Quantcast
Channel: लघुकथा
Viewing all articles
Browse latest Browse all 2466

लड़की पसन्द है

$
0
0

दृश्य प्रथम :

तबले का छोटा भाग, जिसको डिग्गी कहते हैं, उस पर थाप पड़ रही थी-‘धिग धिग धा, धिग धिग धा।’

कोने में पड़ी सारंगी रो रही थी-‘रीं रीं रीं रीं।’

दृश्य द्वितीय :

‘‘तरंगीता के पापा! तुमने घर को संगीतशाला बना दिया है!’’ शामली  ने अपने पति से कहा, ‘‘और कुछ नहीं तो बेटी को संगीत की शिक्षा में डाल दिया!!’’

‘‘तुम भी शामली!’’ पति प्रणव ने बेटी तरंगीता का पक्ष लेते हुए कहा, ‘‘लड़कियों को घर के काम-काज के अलावे दूसरे हुनर भी आने चाहिए।’’

दृश्य तृतीय :

तरंगीता को देखने शैलेश , उसकी माँ और उसके पिता आए हुए हैं। तरंगीता चाय-नाश्ते से सजी ट्रे के साथ ड्रॉइंग-रूम में आती है।

दृश्य चतुर्थ :

‘‘लड़के को गाना-बजाना कतई पसंद नहीं! वह घर को संगीत का घराना बनाना नहीं चाहता है। घर को मंदिर ही बनाए रखना चाहता है।’’ तरंगीता की रुचि को जानकर लड़के की माँ ने जोर देकर कहा।

जवाब में तरंगीता आगे होकर कह उठी, ‘‘मंदिर भी आरती और भजन बिना संज्ञाहीन है।’’

दृश्य पंचम :

तबले बैण्ड-बाजे बन चुके थे और सारंगी शहनाई।


Viewing all articles
Browse latest Browse all 2466

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>