आज एक महीना होनें को आया है अम्मा और बाबूजी को केदारनाथ की यात्रा पर गए हुए ।
वहाँ आये तूफ़ान में हज़ारों लोग कालकवलित हो गए और हज़ारों लोग अभी भी लापता हैं ऐसी ख़बरें रोज़ टीवी और अख़बारों में आ रही थी ।
रामवती के सास ससुर भी तीर्थ करनें गए थे क़रीब पंद्रह दिन पहले अम्मा बाऊजी से मोबाइल पर बात हुई थी उस वक़्त वे केदारनाथ में थे । दूसरे दिन भयंकर तूफ़ान आने की ख़बर मिली थी घर वालों नें सोचा था शायद अम्मा बाऊजी भी इसके आगे रामवती नहीं सोच पाई दूसरे दिन जब टीवी पर केंद्र सरकार और राज्य शासन नें घायलों को पचास हजा़र और मृतकों के परिवार वालों को पाँच पाँच लाख रुपये देने की घोषणा की तो अंदर ही अंदर रामवती को तसल्ली हुई कि चलो अगर अम्मा बाऊजी नहीं आये तो दस लाख रुपये तो मिलेंगे ।
अभी उसे अपनी दोनों बेटियों की शादी भी करनी है घर पर भी दो कमरे बनवाने हैं कुछ कर्ज़ भी चढ़ा हुआ है । रामवती आश्वस्त थी कि अगर दस लाख रुपये मिल गए तो ये सब काम आसानी से सम्पन्न हो जाएँगे ।
अब वह चाह रही थी कि अम्मा बाऊजी नहीं मिलें तो अच्छा है ,एक महीना बीत चुका था ,अम्मा बाऊजी जी की कोई ख़बर नहीं मिली थी ।
तभी उसनें देखा एक सरकारी गाड़ी आकर उसके दरवाजे़ पर रुकी थी, तो रामवती नें सोचा सरकारी कर्मचारी मुआवज़े की रक़म देनें आये होंगे वह उठ कर बाहर आ गई बाहर आकर उसनें देखा गाड़ी से अम्मा और बाऊजी उतर रहें थे। उन्हें उतार कर एक अफ़सर जैसा लगनें वाला आदमी उसके पास आया और रामवती से बोला , “रहे आपके बाऊजी और अम्मा ये हमारे कैंप में थे , इनका मोबाइल ग़ुम हो गया था । इसलिए आप लोगों को सूचित नहीं कर पाए इनकी हालत भी ख़राब थी ,इन दोनों का इलाज़ चल रहा था इनकी सहायतार्थ सरकार नें जो प्रभावित लोगों के लिए राशि की घोषणा की थी उसका एक लाख का चैक।”
रामवती अम्मा बाऊजी का चेहरा देखते ही सब कुछ भूल गई, उसकी आँखों से ख़ुशी के आँसू बहने लगे, वह मंत्रमुग्ध- सी उन्हें देखे जा रही थी। उनकी सकुशल वापसी के लिए ईश्वर को धन्यवाद की मुद्रा में उसके हाथ जुड़े हुए थे।
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