गरण
गढ़वाली में अनुवादः डॉ. कविता भट्ट “पिताजी राहुल छौ बुन्नु कि आज तीन बजि—” विक्की न बतौण चाई । “चुपचाप पौड़ी लि!” वूंन अखबार बिटी नजर हटयाँ बिना बोलि, “पड़े क टैम बुन्न-बच्यांण बिल्कुल बंद !” “पिताजी...
View Articleपाँव का जूता
बैसाख की सन्नाटे–भरी दोपहरी में कभी एड़ी तो थोड़ी देर बाद पंजे ऊँचे करके चलते हुए वे दुकान के अहाते में पसरी हुई छाइली के बीच खड़े हो गए। क्षण–भर बाद थकान और पीड़ा से भरी हुई निगाह उन्होंने दुकानदार की...
View Articleइलाज
एक माँ अपने छह साल के बच्चे को लेकर डॉक्टर के पास गई। उसने डॉक्टर से कहा–वैसे तो मेरा बच्चा स्वस्थ–प्रसन्न है। खूब दूध पीता है, डटकर खाना खाता है, छककर मिठाई खाता है, मुट्ठी भर–भरकर नमकीन खाता है, जी...
View Articleपेट
अमोधा मजदूरी करता है। पिछले एक सप्ताह से घर पर बैठा है काम नहीं लगा। वह मिश्राईन जिज्जी को जानता है। वे बहुत दयालु हैं। उनके नाती का परसों जन्मदिन था। खूब अच्छे-अच्छे पकवान बने थे। मिश्राईन थोड़ा तो...
View Articleअर्थ-परिवर्तन/ वफ़ादारी/
अर्थ परिवर्तन ( सेइ तिनि मंकडा),वफ़ादारी( कृतज्ञता):ओड़िया मेंअनुवाद- बिनोय कुमार दास
View ArticleGuide
Translated from the Original Hindi by Kanwar Dinesh Singh There was some discussion on the topic “Women’s Freedom and Respect” on the lunch break. Professor Shekhar Kumar was speaking something. The...
View Articleमिट्टी की महक
माधव नागदा की लघुकथाएँ अपनी केंद्रिकता, सुगठित बुनावट एवं स्थानीयता के कारण पाठकों को न केवल बांधे रखती हैं बल्कि अपनी अंतर्वस्तु और ट्रीटमेंट के चलते उन्हें प्रभावित भी करती हैं| हाल ही में...
View Articleनई- विरासत
“माधव.. कौन है रे?” -सेठ ने अपने नौकर को किसी से बात करते सुनकर पूछा। ” हमार बिटवा है, मालिक, कागज पर अँगूठा लगवाने आया है।” ” अच्छा!…. तेरा बेटा तो काफी बड़ा हो गया है।”- बच्चे को ऊपर से नीचे तक देख...
View Articleशहर अच्छे हैं
महानगर का रिहायशी इलाका। संध्या पाँच बजे के लगभग… कॉलेज से लौटती गुलाबी स्कूटी पर सवार लवीना की नजर सामने से आते हुए एक परेशान से खस्ताहाल बुजुर्ग पर टिक गई है। चेहरे पर हताशा इस ठंड के मौसम में भी...
View Articleखून का मज़हब
“लाहौल बिला कुव्वत! तुम मेरी तरह नहीं हो सकते, खुदा ने मज़हब बनाया है, तो कुछ सोचकर ही बनाया होगा।’’ , अपनी टोपी ठीक करते हुए ‘क’ ने कहा और हाथ में पत्थर उठा लिया जुलूस पर फेंकने के लिए। ‘वही तो मैं कह...
View Articleअंतर्द्वंद्व
तबीयत ठीक होने पर, दो दिन की छुट्टी के बाद आज ऑटो से विश्वविद्यालय जाते समय, आरती परेशान-सी थी। कोरोना के कारण पति की छूटी नौकरी, बढ़ी मंहगाई, बच्चों के स्कूल की फ़ीस आदि तमाम बातें उसे विचलित कर रही...
