“लाहौल बिला कुव्वत! तुम मेरी तरह नहीं हो सकते, खुदा ने मज़हब बनाया है, तो कुछ सोचकर ही बनाया होगा।’’ , अपनी टोपी ठीक करते हुए ‘क’ ने कहा और हाथ में पत्थर उठा लिया जुलूस पर फेंकने के लिए।
‘वही तो मैं कह रहा हूँ कि हमारा धर्म बहुत पवित्र है, तुम विधर्मी लोग हमारे बन्धु नहीं हो सकते’’ , ‘ ख’ के हाथ में भी एक पत्थर था।
“आप लोग मेरे साथ परमात्मा की पनाह में आएँ। सभी पर्दे खुल जाएँगे’’, ‘ ग ‘ ने क्रॉस बनाते हुए आसमान की ओर देखा और हाथ में पकड़ी बन्दूक से निशाना साध लिया।
शोर- शराबे और हिंसा के बीच एक छोटी मासूम लड़की को लहूलुहान देख कर वे तीनों रुक गए और उसे अस्पताल ले आए।
“यह हमारी कौम की लगती है!”, अस्पताल में तीनों यही बहस कर रहे थे कि तभी डॉक्टर ने आकर कहा, “बच्ची को ख़ून की जरूरत है ।’’
तीनों को पूर्ण विश्वास था कि उन्हीं का ही खून बच्ची के ब्लड ग्रुप से मिलेगा। जिस कौम की वह होगी उसी कौम का खून उसके खून से मिलेगा। मन्द अर्थपूर्ण मुस्कान से उन्होंने एक दूसरे को देखा।
“बहुत ताज्जुब की बात है कि आप तीनों का ही खून इसे नहीं चढ़ा सकते, बल्कि किसी भी इंसान को आपका खून नहीं चढ़ाया जा सकता।’ लैब असिस्टेंट ने हैरत के साथ देखते हुए कहा।
‘लेकिन क्यों?’, तीनों ने एक साथ पूछा
‘क्योंकि आप तीनों का ही खून सफेद रंग का हो चुका है’, असिस्टेंट के इतना कहते ही तीनों का चेहरा भी उनके खून की तरह सफ़ेद पड़ गया।
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