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Channel: लघुकथा
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लड़की पसन्द है

दृश्य प्रथम : तबले का छोटा भाग, जिसको डिग्गी कहते हैं, उस पर थाप पड़ रही थी-‘धिग धिग धा, धिग धिग धा।’ कोने में पड़ी सारंगी रो रही थी-‘रीं रीं रीं रीं।’ दृश्य द्वितीय : ‘‘तरंगीता के पापा! तुमने घर को...

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जलती हुई नदी

            मुझे डर लग रहा था जैसे मेरे पूरे शरीर  में खुजली हो आई हो। एक बारगी तो मैं डर गया कि चेचक के दाने ही निकल आए हैं परन्तु, डाक्टर ने बताया कि मौसम बदलने के कारण ऐसे दाने उग आते हैं लोगों को,...

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सुकून

‘‘सुनो, जरा एक कप चाय बनाओ।’’ स्कूल से आते ही अरविन्द ने कहा तो राधिका चौंक  गई। इस समय चाय? वह भी स्कूल से आते ही! कोई साथ में है क्या?’             ‘‘नहीं यार! इच्छा है कि आज घर में भी कुछ ऐसा किया...

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गहाई

वह अपने मित्र के साथ बातों में मशगूल था, तभी आवाज आई-‘‘पोस्टमैन..!’’ ‘‘तुम्हारे पास अभी भी पोस्टकार्ड आते हैं?’’ मित्र को आश्चर्य हुआ। ‘‘हाँ, मेरी माँ यह पत्र भेजती हैं।’’ ‘‘मोबाइल के जमाने में माँ...

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लघुकथा को गरिमा प्रदान करने वाला कथाकार : रमेश बतरा-डॉ0 सतीशराज पुष्करणा

हिन्दी–लघुकथा के पुनरुत्थान काल के आठवें दशक में लघुकथा को जिन कुछ लोगों ने सार्थक दिशा दी है, इसे हाशिए से उठाकर मुख्य धारा से जोड़ा, उनमें रमेश बतरा का नाम अग्रगण्य है। रमेश बतरा उन दिनों कमलेश्वर के...

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कतिपय लघुकथाओं पर विचार

अपना देशसत्यनारायण नाटेसत्यनारायण नाटे की लघुकथा ‘अपना देश’ गरीबी और दुर्गन्ध का एक प्रभावशाली चित्र उपस्थित करती है। यह बेबसी व लाचारी का सशक्त चित्रण प्रस्तुत करती है। एक भिखमंगे के माध्यम से...

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लघुकथाएँ

1-अम्मा फिर नहीं लौटी   राजकुमार निजात             जब भी कोई बस आती बूढ़ी अम्मा सिर पर अपनी गठरी लादे उस में चढ़ने के लिए दौड़ पड़ती लेकिन कुछ संस्कारहीन लोग उसे पीछे धकेलते हुए बस में चढ़ जाते ।...

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गहन संवेदना की लघुकथाएँ

1 गाइड : डॉ कविता भट्ट- यह लघुकथा मन के बहुत से द्वार खोलती है ।  प्रोफेसर द्वारा शालिनी को घूर-घूरकर देखना, शालिनी का आग्नेय नेत्रों द्वारा आपत्ति जताना, निशा द्वारा बताई गई बातें, शालिनी द्वारा दो...

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उत्तराधिकारी

सुनने के लिए निम्नलिखित लिक को क्लिक कीजिए- उत्तराधिकारी

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असंतुष्ट

[अनुवाद : सुकेश साहनी] एक समय शहर के प्रवेशद्वार पर दो देवदूत मिले। आपस में दुआ–सलाम के बाद वे बातचीत करने लगे। पहले देवदूत ने कहा,‘‘आजकल क्या कर रहे हो? तुम्हें क्या काम मिला है?’’ दूसरे ने बताया,...

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शर्त

          गंगावन अपना काम निबट कर आज कुछ जल्दी घर लौट आया था। उसने स्कूल का बस्ता घर में पड़ा देखा तो उसकी भौंहें चढ़ गई ‘‘पूर्ति, आज सगुना को जल्दी छुट्टी हो गयी क्या?’’ उसने पत्नी से पूछा।...

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पुस्तक लोकार्पण

1-दिशा प्रकाशन द्वारा शकुन्त दीप की स्मृति में पुस्तक लोकार्पण -कार्यक्रम 2-प्रदीप मोघे द्वारा अनूदित ‘घाबरलेली माणसे’ के द्वितीय संस्करण का विमोचन चर्चित लघुकथा संग्रह ‘डरे हुए लोग’ क़ा मराठी अनुवाद...

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नई पुस्तकें

फाउण्टेन पेन (लघुकथा संग्रह) : पवन जैन,प्रकाशक : अपना प्रकाशन,सुभाष कालोनी,गोविंदपुरा,भोपाल-462023 , संस्करण : प्रथम 2021 , मूल्य :370 /- ,पृष्ठ :120सफर एक यात्रा  (लघुकथा संग्रह) : सुरेंद्र कुमार...

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छोटे-छोटे सायबान

     रचना पढ़ते हुए सच्चाई से रूबरू होता प्रबुद्ध पाठक लघुकथा से एक जरूरी किस्म की अर्थवत्ता की मांग करता है और अगर लघुकथाकार स्वयं एक ख्यात समीक्षक हो तो पाठक की यह आस स्वतः ही पूर्ण हो जाती है।ऐसा...

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खूबसूरत

लघुकथा देखने और सुनने के लिए निम्नलिखित लिंक को क्लिक कीजिए- खूबसूरत-वाचन-नन्दा यादव

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संस्कार

‘बीना, आज आशु ने मुझे अपने शहर बुलाया है। मैं तो उस क्षण का इन्तज़ार कर रही हूँ जब मेरी नन्हीं पोती मेरी बाहों में होगी। आज मुझे अहसास हो गया कि कोई बेटा अपने माँ-बाप से दूर नहीं रह सकता। भले ही उसने...

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विकास

“दस साल में कितना बदल गया गाँव!” -पक्की सड़क और घर की छतों पर लगे डिश एंटिना को देखकर मेरे  मुँह से निकला। “बहुत बदल गया है। घर-घर टीवी और वाशिंग मशीन है और तो और एसी भी लग हैं अपने गाँव में।”-ई...

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कानून के दरवाजे़ पर

कानून के द्वार पर रखवाला खड़ा है। उस देश का एक आम आदमी उसके पास आकर कानून के समक्ष पेश होने की इजाजत माँगता है। मगर वह उसे भीतर प्रवेश की इजाजत नहीं देता। आदमी सोच में पड़ जाता है। फिर पूछता है- ‘‘क्या...

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घुटन

घुटन – लेखक –रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ , वाचन-नन्दा यादव  सुनने के लिए निम्नलिखित लिन्क को क्लिक कीजिए- घुटन  

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पुरस्कृत लघुकथाएँ, ‘लघुकथा: बहस के चौराहे पर’का लोकार्पण

कथादेश अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता-13 में पुरस्कृत लघुकथाएँ -0- ‘लघुकथा: बहस के चौराहे पर’ का लोकार्पण वर्ष 1983 में डॉ० सतीशराज पुष्करणा द्वारा संपादित व प्रकाशित पुस्तक ‘लघुकथा: बहस के चौराहे पर’...

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