View Articleप्रेम
जीवन में सब कुछ था आज्ञाकारी ,शालीन, समझदार पति , दोनों की पेंशन ,स्वस्थ, सुयोग्य, आत्मनिर्भर संतान ,अपना घर ,फिर भी कुछ कमी सी थी। जीवन जैसे दाल- भात- सा ठहरा सा था । एक रूटीन सा था। न कोई उमंग न कोई...
View Articleआशीर्वाद
शनिवार की भीगी-सी शाम में सुनील अपने बीवी-बच्चों के साथ खूबसूरत पलों का लुत्फ उठा रहा । बाहर हल्की-हल्की बारिश हो रही थी और अंदर सब गर्म-गर्म पकोड़े और चाय का मज़ा ले रहे थे। चाय पीकर राधिका लूडो ले आई...
View Article1-रिश्ते( नात)
अनुवाद; रश्मि विभा त्रिपाठी “लेउ लखहु, सुरुज मूड़े प आन ठाड़ भा हवै अउर महारानी कै अबै दुपहर क जेवनारि कै तयारिही नाहीं सुरू भै।” खँघारे बर्तन क झउआ उठाए लीन्हे जाति छुटक्की काकी का लखि अजिया बहोरि...
View Articleआवाज़(गोहारि)
अनुवाद; रश्मि विभा त्रिपाठी अनुवादक-रश्मि विभा त्रिपाठी लाल बत्ती केर नगीच अठहीं-दसहीं बरस क्यार लरिका गोहरावति रहै। “गुब्बारा लइ लेओ। गुब्बारा लइ लेओ। रंग-बिरंग गुब्बारा लइ लेओ।” गुब्बारा अपुसा बतकही...
View Articleप्रतिरोध की सशक्त लघुकथाएँ: किसका दोष
आशमा कौल श्रीनगर कश्मीर में जन्मी और दिल्ली विश्वविद्यालय से शिक्षित सुपरिचित कवयित्री है। अब तक इनके छह काव्य-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। जिनमें कश्मीरियत की खुशबू को शिद्दत से महसूस किया जा सकता है।...
View Articleकितना कुछ अनकहा (लघुकथा- संग्रह)
सिद्धांत या शास्त्रीय निकष पर जब हम किसी रचना का मूल्यांकन करते हैं, उसके गुण और दोषों को रेखांकित करते हैं , उसके अस्तित्व तथा महत्व को नकारते या स्वीकारते हैं, रचना और रचनाकार को मूल्यांकित करते...
View Articleलघुकथा लेखन: आरोप , चेतावनियाँ व कमजोरियाँ
नरेन्द्र कोहली लघुकथा लेखकों को चेतावनी देते हुए कहते हैं, ‘लघुकथा अनिवार्य रूप से संक्षिप्त होगी, इसके स्थूल रूप में कौशलहीन ढंग से अपनी बात उगल देने का लोभ किसी भी लेखक को होगा, किंतु इस लोभ का संवरण...
View Articleलघुकथाएँ
!-एक्सीडेंट नींद खुलते ही नीतीश का ध्यान हमेशा की तरह घड़ी पर चला गया। दोपहर के 12:00 बज रहे थे। नितेश फैक्ट्री में शिफ्ट इंचार्ज था और वीणा प्राइवेट कंपनी में प्रशासनिक अधिकारी। नितीश की फैक्ट्री घर...
View Articleउद्गम / ਸ਼ੁਰੂਆਤ
ਪੰਜਾਬੀ ਅਨੁਵਾਦ: ਜਗਦੀਸ਼ ਰਾਏ ਕੁਲਰੀਆਂ पंजाबी अनुवाद : जगदीश राय कुलरियाँ “ਕੀ ਗੱਲ ਹੈ ਸ਼ਾਸਵਤੀ, ਗੁੰਮਸੁੰਮ ਜਿਹੀ ਬੈਠੀ ਹੈ?” ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਕਲਾਕਸ਼ੇਤਰਮ ਦੇ ਬਗੀਚੇ ਵਿਚ ਦੋ ਡਾਂਸ ਕਲਾਸ ਦੀਆਂ ਵਿਦਿਆਰਥਣਾਂ ਬੈਠੀਆਂ ਸਨ। “ਮੈਂ ਅੱਜ ਆਪਣੀ...
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