा मेरी बात करा दे।”

” बाबूजी उसके शेड्यूल के हिसाब से वह सो गया है।”

” बेटा …आज उसका जन्मदिन है, तो. .”

” हाँ बाबूजी जन्मदिन था, सुबह स्कूल चॉकलेट्स और गिफ्ट्स लेकर गया था, बच्चों के साथ मनाया होगा, आप कल बात कर लेना।”- सपाट शब्दों में बोलकर बेटे ने फोन रख दिया।

” दादाजी…. प्रॉमिस कीजिए मेरे बर्थडे पर सबसे पहले आप ही मुझे विश करेंगे।” – छुट्टियों में गाँव आए, पोते की बात याद कर उनका दिल जार- जार रो उठा।

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5-लाठी

“सुनिए जी, आज हमारा बेटा, बहू से कह रहा था कि, शहर में बनने वाला मकान कुछ दिनों में पूरा हो जाएगा और वे लोग वहाँ चले जाएंगे।”

“चलो अच्छा है।”- वृद्ध ने ठंडी साँस भरते हुए कहा।

” क्या अच्छा है? हम यहाँ, अपने पोते के बिना कैसे रह पाएँगे? अरे! वही तो हमारे बुढापे की लाठी है।”- कहते कहते उनकी आँखें नम हो गई।

“भाग्यवान यही आज का चलन है। बच्चे अब अपने माँ-बाप को साथ नहीं रखना चाहते, इसलिए अपने मन को कड़ा कर लो।”- कहते -कहते उनकी साँसे तेज हो गईं।

“अच्छा,… मुझे मन कड़ा करने के लिए कह रहे हैं। और आप अपने मन को कड़ा कर पाए। रुकिए मैं आपके लिए पानी लेकर आती हूँ।”

 पानी लेने के लिए जैसे ही भी रसोई की ओर मुड़ी, बहू की आवाज सुनकर ठिठक गई।

“घर के नक्शे में इस कमरे के साथ में लगा बाथरूम भी बनवा दीजिए।”

 “बाहर आँगन में तो बना है, कमरे में क्या जरूरत है?”

“जरूरत है, माँ- बाबूजी को इतनी दूर जाने में परेशानी होगी।”

 बहू की बात सुनकर उनकी आँखें छलक गईं और आँसू पोंछकर वापस चली गई।

“पता नहीं बाबूजी हमारे साथ शहर आएँगे, इस उम्र में अपना घर को छोड़कर जाना उनके लिए मुश्किल होगा।” 

“क्यों नहीं जाएँगे? वे हमारे साथ जरूर जाएँगे, क्योंकि घर दीवारों से नहीं अपनों से बनता है”- बहू ने कहा

“हाँ,… तुम ठीक कह रही हो।”

 “और अगर न जाने की जिद करेंगे, तो हमारे पास उनकी जिद तोड़ने की लाठी तो है ही।” सोते हुए बेटे के सर पर हाथ फेरते हुए बहू ने इत्मीनान से कहा। 

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6- मेट्रो लाइफ

 महानगरीय जीवन शैली की चाल से चाल मिलाने की कोशिश में लगे, दोनों पति- पत्नी रात के नौ बजते- बजते,थके- हारे अपने -अपने ऑफिस से निकल पडे। घंटे भर बाद, आलीशान बहुमंजिला इमारत के सामने पहुँचकर कार से उतरे और

“हैलो डियर।”- एकदूसरे को देखकर फीकी मुस्कान के साथ पति ने कहा।

“हाय”- पत्नी ने भी थकी हुई आवाज में कहा।

“हैलो सर, …. योर डिनर पार्सल।”-  फेमस फूड कंपनी के डिलीवरी बाॅय ने पार्सल का पैकेट देते हुए कहा।

“ओके, थैंक्स।” – पति ने पार्सल लेकर कहा।

“हेव ऐ नाइस डिनर, सर एण्ड मैम।”- कहता हुआ बॉय चला गया।

रोज की तरह, ऑफिस से निकलते समय ही उन्होंने  ऑॅनलाइन खाना आर्डर कर दिया। जो उनके घर पहुँचने के पहले ही डिलीवरी बाय लेकर खड़ा था।

 लिफ्ट से, पच्चीसवे माले पर, पहुँचकर उन्होंने अपने फ्लैट का ताला खोला। पति वहीं ड्राइंग रूम में पड़े सोफे पर ढेर हो गया और टीवी ऑॅन कर लिया। पत्नी ने फ्रेश होकर, पार्सल का खाना प्लेट में निकालकर, पति को आवाज लगाई-“डियर,… डिनर इज रेडी।”

“ओके…डार्लिंग कमिंग।”- पति कहते हुए बाथरूम में फ्रेश होने घुस गया।

दोनों ने टीवी  से नजरें हटाए बिना, जल्दी- जल्दी अपना खाना खत्म किया और अपनी- अपनी प्लेट्स को धोकर, जगह पर व्यवस्थित रख दी।  बिस्तर पर अपनी- अपनी साइड पर लेटकर, मोबाइल पर दिन भर आईं,  सोशल मीडिया की खबरों को देखने में मशगूल हो गए। व्हाट्सएप, इन्स्टा, फेसबुक  पर आई  पोस्टों पर अपनी प्रतिक्रिया  दी। साथ ही अपने फेवरेट सिलेब्रिटी, स्पोर्ट्स प्लेयर,  दोस्तों और रिश्तेदारों की जन्मदिन, पार्टी, वेकेशन आदि की आई पोस्टों पर आधी रात तक लाइक और कमेंट कर, अपने आप को अपडेट किया। जब नींद से उनकी पलकें भारी होने लगी तो

” गुड नाइट डियर। ” – कहकर दोनों,  एक- दूसरे की तरफ पीठ कर सो गए।

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भेड़ाघाट जबलपुर म. प्र.


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